Contents
मिश्रित पाठ्यचर्या (Fusion Curriculum)
मिश्रित पाठ्यचर्या को व्यापक क्षेत्रीय पाठ्यचर्या भी कहते हैं। सामाजिक जीवन की निरन्तर बढ़ती हुई जटिलताओं ने एक तरफ तो विशिष्टीकरण को बढ़ावा दिया जिसके फलस्वरूप ऐसे विशेषज्ञों की संख्या में वृद्धि होती चली गई जो न केवल एक क्षेत्र विशेष बल्कि उसकी भी किसी एक विशिष्ट छोटी इकाई के सूक्ष्म अध्ययन में जुट गए, जबकि दूसरी ओर विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत सभी व्यक्तियों को अपने सामान्य जीवन के लिए अधिकाधिक ज्ञान प्राप्त करना अनिवार्य हो गया।
इस समस्या के समाधान के परिणामस्वरूप विद्यालयों में अनिवार्य सामान्य पाठ्यचर्या के विषयों की संख्या में उत्तरोत्तर वृद्धि होती चली गई और पाठ्यचर्या बोझिल हो गई। इस कारण एक अत्यन्त जटिल स्थिति उत्पन्न हो गई क्योंकि विषय की उपादेयता कम किए बिना उसे पाठ्यचर्या से विलोपित कर पाना सम्भव नहीं लगता है। इस जटिल स्थिति से निपटने के लिए शिक्षाविदों तथा अन्य विषय विशेषज्ञों ने सभी दृष्टिकोणों से विश्लेषण करने के पश्चात् यह निष्कर्ष निकाला कि इस समस्या के समाधान का उपाय एक दूसरे से सम्बद्ध विषयों का समूहीकरण हो सकता है। इस निष्कर्ष ने पाठ्य-विषयों के मिश्रण के सिद्धान्त पर आधारित व्यापक क्षेत्रीय पाठ्यचर्या को जन्म दिया जिसके अन्तर्गत भूगोल, इतिहास नागरिकशास्त्र, अर्थशास्त्र आदि विषयों को मिश्रित करके ‘सामाजिक विज्ञान’ एवं भौतिक, रसायन, जीव आदि विषयों को मिश्रित करके ‘सामान्य विज्ञान’ जैसे विषय तैयार किए गए। इस पाठ्यचर्या में अधिगम की अन्य इकाइयाँ भी मिश्रित कर दी जाती हैं जैसे- भाषा शिक्षण के अन्तर्गत ही वर्तनी, शब्द लेखन, सुलेख, उच्चारण अभ्यास, व्याकरण व अन्य भाषा कौशल पढ़ाए जाते हैं।
मिश्रित पाठ्यचर्या की विशेषताएँ (Characteristics of Fusion Curriculum)
मिश्रित पाठ्यचर्या की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
- बालकों की ज्ञानार्जन सम्बन्धी जिज्ञासाएँ शान्त हो जाती हैं।
- इस पाठ्यचर्या से व्यापक क्षेत्रीय पाठ्यचर्या का जन्म होता है।
- पाठ्यचर्या के द्वारा विविध सम्बन्धित विषयों का परस्पर घनिष्ट सह-सम्बन्ध होता है।
- इस पाठ्यचर्या के द्वारा कई विषयों की जानकारी होती है।
- इस प्रकार की पाठ्यचर्या बालकों के लिए बोझिल एवं उबाऊ नहीं होती है।
मिश्रित पाठ्यचर्या की सीमाएँ (Limitations of Fusion Curriculum)
मिश्रित पाठ्यचर्या की सीमाएँ निम्नलिखित हैं-
- विषय का पूर्ण ज्ञान प्रदान नहीं किया जा सकता।
- यह पाठ्यचर्या बालक एवं समाज की आवश्यकताओं के अनुरूप नहीं होती।
- यह पाठ्यचर्या बालक का सर्वांगीण विकास नहीं कर पाती।
- विषय की अधिकता होने के कारण छात्र इसमें पूर्ण रुचि नहीं लेते।
Important Link…
- अधिकार से आप क्या समझते हैं? अधिकार के सिद्धान्त (स्रोत)
- अधिकार की सीमाएँ | Limitations of Authority in Hindi
- भारार्पण के तत्व अथवा प्रक्रिया | Elements or Process of Delegation in Hindi
- संगठन संरचना से आप क्या समझते है ? संगठन संरचना के तत्व एंव इसके सिद्धान्त
- संगठन प्रक्रिया के आवश्यक कदम | Essential steps of an organization process in Hindi
- रेखा और कर्मचारी तथा क्रियात्मक संगठन में अन्तर | Difference between Line & Staff and Working Organization in Hindi
- संगठन संरचना को प्रभावित करने वाले संयोगिक घटक | contingency factors affecting organization structure in Hindi
- रेखा व कर्मचारी संगठन से आपका क्या आशय है? इसके गुण-दोष
- क्रियात्मक संगठन से आप क्या समझते हैं? What do you mean by Functional Organization?