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मानसिक स्वास्थ्य (Mental Health) : परिभाषा, उद्देश्य एवं आवश्यकता

मानसिक स्वास्थ्य (Mental Health) : परिभाषा, उद्देश्य एवं आवश्यकता
मानसिक स्वास्थ्य (Mental Health) : परिभाषा, उद्देश्य एवं आवश्यकता

मानसिक स्वास्थ्य (Mental Health)

शारीरिक स्वास्थ्य एवं मानसिक स्वास्थ्य का अत्यन्त निकट सम्बन्ध है और ये एक दूसरे को प्रभावित करते हैं। शारीरिक एवं मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति ‘पहला सुख निरोगी काया’ कहावत को वास्तविक अर्थ प्रदान करता है। मानसिक स्वास्थ्य का सम्बन्ध मनुष्य की मनोदशाओं से होता है। मन के प्रसन्न या स्वस्थ रहने को ही मानसिक स्वास्थ्य कहते हैं। मानसिक स्वास्थ्य एक बहुत ही प्राचीन अवधारणा है। उस समय इसका अर्थ मानसिक रोगों की अनुपस्थिति से लिया जाता था।

सी. डब्ल्यू. बीयर्स ने इसको एक आन्दोलन के रूप में लेते हुये व्यापक अर्थ प्रदान किया। मानसिक स्वास्थ्य एक प्रकार का समायोजन है, जो देश के विकास के लिए महत्वपूर्ण है। इससे व्यक्ति को अपनी क्षमताओं का पता चलता है और तनाव से मुकाबला करने के लिए आत्मविश्वास की भावना का विकास होता है। व्यक्ति के जीवन की विभिन्न परिस्थितियों में प्रभावपूर्ण समायोजन मुख्यतः मानसिक स्वास्थ्य पर निर्भर करता है।

लैडेल के अनुसार, “वास्तविक धरातल पर वातावरण के साथ पर्याप्त मात्रा में सामंजस्य करने की क्षमता को मानसिक स्वास्थ्य कहा जाता है।

According to Ladle, “Mental health means the ability to make adequate adjustment to the environment on the ground of reality.”

मैनिनजर के अनुसार, “मनुष्यों का मानव जगत में एक दूसरे के साथ समायोजन करना ही मानसिक स्वास्थ्य कहलाता है।”

According to Meninger, “Mental health is the adjustment of human being to the world and to each other with a maximum of effectiveness and happiness.”

कुप्पुस्वामी के अनुसार, ‘मानसिक स्वास्थ्य का अर्थ इच्छाओं, भावनाओं और महत्वाकांक्षाओं में संतुलन करने की योग्यता से लिया है। उन्होंने आगे बताया कि जीवन की वास्तविकताओं का सामना करना और इससे सम्बन्धित जानकारी रखना ही सही मायने में मानसिक स्वास्थ्य है।”

According to Kuppuswami, “Mental health means the ability to balance feelings, desires, ambitions and ideals to one’s daily life. It means the ability to face and accept the reality of life.”

उपरोक्त परिभाषाओं के आधार पर कहा जा सकता है कि मानसिक स्वास्थ्य एक प्रकार की समायोजन प्रक्रिया है जिसमें समझौता एवं सामंजस्य तथा निरन्तरता एवं विकास का समावेश रहता है। परिवर्तनशील परिस्थितियों और मनोदशाओं में मानसिक स्वास्थ्य का वैज्ञानिक अध्ययन करने वाले विषय को मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान कहते हैं। इसका उद्देश्य व्यक्ति को सुखी बनाना है। यह विज्ञान मनुष्य एवं समाज के लिए ऐसी परिस्थितियों का निर्माण करता है ताकि दोनों में संतुलन बना रहे। मानसिक अस्वस्थता रोगनिरोधक क्रियाशीलता के ह्रास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। मानसिक विकार व्यक्ति के स्वास्थ्य-सम्बन्धी आदतों को प्रभावित करते हैं और शारीरिक रोग के जोखिम को बढ़ाते हैं। इसके अलावा मानसिक अस्वस्थता के कारण गरीबी, बेरोजगारी, परिवारों का टूटना, मादक पदार्थों का सेवन एवं इनसे सम्बन्धित अपराध जैसी सामाजिक समस्याएँ भी उत्पन्न होती हैं।

मानसिक स्वास्थ्य के उद्देश्य (Purpose of Mental Health)

मानसिक स्वास्थ्य के निम्नलिखित उद्देश्य हैं-

1) व्यक्ति को अपनी मौलिक आवश्यकताओं (रोटी, कपड़ा, मकान) की पूर्ति के लिए कुशलता, दक्षता तथा योग्यता प्रदान करना।

2) व्यक्ति को मूल प्रवृत्तियों, संवेगो एवं अन्य जन्मजात शक्तियों पर नियन्त्रण एवं सन्तुलन रखने की क्षमता प्रदान करना।

3) व्यक्ति को सामाजिक बनाना तथा उसे सामाजिक नियमों, रीति रिवाजों एवं आदर्शों से परिचित कराना तथा उन्हीं के अनुसार कार्य करने की योग्यता का विकास करना।

4) व्यक्ति का सन्तुलित तथा सर्वांगीण विकास करना।

मानसिक स्वास्थ्य की आवश्यकता एवं महत्व (Need and Importance of Mental Health)

व्यक्ति के लिए उसका स्वास्थ्य ही उसकी सबसे बड़ी पूंजी होती है, चाहे वह मानसिक स्वास्थ्य हो या शारीरिक स्वास्थ्य। मानसिक स्वास्थ्य के महत्व का वर्णन निम्नलिखित बिंदुओं के अंतर्गत किया जा सकता है-

