शिक्षा का महत्व, आवश्यकता एवं उपयोगिता का वर्णन कीजिए ।
मानव जीवन में शिक्षा का महत्व व आवश्यकता उसकी बहुमुखी कार्य सम्पन्नाता के कारण है। शिक्षा वैयक्तिक व राष्ट्रीय जीवन में अत्यन्त महत्वपूर्ण कार्य सम्पन्ना करती है। शिक्षा के बिना उन्नात राष्ट्रीय जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। वैयक्तिक और राष्ट्रीय जीवन में शिक्षा के कार्यों के सम्बन्ध में बोसिल ने ठीक लिखा है कि- “शिक्षा का कार्य व्यक्ति और समाज के बीच ऐसा सामंजस्य स्थापित करना है जिसमें व्यक्ति अपने को मोड़ सके और परिस्थितियों को पुनर्व्यवस्थित कर ले और दोनों को अधिकाधिक स्थायी सन्तोष प्राप्त हो सके।” इससे स्पष्ट है कि वैयक्तिक और राष्ट्रीय उन्नति हेतु शिक्षा की अत्यन्त आवश्यकता है और यही एकमात्र साधन है जो व्यक्तिगत उत्थान में तो योगदान देता ही है साथ ही उसके सामाजिक एवं राष्ट्रीय उत्थान में स्वयं सिद्ध हो जाती है। शिक्षा के द्वारा मनुष्य, उसकी आवश्यकता एवं उपादेयता स्वयं सिद्ध हो जाती है। शिक्षा के द्वारा मनुष्य की अन्तर्निहित शक्तियों का अनावरण होता है और उनका समाजोपयोगी दिशाओं में मार्गान्तरीकरण सम्भव होता है। शिक्षा के अभाव में मानव की प्राकृतिक शक्तियों के नियन्त्रण तथा विकास की कल्पना नहीं की जा सकती। शिक्षा प्रसार से ही मानव सभ्यता के उच्च शिखर पर पहुँच सका है।
शिक्षा जीविकोपार्जन के हेतु आवश्यक है ही, साथ की कार्यकुशलता की वृद्धि में भी योगदान देती है। आधुनियक लोकतन्त्रवादी युग में शिक्षा की आवश्यकताएँ और महत्व और अधिक बढ़ गए हैं। जनतन्त्र का समस्त ढाँचा ही शिक्षा पर निर्भर करता है। इसके अभाव में जनतन्त्र का पौधा हरा-भरा नहीं हो सकता। आधुनिक युग की जटिलताओं से छुटकारा प्राप्त करने के हेतु शिक्षा आवश्यक है। यदि शिक्षा न हो तो व्यक्ति अपने दायित्व का निर्वाह भली-भाँति न कर पाए। शिक्षा ही व्यक्ति में अपने उत्तरदायित्व को वहन करने की क्षमता उत्पन्ना करती है और उसके शारीरिक, मानसिक, भावात्मक एवं चारित्रिक गुणों के विकास में योगदान देती है।
शिक्षा की उपयोगिता इस बात से ही सिद्ध होती है शिक्षा हमारे भावी विकास में सहयोग देती है। वह एक प्रकार से आगामी जीवन की तैयारी है साथ ही वह बालक में प्रौढ़ावस्था के दायित्वों को सहन करने की क्षमता को भी उत्पन्ना करती है। शिक्षा हमारी संस्कृति की रक्षा करती है। वह हमें भूत का अवलोकन कराकर वर्तमान में भविष्य का ज्ञान कराती है। शिक्षा उस माली के समान है जो बाग को काट-छांट कर सुन्दर बना देता है। शिक्षा की सहायता से ही कलाकार, चित्रकार, संगीतज्ञ, साहित्यिक तथा सुधार और वैज्ञानिक संसार को अपूर्व ज्ञान ज्योति प्रदान करते आ रहे हैं। शिक्षा केवल भौतिक उत्थान के लिए भी आवश्यक नहीं है बल्कि हमारे आध्यात्मिक उत्थान के लिए भी आवश्यक है. क्योंकि शिक्षा ही चरम लक्ष्य मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करती है। अतः प्रत्येक स्थिति में यह मानव की पथ-प्रदर्शिनी है।
उपर्युक्त विवेचन से यह स्पष्ट है कि शिक्षा के अगणित कार्य हैं और मानव जीवन में शिक्षा का अत्यधिक महत्व है और इसकी उपादेयता में किसी को भी लेशमात्र संदेह करने: की गुंजशि नहीं है। मानव की मानवीयता शिक्षा के फलस्वरूप ही है और यदि शिक्षा न हो। तो मानव एवं पशु में कोई भी अन्तर न रह जाय।
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