School Management & Hygiene

विद्यालय वातावरण [SCHOOL ENVIRONMENT/CLIMATE]

विद्यालय वातावरण [SCHOOL ENVIRONMENT/CLIMATE]
विद्यालय वातावरण [SCHOOL ENVIRONMENT/CLIMATE]

विद्यालय वातावरण [SCHOOL ENVIRONMENT/CLIMATE]

संगठनात्मक वातावरण (ORGANIZATIONAL ENVIRONMENT)

किसी भी संस्था या संगठन में मुख्य रूप से कार्य या विकास उस समय शीघ्रता से होता है, जब उस संस्था के कर्मचारी स्वयं भी उन्नत ज्ञान से सम्पन्न हों। क्योंकि कोई संगठन उसमें कार्य कर रहे व्यक्तियों के समूह से ही बनता है। यदि किसी संस्था के वातावरण का ज्ञान प्राप्त करना है या उसकी अन्य संगठन से तुलना करनी है तो यह तुलना उनके उद्देश्यों, उनके मानवीय संगठन, कार्य-पद्धति, संगठन के ढाँचे तथा काम के वातावरण के अनुसार हो सकती है। वास्तव में इसे संगठनात्मक वातावरण कहते हैं। संगठनात्मक वातावरण को अर्गेरिस (Argyris) ने (1957) व्यक्तित्व (Personality) के समान बताया है जबकि कुछ अन्य ने इसे व्यवहार व अनुभव का सामान्य प्रवाह बताया है। संगठनात्मक वातावरण संगठन के तत्त्वों जैसे—संरचना, संस्कृति, नेतृत्व प्रणाली, आदि में एक व्यक्ति की दूसरे के साथ या उसके पर्यावरण के साथ अन्तः क्रिया होने से उत्पन्न होता है।

संगठनात्मक वातावरण शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम 1955 में कारनेल ने किया। इस प्रकार संक्षेप में हम कह सकते हैं कि संगठनात्मक वातावरण से अभिप्राय संगठन में काम कर रहे लोगों की भावनाओं से है। उनकी भावनाओं के आधार पर संगठन को सकारात्मक या नकारात्मक, सफल या असफल तथा समर्थक या विरोधी कहा जाता है।

विद्यालय वातावरण (SCHOOL ENVIRONMENT)

विद्यालय वातावरण एक बहुआयामी सम्प्रत्यय है। इसकी सहायता से हम यह ज्ञात कर सकते हैं कि विद्यालय किस प्रकार भिन्नता लिए होते हैं तथा ऐसे कौन से कारक हैं जो विद्यालय की प्रभावशीलता को प्रभावित करते हैं। विद्यालय के वातावरण के निर्माण में मुख्य रूप से, नेतृत्व का व्यवहार, अध्यापकों की नैतिकता, विश्वास का स्तर, संस्कृति, अभिभावकों का सहयोग, समुदाय का सहयोग, अध्यापक की प्रभाविकता, कार्यनिष्ठा, सन्तुष्टि तथा छात्रों की शैक्षिक उपलब्धता मूल्यांकन, आदि कारक प्रभावी होते हैं। यदि यह सभी अच्छी प्रकार से कार्य करते हैं या उच्च स्तर के हैं तो विद्यालय का वातावरण भी अच्छा होगा अन्यथा नहीं। अतः विद्यालय वातावरण भी वास्तव में विद्यालय के पर्यावरण तथा प्रधानाध्यक, अध्यापक, छात्रों, कर्मचारियों, अभिभावकों, समुदाय, आदि के आपस में अन्तःक्रिया व सम्प्रेषण के परिणामस्वरूप ‘उत्पन्न होता है।

विद्यालय वातावरण के प्रकार (Types of School Environment)

विद्यालय में प्रधानाध्यापक/प्रबन्धन तथा अध्यापकों, कर्मचारियों, छात्र, आदि में अन्त: क्रिया, सम्प्रेषण व कार्य करने की शैली के आधार पर हॉल्पिन तथा क्राफ्ट (Holpin & Craft) ने छः भागों में विद्यालयीय वातावरण को बाँटा है। ये छः प्रकार निम्न हैं-

1. खुला वातावरण (Open Environment),

2. बन्द वातावरण (Closed Environment),

3. नियन्त्रित वातावरण (Controlled Environment).

