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महात्मा गाँधी के अनुसार शैक्षिक उद्देश्य | Educational Objectives According to Mahatma Gandhi

महात्मा गाँधी के अनुसार शैक्षिक उद्देश्य | Educational Objectives According to Mahatma Gandhi
महात्मा गाँधी के अनुसार शैक्षिक उद्देश्य | Educational Objectives According to Mahatma Gandhi

महात्मा गाँधी के अनुसार शैक्षिक उद्देश्य (Educational Objectives According to Mahatma Gandhi)

महात्मा गाँधी ने शिक्षा के उद्देश्य को दो भागों में विभाजित किया है-

1) तात्कालिक उद्देश्य-

महात्मा गाँधी के अनुसार प्रमुख तात्कालिक उद्देश्य निम्नलिखित हैं-

i) जीविकोपार्जन का उद्देश्य- जीविकोपार्जन के उद्देश्य से महात्मा गाँधी का तात्पर्य बालक को स्वावलम्बी बनाने से है ताकि वह भविष्य में किसी पर आश्रित न रहे। प्रत्येक व्यक्ति या बालक अपनी जीविका चलाने के लिए धनोपार्जन कर सके।

ii) सांस्कृतिक उद्देश्य- इस उद्देश्य से तात्पर्य बालकों को अपने व्यवहार में अपनी संस्कृति को व्यक्त करने के योग्य बनाने से है। वे भारतीय संस्कृति को परिष्कृत करना चाहते थे। महात्मा गाँधी के अनुसार, मैं शिक्षा के सांस्कृतिक पक्ष को उसके साहित्यिक पक्ष से अधिक महत्त्वपूर्ण समझता हूँ। संस्कृति शिक्षा का विशेषांक है। अतः मानव के व्यवहार पर संस्कृति की छाप होनी चाहिए।

iii) चरित्र निर्माण का उद्देश्य- महात्मा गाँधी बालक को पवित्र जीवन यापन के 3 लिए उनके नैतिक व चारित्रिक विकास पर बल देते हैं।

iv) व्यक्त्तित्त्व का सामंजस्यपूर्ण विकास- महात्मा गाँधी बालक का सर्वांगीण विकास करना शिक्षा का उद्देश्य मानते थे। महात्मा गाँधी के अनुसार, “सच्ची शिक्षा वह है, जिसके द्वारा बालक के शारीरिक, मानसिक व आध्यात्मिक विकास को प्रोत्साहन मिले।”

ⅴ) मुक्ति का उद्देश्य- महात्मा गाँधी ने मुक्ति शब्द के दो अर्थ लिए। पहले अर्थ मैं मुक्ति का तात्पर्य- “वर्तमान जीवन की सभी प्रकार की आर्थिक, राजनीतिक तथा मानसिक दासता से मुक्ति” तथा दूसरे अर्थ में मुक्ति से तात्पर्य- “आत्मा की सांसारिक बंधनों से छुट्टी।” इस प्रकार महात्मा गाँधी मानसिक, राजनीतिक दासता के साथ सांसारिक मोह से मुक्ति दिलवाना चाहते थे।

vi) शिक्षा के सर्वोच्च उद्देश्य-महात्मा गाँधी के अनुसार यह शिक्षा का अन्तिम उद्देश्य है, जिससे इनका तात्पर्य है- सत्य या ईश्वर की प्राप्ति। यह वही उद्देश्य है जिसमें भारतीय संस्कृति की आत्मा का वास है। महात्मा गाँधी के अनुसार, “अन्तिम वास्तविकता का अनुभव, ईश्वर और आत्मानुभूति का ज्ञान।”

2) शिक्षा के वास्तविक उद्देश्य-

गाँधी जी के अन्तिम या वास्तविक उद्देश्य को शिक्षा द्वारा वास्तविकता का ज्ञान एवं आत्मानुभूति को माना है। शिक्षा का यह परम् उद्देश्य होना चाहिए कि वह व्यक्ति का सम्पूर्ण विकास करके उसके चरित्र का निर्माण करे, क्योंकि चरित्र के निर्माण द्वारा उत्तम राष्ट्र का निर्माण सम्भव होगा।

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Anjali Yadav

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