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शिक्षक केन्द्रित पाठ्यचर्या (Teacher Centred Curriculum)
आदर्शवादी आवश्यकताओं पर आधारित पाठ्यचर्या शिक्षक केन्द्रित होती है। शिक्षा के लाभ एवं उद्देश्य निश्चित करना, अभ्यासक्रम का निर्माण करना, अध्यापन करना यह अध्यापक का कर्तव्य होता है। शिक्षक को आधार मानकर पाठ्यचर्या की संरचना की जाती है। शिक्षक का स्थान प्रमुख होता है तथा छात्र गौण माने जाते हैं। इसलिए इसे शिक्षक केन्द्रित पाठ्यचर्या कहा जाता है। इस प्रकार की पाठ्यचर्या में छात्रों की रुचि को ध्यान में नहीं रखा जाता है। पाठ्यचर्या के लक्ष्य एवं उद्देश्य छात्रों की उम्र या क्षमता से सम्बन्धित नहीं होते हैं। शिक्षक अपने मत एवं विचारों को ही सर्वोपरि मानते हैं। यह एकमार्गी प्रक्रिया होती है।
वर्तमान में पाठ्यचर्या विकास, पाठ्यचर्या से सम्बन्धित निर्णय लेने आदि में शिक्षकों की भागीदारी बढ़ी है। कुछ शिक्षक पाठ्यक्रम समीति में भी भाग लेते हैं। हालांकि विद्यालयी स्तर पर विद्यालय के स्टाफ के सदस्य पाठ्यचर्या सम्बन्धि निर्णय लेने हेतु अधिक उत्तरदायी होते हैं। जिन देशों में शिक्षक केन्द्रित पाठ्यचर्या अपनायी जाती है वहाँ पाठ्यचर्या विकास के लिए विद्यालय ज्यादा उत्तरदायी होते हैं। इन विद्यालयों के शिक्षकों की इच्छा हो अथवा नहीं फिर भी उन्हें विद्यालय स्तर के पाठ्यचर्या सम्बन्धी निर्णय लेने में सम्मिलित होना पड़ता है। अभी कुछ वर्षों से देखा जा रहा है कि अध्यापक विद्यालय में क्या पढ़ा रहा है इसकी परवाह किए बगैर शिक्षक विद्यालयी स्तर पर पाठ्यचर्या सम्बन्धी निर्णय लेने में अपनी भागीदारी निभा रहे हैं। भागीदारी की इन प्रकृति को देखकर शिक्षक की निर्णय लेने की प्रक्रिया में भूमिका का निर्धारण किया जा सकता है।
शिक्षक केन्द्रित पाठ्यचर्या की विशेषताएँ (Characteristics of Teacher-Centred Curriculum)
शिक्षक केन्द्रित पाठ्यचर्या की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
- यह पाठ्यचर्या शिक्षक द्वारा बनायी जाती है इसलिए वांछित लक्ष्यों को आसानी से प्राप्त किया जा सकता है।
- शिक्षक केन्द्रित पाठ्यचर्या में विषय-वस्तु को मनोवैज्ञानिक रूप से छात्रों के स्तर, आवश्यकताओं एवं रुचि को ध्यान में रख कर सम्मिलित किया जाता है।
- विषय-वस्तु/विषय-सामग्री तार्किक रुप से व्यवस्थित की जाती है अप्रासंगिक तथ्यों को सम्मिलित करने से बचा जाता है।
- शिक्षक कक्षा-कक्ष की गतिविधियों के क्रियान्वयन में स्वयं को सहज महसूस करता है।
- समाज/समुदाय की प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रुप से पाठ्यचर्या विकास में भाग ले सकते हैं।
- स्रोत एवं संसाधनों की उपलब्धता के सम्बन्ध में शिक्षक द्वारा कोई आपत्ति नहीं उठायी जाती है।
- यह लोकतन्त्रात्मक प्रवृत्ति को विकसित करती है।
- इसके माध्यम से शिक्षकों के मध्य सहकारिता की भावना विकसित होती है।
शिक्षक केन्द्रित पाठ्यचर्या की सीमाएँ (Limitations of Teacher- Centred Curriculum)
शिक्षक केन्द्रित पाठ्यचर्या की सीमाएँ निम्नलिखित हैं-
- स्रोतों एवं संसाधनो का अभाव होता है।
- कठोर प्रशासन, योजना एवं प्रबन्धन के कारण बाधा उत्पन्न होती है।
- विभिन्न संस्थानों में इसके सामान्य मानकों को बनाए रखना कठिन होता हैं।
- शिक्षण प्रशिक्षण संस्थानों की वर्तमान पाठ्यचर्या के लिए शिक्षक केन्द्रित पाठ्यचर्या उपयुक्त नहीं हैं।
- परीक्षा प्रणाली / मूल्यांकन में एक कठोर परिवर्तन की आवश्यकता है।
- इसके द्वारा शिक्षक, छात्र एवं समुदाय के लोगों की मनोवृत्तियों में परिवर्तन करना कठिन होता है।
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