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मूल्य श्रृंखला या उपयोगिता श्रृंखला विश्लेषण क्या है? (Meaning of Value Chain Analysis)
मानव का जिज्ञासु मस्तिष्क कभी भी इस बात से सन्तुष्ट नहीं होता कि कोई वस्तु जैसी भी है ठीक है। वह हमेंशा उन ढंगों या तरीकों के बारे में खोज करता रहता है जिनके आधार पर किसी वस्तु या सेवा को और अधिक उत्तम बनाया जा सके। वह यह मानता है कि प्रत्येक वस्तु, सेवा तथा कार्य करने के तीरके को और अधिक सुधारा जा सकता है। मूल्य या उपयोगिता विश्लेषण भी मानव मस्तिष्क की इसी सोच या दर्शन की उपज है और प्रभावी समस्याओं के समाधान की एक प्रणाली है।
उपयोगिता अथवा मूल्य विश्लेषण से आशय उन कार्यों को दर्शाना है जो उत्पाद द्वारा उपभोक्ताओं को प्रदान किये जाते हैं और उन सम्भावनाओं को तलाशना कि उपरोक्त कार्य कैसे कम लागत पर इस उत्पाद द्वारा प्रदान किये जा सकते हैं, इसके लिए भले ही उत्पाद की डिजाइन का पुनः निर्धारण करना पड़े या पूरे उत्पाद को ही पुनः क्यों न विकसित करना पड़े। यह सुव्यवस्थित एवं संगठित सृजन की एक अवधारणा है जो अनावश्यक लागतों की प्रभावी पहचान पर जोर देती है। अर्थात् उन लागतों को बताती है जो न तो गुणों, न उपयोगों, न वस्तुओं के जीवन, न वस्तुओं के रूप या आकृति और न ही उपभोक्ताओं की सन्तुष्टि को बढ़ाती है।
इस प्रकार मूल्य था उपयोगिता विश्लेषण उत्पाद की उपयोगिताओं में वृद्धि करने की एक बहु आयामी विधि है, जिसके अन्तर्गत उत्पाद के कार्यों का अध्ययन लागतों के परिपेक्ष्य में किया जाता है।
मूल्य या उपयोगिता विश्लेषण के पहलू या विचारधारायें (Aspects of Value Analysis)
मूल्य विश्लेषण के मुख्य रूप से निम्न तीन महत्वपूर्ण पहलू हैं-
(1) उत्पाद या सेवा के कार्यों को पहचानो।
(2) प्रत्येक कार्य की मौद्रिक उपयोगिता को स्थापित करो।
(3) प्रत्येक अनावश्यक कार्य की न्यूनतम लागत को आश्वस्त करो।
उपरोक्त क्रमबद्ध विचारधारा की तकनीक को लागू करने का अर्थ है कि ‘आवश्यक’ को ‘अनावश्यक’ से अलग करो। यह कार्य और लागत दोनों क्षेत्रों में निम्न प्रकार प्राप्त या लागू कर सकते हैं।
(अ) उपभोक्ता क्या चाहता है- यह ज्ञात करना कि उपभोक्ता वास्तव में उत्पाद से अपने लिए क्या चाहता है।
(ब) उपभोक्ता को ज्यादा दो – उपभोक्ता को उससे ज्यादा दो जो वो चाहते हैं तथा वह और कम दो जो वे नहीं चाहते।
(स) उत्पादन को डिजाइन करो या बनाओ- ऐसे उत्पादन को डिजाइन करो, बनाओ या खरीदों जो उपभोक्ताओं की इच्छाओं की सन्तुष्टि तुलनात्मक रूप से पहले से कार्य करता हो।
(द) लागत में कमी- यह सब संसाधनों की न्यूनतम लागत में कमी द्वारा करो। उपयोगिता विश्लेषण विचारधारा निम्न पाँच प्रश्नों के वैध एवं पूर्ण उत्तर विकसित करना चाहती है-
(क) यह क्या है?
(ख) यह क्या करती है?
(ग) इसकी क्या लागत है?
(घ) यह और क्या कार्य करेगी?
(ड.) उसकी क्या लागत है?
उपयोगिता विश्लेषण उपरोक्त सभी मूल प्रश्नों के गुण-दोषों को बताता है। यह वह दर्शनशास्त्र है जो विशिष्ट तकनीकों के प्रयोग, प्रशिक्षित योग्यता व ज्ञान के माध्यम से लागू किया जाता है। यह एक लागतों के बचाने की कार्य विधि है।
उपयोगिता विश्लेषण और लागतों को कम करना (Value Analysis and Cost Reduction)
साधारणतया लागत कम करने की विधियाँ विद्यमान उत्पादों को कम खर्चीली तकनीक और विभिन्न विकल्पों के माध्यम वाली प्रविधियों द्वारा लागत कम करने पर जोर देती है, इसके विपरीत उपयोगिता या मूल्य विश्लेषण उत्पाद के द्वारा प्रदत्त कार्यों पर ध्यान देती है और तत्पश्चात् एक अनुशासित विधि के द्वारा उन्हीं कार्यों को कम लागत पर किया जाता है। यह उत्पाद के पुनः डिजाइन अथवा बिल्कुल नये उत्पाद के विकास द्वारा किया जा सकता है। इसके लिए निम्न बातों पर ध्यान दिया जाता है-
1. उपयोगिता या मूल्य (Value) – उपयोगिता का पर्याय मूल्य से है। किसी भी वस्तु का मूल्य उसकी उपयोगिता के बिना नहीं होता है क्योंकि उत्पाद या सेवा कुछ न कुछ उपभोक्ता, को प्रदान करता है और इसीलिए इसका मूल्य उस कार्य के लिए होता है। एक उत्पाद या सेवा उपभोक्ता को निम्न प्रकार की उपयोगिता प्रदान करते हैं-
(अ) उपभोग उपयोगिता (Use Value) – एक स्वचालित घड़ी जो सही समय बताती है, यह उसकी उपभोग उपयोगिता है।
(ब) सम्मान उपयोगिता (Esteem Value) – किसी वस्तु का स्वामी होना सम्मानीय है, कोई कलात्मक तस्वीर किसी विशिष्ट कला डीलर के लिए सम्मान उपयोगिता रखती है।
(स) लागत उपयोगिता (Cost Value) – यह सामग्री, श्रम और उन उपरिव्ययों का योग है जो किसी वस्तु के बनाने में लगते हैं।
(द) विनिमय उपयोगिता- इसका आशय किसी वस्तु के गुणों से है जिसके द्वारा किसी दूसरी वस्तु को प्राप्त किया जाना सम्भव होता है।
2. कार्य (Function) – उपयोगिता विश्लेषण का प्रारम्भिक आधार उसके कार्य हैं। जब कार्यों का पता चल जाता है तो उपयोगिता विश्लेषण थोड़ा और आगे बढ़ता है कि और क्या कर सकते हैं, दूसरे शब्दों में यह उन विकल्पों को ज्ञात करने के तरीकों का पता लगाता है जो इन कार्यों को उपभोक्ता के बिना किसी उपयोगिता को त्याग कर सकता है।
3. लागत (Cost) – उपयोगिता विश्लेषण का उद्देश्य कार्य और लागत में सम्बन्धों को सुधारना है। उत्पाद की लागतें या सेवाओं की खोज और विश्लेषण करके उपयोगिता विश्लेषण द्वारा उन्हें कम करने का प्रयास किया जाना चाहिए।
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