1) व्यक्तित्व विकास में सहायक (Helpful in Personality Development) – व्यक्ति का अच्छा मानसिक स्वास्थ्य उसके सर्वांगीण विकास में सहायक सिद्ध होता है। इसके माध्यम से ऐसे व्यक्तित्व का निर्माण होता है जो अपनी आवश्यकत्ताओं और सामाजिक उत्तरदायित्वों के बीच उचित तालमेल बनाने में सहायक होता है।

2) उचित संवेगात्मक विकास में सहायक (Helpful in Proper Emotional Development) – अच्छा मानसिक स्वास्थ्य बालकों के उचित संवेगात्मक विकास में अत्यधिक सहयोगी सिद्ध होता है। मानसिक स्वास्थ्य तथा संवेगात्मक व्यवहार परस्पर संबंधित होते हैं। मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति संवेगात्मक रूप से सन्तुलित होते हैं तथा मानसिक रूप से अस्वस्थ व्यक्ति संवेगात्मक रूप से असंतुलित होते हैं।

3) उचित सामाजिक विकास में सहायक (Helpful in Proper Social Development)-व्यक्ति का अच्छा मानसिक स्वास्थ्य उसकी सामाजिकता के उचित विकास में पर्याप्त सहायक सिद्ध होता है जो व्यक्ति मानसिक रूप से स्वस्थ होगा उसकी शक्ति का ह्रास अपने-आप से युद्ध करने में नहीं होगा। परिणामस्वरूप वह उचित सामाजिक समायोजन के मार्ग पर ठीक तरह से आगे बढ़ सकेगा।

4) शारीरिक वृद्धि एवं विकास में सहायक (Helpful in Physical Growth and Development)- मानसिक स्वास्थ्य उचित शारीरिक विकास एवं वृद्धि में सहायक सिद्ध होता है। चिंता, कुण्ठा, तनाव एवं गृहस्थियों से मुक्त होना अच्छे स्वास्थ्य का परिचायक होता है।

5) उचित नैतिक विकास में सहायक (Helpful in Proper Moral Development) – अच्छा मानसिक स्वास्थ्य व्यक्ति के नैतिक विकास में सहायक सिद्ध हाँता है। भावनाओं तथा संवेगों का उचित नियंत्रण करने, सामाजिक मूल्यों, मान्यताओं एवं सम्बन्धों की उचित परवाह करने वाले व्यक्ति नैतिक मानदण्डों पर खरे उतरते है।

6) उचित सौन्दर्यात्मक विकास में सहायक (Helpful in Proper Aesthetic Development) – अच्छे मानसिक विकास के द्वारा व्यक्ति की कलात्मक रुचियों तथा सौन्दर्यात्मक पक्ष को निखारने में सहायता मिलती है। यदि व्यक्ति का मानसिक स्वास्थ्य सबल एवं स्वस्थ होगा तभी सुन्दर एवं कलात्मक विचार, कल्पना, तथा सौन्दर्य परख क्षमताओं का विकास उचित रूप में होगा।

7) सामाजिक प्रगति में सहायक (Helpful in Social Progress) – स्वस्थ मानसिक विकास के द्वारा ही व्यक्ति का उचित सामाजिक विकास होता है। मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति ही सफल नागरिक सिद्ध होते हैं। इन व्यक्तियों में अधिकारों के प्रति सजगता के साथ कर्तव्य बोध की भावना भी पायी जाती है। अतः ये व्यक्ति समाज से कुछ लेने के साथ-साथ समाज को कुछ देने के लिए भी प्रतिबद्ध होते हैं।

8) मानसिक अस्वस्थता से बचाव में सहायक (Helpful in Preventing Mental Illness) – अच्छे मानसिक स्वास्थ के द्वारा व्यक्ति की मानसिक बीमारियों, अस्वस्थता तथा व्यथाओं को दूर करने में उसी तरह सहायता मिलती है जिस तरह शारीरिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति का शारीरिक अस्वस्थता तथा बीमारियों से बचाव होता है। स्वस्थ मन तथा सन्तुष्ट व्यक्तित्व वाला व्यक्ति किसी प्रकार की परेशानी, कुण्ठा या तनाव से शीघ्र परेशान नहीं होता है।

9) योग्यताओं एवं प्रतिभाओं के विकास में सहायक (Helpful in Nurturing of Abilities and Talent)- प्रत्येक व्यक्ति में योग्याएं एवं क्षमताएं पायी जाती हैं। जिनके उचित विकास के लिए अवसर तथा प्रयत्नों की आवश्यकता होती है। इस प्रकार के प्रयत्न उसी प्रकार के व्यक्ति कर पाते हैं जो पूर्ण रूप में स्वस्थ होते है। अतः, मानसिक स्वास्थ्य व्यक्ति की योग्यता तथा प्रतिभाओं को अत्यधिक प्रभावित करता है।

10) जीवन लक्ष्यों की प्राप्ति में सहायक (Helpful in the Attainment of Life Goals) – प्रत्येक व्यक्ति का जीवन जीने का अपना एक अलग ही तरीका होता है। उसके अपने स्वंय के लक्ष्य तथा आदर्श होते हैं। जिनकी प्राप्ति के लिए वह हमेशा संघर्षरत रहता है। इन लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए जितने अच्छे प्रयत्न किए जाएंगे उतने ही अच्छे परिणाम प्राप्त होंगे। यह प्रयत्न मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति, अस्वस्थ व्यक्ति की अपेक्षा अधिक सन्तुलित एवं संयमित ढंग से कर सकता है। मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति अपने जीवन के लक्ष्यों की प्राप्ति करने में सफल पाए जाते हैं।

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Anjali Yadav

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