4. स्वायत्त वातावरण (Autonomous Environment),

5. पैतृक वातावरण (Paternal Environment),

6. जाना-पहचाना / पारिवारिक वातावरण (Familiar Environment)

1. खुला वातावरण (Open Environment) – इस प्रकार के वातावरण में विद्यालय में खुलापन अधिक होता है। अध्यापक के किसी भी कार्य में प्रधानाध्यापक या प्रबन्धन द्वारा कोई बाधा नहीं डाली जाती है। आपस में सभी एक-दूसरे से प्रेमपूर्वक व मित्रवत् व्यवहार करते हैं। अध्यापकों पर कार्य का अत्यधिक भार नहीं होता है तथा वे खुशी-खुशी विद्यालय के कार्यों को करते हैं तथा किसी व्यक्ति से ये कहते हुए सुने जा सकते हैं कि विद्यालय या संस्था से जुड़ने पर वे गर्वित हैं।

2. बन्द वातावरण (Closed Environment)- यह सबसे अव्यावहारिक होता है। प्रधानाध्यापक या प्रबन्धन सर्वोपरि होता है वह अपने अधीनस्थों को पूर्ण नियन्त्रण में रखता है। प्रधानाध्यापक या प्रबन्धन अध्यापकों के प्रत्येक कार्य व गतिविधि की जानकारी प्राप्त करता है तथा आवश्यकता पड़ने पर उसका प्रयोग अध्यापकों को दबाने में करता है या ये कहा जाए कि वह अध्यापकों की गलतियों या कमजोरियों के विषय में जानकारी प्राप्त कर उनके विरुद्ध कार्यवाही का डर बैठा कर कार्य करवाता है। वह कभी साथी अध्यापकों की राय नहीं लेता, उनकी भलाई नहीं चाहता तथा विद्यालयों की कठोर नीतियाँ बनाकर उनका पालन करने को कहता है। ऐसे में अध्यापक भी स्वेच्छा से कार्य नहीं करते, वे मात्र औपचारिकता करते हुए कार्य करते हैं तथा कभी भी अवसर मिलने पर प्रधानाध्यापक या प्रबन्धन के विरुद्ध हो जाते हैं।

3. नियन्त्रित वातावरण (Controlled Environment)-इसमें अध्यापक अत्यन्त कठोर नियन्त्रण में कार्य करते हैं तथा कठोरतापूर्वक विद्यालय नीतियों का पालन करते रहते हैं। अध्यापकों से कभी-कभी वास्तविक परिस्थितियों में सही बर्ताव कर सकते हैं लेकिन उनसे सामाजिक अलगाववाद तो रहता ही है। प्रधानाध्यापक बहुत कम मानवीय गुण रखता है तथा बहुत ही कम प्रेम, सद्भाव रखता है, सदैव बॉस होने का एहसास कराता है। प्रधानाध्यापक अहम् केन्द्रित होता है, अवैयक्तिक, औपचारिकता वाला होता है। अध्यापक लगातार कार्य तो करते हैं लेकिन उन्हें अपने कार्य से सन्तुष्टि नहीं होती है।

4. स्वायत्त वातावरण (Autonomous Environment) इस प्रकार के वातावरण में खुले वातावरण (Open Environment) से कम खुलापन होता है तथा प्रधानाध्यापक उन्हें आपस में अन्तः क्रिया करने के लिए पूर्ण स्वतन्त्रता देते हैं जिससे अध्यापक अपनी सामाजिक आवश्यकता की पूर्ति करता है। अध्यापक अपना कार्य अकेले व साथ दोनों प्रकार से करता है तथा आसानी से अतिशीघ्र अपने उद्देश्यों को प्राप्त करता है तथा संस्था के कार्यों को पूर्ण करता है। प्रधानाध्यापक सच्चा व लचीला होता है तथा अध्यापकों के दिशानिर्देश हेतु नियमों का निर्धारण करता है।

