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प्राथमिक एवं द्वितीयक मेमौरी (संग्रहण उपकरण) | Primary and Secondary Memory (Storage devices) in Hindi

प्राथमिक एवं द्वितीयक मेमौरी (संग्रहण उपकरण) | Primary and Secondary Memory (Storage devices) in Hindi
प्राथमिक एवं द्वितीयक मेमौरी (संग्रहण उपकरण) | Primary and Secondary Memory (Storage devices) in Hindi

प्राथमिक एवं द्वितीयक मेमौरी (संग्रहण उपकरण) को विस्तार से समझाइयें । इनमें क्या अन्तर है? 

संग्रहण उपकरण (Storage Devices)

संग्रहण उपकरण जैसे मैग्नेटिक डिस्क, पेन ड्राइव CD आदि स्टोर करने के लिए प्रयोग किए जाते हैं। ये सभी डेटा, निर्देश, सूचनाएँ स्टोर कर सकते हैं और आवश्यकता पड़ने पर दोबारा भी प्रयोग किये जा सकते हैं। ये सभी इनकी संग्रहण क्षमता/मेमोरी पॉवर के कारण सम्भव है। संग्रहण उपकरणों की विवेचना करने से पहले आओ पहले मेमोरी, इसके प्रकार और अन्य तथ्यों के बारे में जानें मेमोरी बहुत से छोटे-छोटे भागो में बंटी हुई होती है। जिन्हें Cells (या Memory Location) कहते हैं। इनमें प्रत्येक Cell का एक यूनीक पता होता है जिसे Location Addrss या Adress कहते हैं।

एक मेमोरी यूनिट की संग्रहण को बिट्स (Bits), निबल (Nibble), बाईट्स (Bytes), किलोबाइट्स (Kilobytes या KB), मेगा बाईट्स (Megabytes या MB) गीगाबाईट्स (Gigabytes या GB), टेरा बाईट्स (Terrabytes या TB) में मापा जाता है।

(i) बिट : मेमोरी की यह मात्रा जो एक बिट (0 या 1) को स्टोर करती है।

(ii) निबल : 4 बिट का एक ग्रुप होता है।

(iii) बाईट्स : 8 बिट का एक ग्रुप होता है। जिससे एक कैरेक्टर स्टोर किया जा सकता है। मेमोरी क्षमता के विभिन्न मापक की इकाइयों में निम्नलिखित सम्बन्ध है :

1 Nibble = 4 Bits

1 Byte = 8 Bits

1 KB = 1024 Bytes =  210  Bytes

1 MB = 1024 KB =  220  Bytes 

1 GB = 1024 MB =  230  Bytes 

1 TB = 1024 GB =  240  Bytes

मेमोरी मुख्यतया दो तरह की होती हैं:

(1) प्राथमिक मेमोरी (Primary Memory)

(2) द्वितीयक मेमोरी (Secondary Memory)

प्रत्येक मेमोरी को विभिन्न उप प्रकारों में बांटा जा सकता है:

(1) प्राथमिक मेमोरी (Primary Memory)-

प्राथमिक मेमोरी को आन्तरिक मेमोरी या मुख्य मेमोरी भी कहते हैं। यह मेमोरी कम्प्यूटर का महत्वपूर्ण भाग है, जो CPU से सीधी जुड़ी होती है। इस मेमोरी का प्रयोग CPU में किए जा रहे वर्तमान कार्य के डेटा और प्रोग्राम को कुछ समय के लिए स्टोर करने के लिए किया जाता है।

यह मेमोरी अस्थाई (Volatile) होती है अर्थात् जब कम्प्यूटर स्विच ऑफ हो जाता है तो डेटा डिलीट (Delete) हो जाता है। यह काफी तेज परन्तु महँगी मेमोरी है।

प्राइमरी मेमोरी दो प्रकार की होती है : RAM (Random Access Memory) और ROM (Read Only Memory) 

(i) Random Access Memory (RAM) – RAM कम्प्यूटर की आन्तरिक मेमोरी है। सभी डेटा व निर्देश जिन्हें कम्प्यूटर को दिया जाता है, पहले इसी मेमोरी में जाता है। यह CPU के साथ ही जुड़ी होती है अर्थात् इसकी विषय सामग्री CPU के सीधे ही निष्पादित होती है।

