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व्यक्तित्व का अर्थ एवं परिभाषाएँ (Meaning and Definitions of Personality)
शिक्षा का लक्ष्य व्यक्तित्व का सर्वांगीण विकास करना है। व्यक्तित्व शब्द का प्रयोग साधारण बातचीत के दौरान किया जाता है, जैसे- हम क्या कार्य करते हैं, किस व्यवसाय में हैं अथवा हमारे अंदर कौन से गुण हैं। हम सभी के इन गुणों में अच्छाईयां अथवा बुराईयां दोनों हो सकती हैं। हम सभी का अपना व्यक्तित्व होता है। एक व्यक्ति स्वयं के बारे में जितने अच्छे विचार रखता है, दूसरों के बारे में उसके विचार उतने अच्छे नहीं हो सकते हैं। साधारण बातचीत में प्रयुक्त ‘व्यक्तित्व’ शब्द कुछ ऐसे ही गुणों अथवा विशेषताओं को दर्शाता है।
जान डी मेयर ने कहा है कि “यदि आप जीवन में श्रेष्ठ होना चाहते हैं तो आपको अपने व्यक्तित्व के साथ-साथ दूसरों के व्यक्तित्व को भी जानना तथा समझना होगा।”
शिक्षा मनोविज्ञान वह विषय-क्षेत्र है, जिसमें मानव व्यवहार के विभिन्न पहलुओं का अध्ययन किया जाता है। प्रायः ऐसा देखा गया है कि मानव का व्यवहार, कार्य, स्वभाव, सोच, प्रवृत्ति तथा चरित्र एकसमान नहीं होते हैं। इनमें कुछ न कुछ अंतर अवश्य होता है। सभी व्यक्तियों की शारीरिक संरचना, वेशभूषा आदि में अंतर होता है। कोई वस्तु जो एक व्यक्ति के लिए सही होती है वही वस्तु दूसरे व्यक्ति के लिए गलत हो सकती है।
कुछ वस्तुएं जो एक व्यक्ति के लिए आवश्यक होती हैं वही दूसरे के लिए अनावश्यक हो सकती हैं। व्यक्तियों के यही विचार उसके व्यक्तित्व का निर्धारण करते हैं। व्यक्तित्व के अंतर्गत व्यक्ति स्वयं की तुलना अन्य व्यक्तियों के कार्य, स्वभाव, सोच, प्रवृत्ति तथा चरित्र से करते हैं।
संगठन एवं समाज में व्यक्तियों की स्थिति में अंतर होता है। ये अंतर व्यक्ति की भूमिका, स्वभाव, सोच, प्रवृत्ति तथा चरित्र को प्रभावित करते हैं। पुरुषों एवं महिलाओं का व्यक्तित्व इन पहलुओं से निर्धारित होता है। इसी तरह, एक व्यक्ति का व्यक्तित्व विद्यालय, व्यवसाय, सामाजिक स्थिति में उसकी प्रतिष्ठा से भी निर्धारित होता है। सामान्य अर्थों में व्यक्तित्व से तात्पर्य शारीरिक गठन, रंगरूप, वेशभूषा बातचीत के ढंग तथा कार्य व्यवहार जैसे विभिन्न गुणों के संयोजन से लगाया जाता है।
सामान्यतः व्यक्तित्व शब्द अंग्रेजी के Personality शब्द का पर्याय है। Personality शब्द लैटिन शब्द परसोना (Persona) से बना है, जिसका अर्थ ‘नकाब’ होता है। जिसे ग्रीक नायक नाटक करते समय पहनते थे। प्रारंभ में व्यक्तित्व का अर्थ व्यक्ति के बाह्य रूपरंग से ही लगाया जाता था लेकिन इस व्याख्या को पूर्णतः अवैज्ञानिक घोषित कर दिया गया क्योंकि कई ऐसे व्यक्तियों के उदाहरण मिलते हैं जिनका बाह्य रूपरंग इतना आकर्षक नहीं होता है लेकिन उनका व्यक्तित्व आकर्षक माना जाता है, जैसे गाँधी, टैगोर, स्वामी विवेकानंद आदि। इस प्रकार मनोविज्ञान में व्यक्तित्व का अर्थ व्यक्ति के रूप एवं गुणों की समष्टि से है। मनोविज्ञान में व्यक्तित्व वाह्य आवरण और आन्तरिक तत्व, दोनों का गतिशील सम्मिश्रण है। जोकि पर्यावरण के प्रभाव से बराबर बदलता रहता है। व्यक्तित्व, व्यक्ति का पर्यावरण से अनुकूलन करने का ढंग है। व्यक्ति का समस्त व्यवहार पर्यावरण से अनुकूलन करने के लिए होता है। अपने व्यक्तित्त्व के अनुसार यह व्यवहार भिन्न-भिन्न प्रकार का होता है। व्यक्ति के द्वारा भिन्न-भिन्न व्यवहार करने के कारण व्यक्तित्व को गत्यात्मक संगठन कहा जाता है। व्यक्तित्व की कुछ महत्वपूर्ण परिभाषाएँ निम्नलिखित हैं-
वैलेंटाइन के अनुसार, “व्यक्तित्व जन्मजात और अर्जित प्रवृत्तियों का योग है।
“According to Valentine, “Personality is the total sum of innate and acquired disposition.”