5. पैतृक वातावरण (Paternal Environment) यह आंशिक रूप से बन्द वातावरण के समान है। प्रधानाध्यापक प्रत्येक अध्यापक के बारे में प्रत्येक बात जानना चाहता है तथा उसे अपनी राय देता है। प्रधानाध्यापक प्रत्येक स्थान पर अध्यापकों को परखता है, सलाह देता है कि कैसे कार्य किया जाना चाहिए। प्रधानाध्यापक का मुख्य केन्द्र विद्यालय होता है तथा उसकी गतिविधियों को ही वह क्रियान्वित करता है। अध्यापकों का आपस में मतभेद रहता है।

6. जाना-पहचाना/ पारिवारिक वातावरण (Familiar Environment) वास्तव में इस प्रकार के वातावरण में विद्यालय में मित्रतापूर्ण वातावरण रहता है। इसमें सभी कार्य मिल-जुलकर किए जाते हैं। अध्यापकों को अच्छे कार्य के लिए प्रोत्साहन दिया जाता है, जिससे उनमें आत्मविश्वास की कमी नहीं होती है। सामाजिक रूप से यह कहा जा सकता है कि अध्यापक एक बड़े सुखी परिवार (संयुक्त परिवार) का भाग होते हैं। प्रधानाध्यापक सदैव अध्यापकों की भलाई के लिए कार्य करता है।

इस प्रकार उक्त वर्णित समस्त वातावरणों के प्रभावों को देखने पर यह ज्ञात होता है कि जैसा वातावरण विद्यालय का होगा, प्राप्त ज्ञान का स्तर भी उसी प्रकार का होगा। बन्द वातावरण में या ऐसा वातावरण जहाँ अन्तःक्रिया के अवसर अत्यन्त कम होते हैं वहाँ उन्नति व परिवर्तन के समस्त मार्ग बन्द से हो जाते हैं। इसके विपरीत खुले वातावरण । समस्त प्रणाली पर व्यक्ति का नियन्त्रण होता है या यह कहें कि समस्त क्रिया विधि व्यक्ति के हाथ में होती है, यदि कहीं कुछ रुकावट आती है तो उसे तुरन्त दूर कर दिया जाता है।

खुले वातावरण का एक सबसे बड़ा गुण यह है कि इसमें अन्तर्निर्भरता अधिक होती है। विद्यालय को समाज सम्पूर्ण संसाधन देता है तथा बदले में समाज को विद्यालय एक वांछित नागरिक देता है जो समाज को आवश्यकतानुसार सामाजिक, राजनैतिक या सांस्कृतिक शक्तियों से भरपूर होता है। इस प्रकार यह स्पष्ट है कि खुली प्रणाली में जैसा छात्रों को इनपुट दिया जाएगा, जैसे संसाधनों से उसकी निर्माण प्रक्रिया होगी, वैसा ही आउटपुट या उत्पाद प्राप्त होगा।

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Anjali Yadav

इस वेब साईट में हम College Subjective Notes सामग्री को रोचक रूप में प्रकट करने की कोशिश कर रहे हैं | हमारा लक्ष्य उन छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं की सभी किताबें उपलब्ध कराना है जो पैसे ना होने की वजह से इन पुस्तकों को खरीद नहीं पाते हैं और इस वजह से वे परीक्षा में असफल हो जाते हैं और अपने सपनों को पूरे नही कर पाते है, हम चाहते है कि वे सभी छात्र हमारे माध्यम से अपने सपनों को पूरा कर सकें। धन्यवाद..

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