RAM की प्रमुख विशेषताएँ-
  • यह Random मेमोरी है अर्थात् RAM में रिकॉर्ड का एक्सेस समय RAM में रिकॉर्ड की लोकेशन पर निर्भर नहीं होता।
  • यह मेमोरी अस्थाई होती है।
  • यह Read / Write मेमोरी है अर्थात् इसकी विषय सामग्री एक्सेस भी की जा सकती है। और लिखी (Change) भी की जा सकती है।
  • RAM से बड़े आकार का प्रोग्राम सम्पादित नहीं किया जा सकता।
  • यह तेज परन्तु खर्चीली मेमोरी है।
  • इसकी संग्रहण क्षमता सीमित होती है। प्रायः इनके साइज 8GB, 16GB, 32GB होते हैं।

RAM को भी दो वर्गों में वर्गीकृत किया जा सकता है : Dynamic RAM (DRAM) और Static RAM (SRAM)

(ii) Read Only Memory (ROM) – यह आन्तरिक मेमोरी है और प्रायः सॉफ्टवेयर स्टोर “करने के लिए प्रयोग की जाती है, जो कम्प्यूटर स्टार्ट करने (जैसे- Operating System) या कुछ अन्य महत्वपूर्ण सॉफ्टवेयर (जैसे: Utility Software) के लिए प्रयोग की जाती है। इसकी विषय सामग्री Fix होती है इसलिए इसे Firmware भी कहा जाता है। यह मेमोरी एक्सेस की जा सकती है, परन्तु Change नहीं की जा सकती ।

ROM की प्रमुख विशेषताएँ-
  • यह Read Only Memory है अर्थात् इसकी विषय सामग्री एक्सेस की जा सकती है, परन्तु Change नहीं कर सकते।
  • यह Non-volatile मेमोरी है अर्थात् इसकी विषय सामग्री तब भी Delete नहीं होती जब पॉवर ऑफ कर दी जाती है।
  • यह CPU से सीधे सम्पर्क में नहीं होती।
  • इसमें आवश्यक सॉफ्टवेयर (जिन्हें Firmware कहा जाता है) होते हैं।

ROM के प्रकार- सामान्तया ROM की विषय सामग्री को परिवर्तन नहीं किया जा सकता, परन्तु विशेष दशाओं में, विशेषज्ञ इन्हें परिवर्तित कर सकते हैं। परिवर्तन करने के आधार पर ROM को विभिन्न वर्गों में बाँटा जा सकता है :

  1. ROM (Programmable Read Only Memory)
  2. EPROM (Erasable Programmable Read Only Memory)
  3. EEPROM (Electrically Erasable Programmable Read Only Memory)
  4. UVEPROM (Ultra Violet Erasable Programmable Read Only Memory)

Cache Memory : CPU, RAM की एक्सेस स्पीड से पाँच गुना अधिक स्पीड से क्रियाएँ करता है। इस स्पीड में Mismatch के कारण बीच-बीच में CPU के पास करने के लिए कुछ नहीं होता (Idle) । ये निष्पादन समय को बढ़ा देता है। इसलिए एक Fast Memory की आवश्यकता होती है जो CPU से सीधे सम्पर्क में हो। Cache एक विशेष मेमोरी है, जो छोटी होती है, CPU से सीधे सम्पर्क में होती है और RAM से पाँच गुना तेज होती है।

निष्पादन समय कम करने के लिए CPU डेटा और निर्देशों के लिए पहले Cache मेमोरी में देखता है। यदि ये Cache में उपलब्ध है तो ये जल्दी से निष्पादित कर देता है। इसे HIT अवस्था कहा जाता है। यदि ये Cache में नहीं है (ऐसा Cache की छोटी संग्रहण क्षमता की वजह से हो सकता है) इसे MISS कहा जाता है। इस दशा में CPU डेटा और निर्देशों के लिए RAM में सर्च करता है जिससे निष्पादन क्रिया धीरे हो जाती है।

इसलिए Cache का प्रयोग तभी सफल है जब HITS का प्रतिशत ऊँचा है। यह तभी सम्भव है जब हम अगले निर्देश में डेटा की आवश्यकता का पहले से पता लगा सकते हैं, ताकि इसे Cache में लोड किया जा सका।

Cache Memory की विशेषताएँ-
  • यह Volatile मेमोरी है।
  • यह बहुत महँगी है।
  • इसकी संग्रहण क्षमता बहुत कम होती है।
  • इसकी सफलता HIT अवस्था के प्रतिशत पर निर्भर करती है।

(2) द्वितीयक मेमोरी (Secondary Memory)-

प्राथमिक मेमोरी अस्थायी, महँगी और कम संग्रहण क्षमता वाली होती है। इसलिए कुछ स्थायी, सस्ती और उच्च संग्रहण क्षमता वाली मेमोरी की जरूरत होती है। द्वितीय मेमोरी इन सब कमियों को दूर करती है।