गिल्फोर्ड के अनुसार, “व्यक्तित्व, गुणों का समन्वित रूप है।”
According to Guilford, “Personality is an integrated pattern of traits.”
बिग व हंट के अनुसार, ‘व्यक्तित्व एक व्यक्ति के सम्पूर्ण व्यवहार प्रतिमान और उसकी विशेषताओं के योग का उल्लेख करता है।”
According to Bigg and Hunt, “Personality refers to the whole behavioural pattern of an individual to the totality of its characteristics.”
ड्रेवर के अनुसार, “व्यक्तित्व शब्द का प्रयोग व्यक्ति के शारीरिक, मानसिक, नैतिक और सामाजिक गुणों के एकीकृत तथा गत्यात्मक संगठन के लिए किया जाता है जिसे व्यक्ति अन्य व्यक्तियों के साथ अपने सामाजिक जीवन के आदान-प्रदान में व्यक्त करता है।”
According to Drever, “Personality is the term used for the integrated and dynamic organisation of the physical, mental, moral and social qualities of the individual as that manifest itself to other people in the give and take at social like.”
वाल्टर मिसकेल के अनुसार, “प्रायः व्यक्तित्व से तात्पर्य व्यवहार के उस विशिष्ट स्वरुप (जिसमें चिंतन व संवेग शामिल हैं) से होता है। जो प्रत्येक व्यक्ति के जीवन की परिस्थितियों के साथ होने वाले समायोजन को निर्धारित करता है।”
इस तरह मनोवैज्ञानिकों ने व्यक्तित्व सम्बंधी लगभग 49 परिभाषाएँ जिनका विश्लेषण करने के बाद ऑलपोर्ट (1937) ने अपनी ओर से 50वीं परिभाषा का प्रतिपादन किया जो आज भी मान्य है, क्योंकि यह परिभाषा काफी विस्तृत व वैज्ञानिक है।
ऑलपोर्ट (1937) के अनुसार, “व्यक्तित्व व्यक्ति के भीतर उन मनो-शारीरिक गुणों का गत्यात्मक संगठन है जो वातावरण से अपूर्व समायोजन को निर्धारित करते हैं।”
According to Allport, “Personality is the dynamic organism within the individual of those psycho-physical systems that determines his unique adjustment to his environment.”
उपरोक्त परिभाषाओं का विश्लेषण करने पर हम कह सकते हैं कि-
1) व्यक्तित्व एक ऐसा मनोशारीरिक तंत्र (Psycho-physical system) है, जिसमें मानसिक एवं शारीरिक पक्षों के साथ-साथ ऐसे तत्व होते हैं, जो आपस में अन्तःक्रिया करते हैं। जैसे संवेग, आदत, ज्ञानशक्ति, आदि ।
2) गत्यात्मक संगठन से तात्पर्य यह है कि मनो-शारीरिक तंत्र के विभिन्न तत्वों जैसे शीलगुण आदि एक दूसरे से संबंधित होकर संगठित होते हैं तथा इन्हें अलग नहीं किया जा सकता है।
3) प्रत्येक व्यक्ति का अपने वातावरण के साथ समायोजन स्थापित करने का ढंग अलग होता है। इसलिए ऑलपोर्ट ने 1961 में अपनी परिभाषा में अंतिम पांच शब्द ‘स्वयं के पर्यावरण के साथ अद्वितीय समायोजन’ (Unique adjustment to his environment) की जगह ‘चरित्रगत व्यवहार’ (Characteristic behaviour and thought) को शामिल किया।
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