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लघुउत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)
लघु उत्तरीय परीक्षण निबन्धात्मक परीक्षण का परिमार्जित रूप है। इनमें उन दोषों को दूर करने का प्रयास किया गया है जिनके कारण निबन्धात्मक परीक्षण की विश्वसनीयता एवं वैधता प्रभावित होती है। लघु उत्तरात्मक प्रश्न उन प्रश्नों को कहते हैं जिनके उत्तर लघु रूप में होते हैं। ये मुक्त उत्तरात्मक होते हैं परन्तु इनके उत्तर छोटे होते हैं। इन प्रश्नों के उत्तर निबन्धात्मक प्रश्नों की अपेक्षा अधिक स्पष्ट एवं निश्चित होते हैं। इसमें समय की बचत होती है। विद्यार्थी अधिक से अधिक उत्तर दे सकते हैं। उदाहरण के लिए-
- भारत में जनसंख्या शिक्षण का महत्त्व बताइए।
- स्थानीय सरकारों के आय-व्यय के स्रोत बताइए।
- मुगलकाल में साहित्य, कला का विकास बताइए ।
- ऋतु परिवर्तन के क्या कारण हैं? स्पष्ट करें।
इस प्रकार के प्रश्न मौखिक परीक्षाओं में अक्सर पूछे गए हैं लेकिन लिखित परीक्षाओं में इस प्रकार के प्रश्न पूछने का प्रचलन आधुनिक विचारधारा है। इन सभी परीक्षाओं का प्रयोजन निबन्धात्मक परीक्षा के दोष दूर करना है।
लघुउत्तरीय प्रश्नों की विशेषताएँ (Characteristics of Short Answer Type Questions)
लघु उत्तरीय परीक्षण की विशेषताएँ परीक्षण के निम्न लाभ हैं-
1) ये परीक्षण स्पष्ट होते हैं। इनमें छात्रों को उत्तर देने के लिए निश्चित दिशा प्रदान की जाती है। इसमें निश्चित सूचनाओं और तथ्यों के विषय में पूछा जाता है।
2) परीक्षण की विश्वसनीयता बढ़ जाती है क्योंकि इसमें प्रश्नों की संख्या निबन्धात्मक प्रश्नों की अपेक्षा अधिक होती है। इसी प्रकार अंकन की वस्तुनिष्ठता भी अपेक्षाकृत बढ़ जाती है।
3) इसमें पाठ्यक्रम की अधिक मात्रा को प्रयुक्त किया जा सकता है क्योंकि प्रश्न सारे पाठ्यक्रम पर बनाए जाते हैं।
4) यह व्यर्थ ही पृष्ठ भरने के लिए लिखने की आदत को दूर करता है।
5) यह परीक्षण अपेक्षाकृत अधिक वैध है।
6) इसमें तर्क, चिन्तन आदि मानसिक शक्तियों को अधिक अच्छी तरह मापा जा सकता है।
7) इस प्रक्रिया में वर्गीकरण करना आसान होगा।
8) इन परीक्षाओं में विभेदकारिता का गुण पाया जाता है।
लघुउत्तरात्मक प्रश्नों के लाभ (Advantages of Short Answer Type Questions)
लघुउत्तरात्मक प्रश्नों में निम्नलिखित लाभ होते हैं-
- लघुउत्तरात्मक प्रश्नों की विश्वसनीयता अधिक होती है क्योंकि इनके उत्तर लगभग निश्चित होते हैं।
- लघुउत्तरात्मक प्रश्नों में अधिक प्रश्न पूछे जाते हैं क्योंकि यह पाठ्यक्रम के अधिकांश भाग का प्रतिनिधित्व करते हैं।
- लघुउत्तरात्मक प्रश्नों की रचना सरल एवं स्वाभाविक होती है।
- लघुउत्तरात्मक प्रश्नों के अंकन में वस्तुनिष्ठता भी कुछ अधिक होती है।
- लघुउत्तरात्मक प्रश्नों के उत्तर लिखना बोझिल नहीं लगता क्योंकि इनमें अधिक नहीं लिखना पड़ता है।
- विद्यार्थियों की उपलब्धि की अधिक व्यापकता से जाँच करने में यह प्रश्न अधिक सक्षम होते हैं।
लघुउत्तरात्मक प्रश्नों की सीमाएँ (Limitations of Short Answer Type Questions)
लघुउत्तरात्मक प्रश्नों के दोष निम्नलिखित होते हैं-
- लघुउत्तरात्मक प्रश्नों के द्वारा मानसिक क्षमता, तर्क एवं विचार शक्ति का मूल्यांकन नहीं हो पाता है।
- लघुउत्तरात्मक प्रश्नों की भाषा-शैली परिमार्जित नहीं हो पाती और न ही इनका मूल्यांकन हो पाता है।
- लघुउत्तरात्मक प्रश्न पूर्णरूपेण वैध नहीं होते हैं।
- लघुउत्तरात्मक प्रश्न समस्यात्मक विषयों की जाँच हेतु उपयोगी नहीं होते हैं।
- लघुउत्तरात्मक प्रश्न रटने के लिए बाध्य करते हैं।
- मूल्यांकन प्रक्रिया परीक्षक के दृष्टिकोण पर आधारित होती है।
- अनैतिकता को प्रोत्साहन मिलता है। परीक्षक तथा परीक्षार्थी दोनों के द्वारा अनैतिक कार्य किए जाते हैं।
- इन परीक्षाओं में अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता नहीं होती।
सुधार हेतु सुझाव (Suggestions for Improvement)
लघुउत्तरीय प्रश्नों में सुधार हेतु निम्न सुझाव इस प्रकार हैं-
- लघु उत्तरीय प्रश्न समस्त पाठ्यक्रम पर आधारित होने चाहिए।
- इन प्रश्नों की भाषा, सरल, स्पष्ट तथा अर्थयुक्त होनी चाहिए।
- इन प्रश्नों का आकार निश्चित होना चाहिए जिससे उत्तर भी निश्चित हो सकें।
- मूल्यांकन कार्य वस्तुनिष्ठ होना चाहिए।
- निश्चित निर्देशों के द्वारा प्रश्न हल किए जाएं।
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