द्वितीयक मेमोरी की विशेषताएँ-

(1) इसकी उच्च संग्रहण क्षमता होती है।

(ii) इसकी लागत कम होती है।

(iii) यह Non-volatile होती है अर्थात् यह स्थायी मेमोरी होती हैं।

(iv) इसे पढ़ भी सकते हैं और लिख भी सकते हैं।

(v) यह CPU के साथ सीधे सम्पर्क में नहीं होती। द्वितीयक मेमोरी की विषय सामग्री को निष्पादित करने के लिए ये पहले RAM पर लोड की जाती है।

प्रायः प्रयोग की जाने वाली द्वितीयक मेमोरी में से कुछ इस प्रकार हैं मैग्नेटिक टेप, मैग्नेटिक, डिस्क, CD, DVD, पेन ड्राइव। उपकरण जो द्वितीयक मेमोरी के लिए प्रयोग किए जाते हैं द्वितीय मेमोरी संग्रहण उपकरण कहलाते हैं।

(A) Magnetic Tape Drive – मैग्नेटिक टेप एक बड़ा क्रमिक एक्सेस संग्रहण उपकरण है। यह मैग्नेटिक ऑक्साइड कोटिड प्लास्टिक की Continuous टेप होती है। यह 7.9 समानान्तर कतार (जिन्हें Tracks या Channels कहते हैं।) में विभाजित होती है और कई लम्बे (Vertical) कॉलम (जिन्हें Frames कहते हैं) में विभाजित होता है।

मैग्नेटिक टेप के लाभ-

(i) इसे दोबारा प्रयोग किया जा सकता है अर्थात् इसकी विषय सामग्री डिलीट की जा सकती है। और नई विषय सामग्री जोड़ सकते हैं।

(ii) इसकी संग्रहण क्षमता काफी अधिक होती है।

(iii) मैग्नेटिक डिस्क की तुलना में प्रति कैरेक्टर संग्रहण लागत बहुत कम है।

(iv) यह मैग्नेटिक डिस्क की तुलना में सस्ती होती है।

(v) यह कम्पेक्ट, पोर्टेबल और आसानी से प्रयोग की जा सकती हैं।

(vi) यह किसी भी लम्बाई के रिकॉर्ड का संग्रहण कर सकता है।

(vii) यह Non-volatile होता है और विश्वसनीय होती है।

मैग्नेटिक टेप की हानियाँ-

(i) इसका एक्सेस समय अधिक होता है। इसके अतिरिक्त ये सभी रिकॉर्ड के लिए बराबर नहीं होता और रिकॉर्ड की लोकेशन पर निर्भर करता है।

(ii) डेटा मैग्नेटिक स्पॉट के रूप में स्टोर होता है, जिन्हें केवल एक उपयुक्त उपकरण से ही पढ़ा जा सकता है और मनुष्य सीधे नहीं पढ़ सकता।

(iii) क्रमिक प्रकृति के कारण, रिकॉर्ड का Insertion और Deletion कठिन होता है और पूरी फाइल को दोबारा लिखना पड़ता है।

(iv) एक रिकॉर्ड पिछले रिकॉर्ड को एक्सेस करने के बाद ही एक्सेस कर सकते हैं।

(v) डिस्क की तुलना में डेटा ट्रांसमिशन रेट काफी धीमा है।

(B) हार्ड डिस्क ड्राइव (Hard Disk Drive)- हार्ड डिस्क ड्राइव एक सीधे एक्सेस संग्रहण मीडिया है। यह मैग्नोटिक पदार्थ से प्लास्टिक कोटिड गोलाकार प्लेटरस (Disk Surfaces) का एक पैक है, जिन्हें एक साधारण Central Shaft पर रखा हुआ होता है। प्रत्येक प्लेटर कई सकेंद्रित वृत्तों में (Tracks) विभाजित होता है और प्रत्येक ट्रेक छोटे-छोटे भागों (Sector) मैं विभाजित होता है। प्रत्येक डिस्क का अपना R/w हेड होता है। ये हेड डिस्क की सतह को तब तक स्पर्श नहीं करता जब तक कुछ R/w कमाण्ड न दी जाए। यह पूरा एक्सेस करने का मैकानिज्य एयरटाइट पात्र में स्थायी रूप से स्टोर होता है। जिसमें हवा लगातार घूमती रहती है और फिल्टर होती रहती है।

हार्ड डिस्क ड्राइव के लाभ-

(i) इसे दोबारा प्रयोग किया जा सकता है अर्थात् इसकी विषय सामग्री डिलीट की जा सकती है। और खाली स्थान को दूसरे डेटा को स्टोर करने के लिए प्रयोग किया जा सकता है।

(ii) इसकी संग्रहण क्षमता काफी अधिक होती है। आजकल 2 टेराबाइट (2 TB) साइज वाली हार्ड डिस्क प्रचलन में है।

(iii) यह सीधा एक्सेस करने देता है इसलिए एक्सेस समय कम होता है।

(iv) यह लोचशील है और सीधे एक्सेस या क्रमिक एक्सेस संग्रहण उपकरण की तरह प्रयोग की जा सकती है।

(v) इसकी ट्रांसमिशन स्पीड (डेटा ट्रांसफर की दर काफी ज्यादा है।

हार्ड डिस्क ड्राइव की हानियाँ-

(i) यह प्रायः पोर्टेबल नहीं होती।

(ii) ये बहुत लम्बे बड़े रिकॉर्ड को स्टोर नहीं कर सकती।

(iii) प्रति कैरेक्टर संग्रहण लागत मैग्नेटिक टेप से ज्यादा होती है।

(iv) स्टोर किया गया डेटा मनुष्य द्वारा पठनीय रूप में नहीं होता, इसलिए मानवीय कोडिंग सम्भव नहीं।

(C) Compact Disk (CD) – CD को ऑप्टिकल डिस्क भी कहा जाता है। यह हाई पॉवर लेजर बीम का प्रयोग करके बनाई जाती है। CD एक सीधे एक्सेस संग्रहण मीडिया है। जिसका जीवन काल लम्बा होता है और आसानी से पोर्टेबल होती हैं। सामान्यतया CD पर केवल पढ़ा जा सकता है, परन्तु आजकल Writeable CD भी उपलब्ध है, जिन्हें CD-RW कहते हैं।

More Facts about CD-ROM:

(i) सामान्यतया CD-ROM डिस्क की संग्रहण क्षमता 650 से 750 मेगाबाईट होती है।

(ii) CD पर Write करने के लिए विशेष सॉफ्टवेयर की आवश्यकता होती है। CD पर Write करने को CD Burning के नाम से जानते हैं।

(D) DVD – DVD से अभिप्राय है Digital Versatile Disk यह बहुत अधिक संग्रहण क्षमता के साथ उच्च घनत्व और सीधे संग्रहण वाला मीडिया है। यह CD की तरह दिखाई देता है, परन्तु इसकी संग्रहण क्षमता CD की तुलना में 4 से 7 गुणा होती है। यह प्लास्टिक की कई लेयर से मिलकर बना होता है। प्रत्येक लेयर में डेटा के कई ट्रैक होते हैं।

(E) पेन ड्राइव (Pen Drive) – पेन ड्राइव एक छोटा, कम वजन का पोर्टेबल Re-Writeable और सीधे एक्सेस वाला संग्रहण उपकरण है। यह फ्लॉपी डिस्क या CD से अधिक तेज और अधिक विश्वसनीय है। यह पूर्ण रूप से डस्ट प्रूफ और स्क्रैच प्रूफ होता है। इसके अतिरिक्त इसका ठोस डिजाइन होने की वजह से गिरने से भी इसका कुछ खराब नहीं होता। इन विशेषताओं के कारण निजी डेटा को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने के लिए इसे एक आदर्श संग्रहण मीडिया (Ideal Storage [Media) कहा जाता है।

आजकल 8GB, 16GB, 32GB और 64GB की संग्रहण क्षमता वाली पेन ड्राइव काफी प्रचलन में है। इसके प्रयोग के लिए किसी पेचीदा प्रक्रिया (जैसे- Burning CD) आदि की आवश्यकता नहीं। यह Plug और Play फीचर पर काम करती है और हम पेन ड्राइव पर Read/ Write कर सकते हैं।

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Anjali Yadav

इस वेब साईट में हम College Subjective Notes सामग्री को रोचक रूप में प्रकट करने की कोशिश कर रहे हैं | हमारा लक्ष्य उन छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं की सभी किताबें उपलब्ध कराना है जो पैसे ना होने की वजह से इन पुस्तकों को खरीद नहीं पाते हैं और इस वजह से वे परीक्षा में असफल हो जाते हैं और अपने सपनों को पूरे नही कर पाते है, हम चाहते है कि वे सभी छात्र हमारे माध्यम से अपने सपनों को पूरा कर सकें। धन्यवाद..

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