शिक्षाशास्त्र / Education

शिक्षा विज्ञान है या कला | education is science or art in Hindi

शिक्षा विज्ञान है या कला | education is science or art in Hindi
शिक्षा विज्ञान है या कला | education is science or art in Hindi

शिक्षा विज्ञान है या कला अथवा दोनों? स्पष्ट कीजिए। अथवा शिक्षा की प्रकृति की विवेचना कीजिए।

शिक्षा विज्ञान है या कला, यह प्रश्न अत्यन्त विवादास्पद है। कुछ विद्वान शिक्षा को एक विज्ञान के रूप में मान्यता देते हैं। दूसरे विद्वान यह कहते हैं कि शिक्षा विज्ञान न होकर कला है। वास्तविकता यह है कि शिक्षा न तो पूर्ण कला है औन न पूर्ण विज्ञान बल्कि यह कुछ अर्थों में विज्ञान है और कुछ अर्थों में कला।

(अ) शिक्षा का वैज्ञानिक पक्ष- किसी विषय के क्रमबद्ध ज्ञान को विज्ञान की संज्ञा देते हैं। एक विद्वान का मत है, “मानव विज्ञान की वह शाखा जो कार्य कारण श्रृंखला से आबद्ध होकर तथ्यों का निरूपण तार्किक ढंग से करती है, विज्ञान कहलाती है और इससे स्पष्ट है कि विज्ञान के अन्तर्गत किसी निश्चित विषय के सम्बन्ध में निष्पक्ष सामग्री को प्राप्त कर उसे क्रमबद्ध रूप में संग्रहीत किया जाता है तत्पश्चात् उसके आधार पर सिद्धान्तों का प्रतिपादन होता है। शिक्षा में भी हम कुछ सीमा तक किसी विषय के सम्बन्ध में सामग्री एकत्र करके उसे क्रमबद्ध रूप में संग्रहीत करते हैं और उसके आधार पर सामान्य नियमों का प्रतिपादन करते हैं। इस आधार पर शिक्षा को विज्ञान कहा जाना चाहिए। परन्तु शिक्षा वैसा पूर्ण विज्ञान नहीं है जैसा कि भौतिकशास्त्र या रसायनशास्त्र । शिक्षा के नियम एवं सिद्धान्त भौतिक-शास्त्र और रसायनशासन के नियमों की भाँति निश्चित एवं सार्वभौमिक नहीं होते। इन नियमों को साधारणतया सामान्य परिस्थितियों में लागू किया जा सकता है। किसी विशेष परिस्थिति में वे नियम लागू नहीं होते। इस प्रकार शिक्षा के नियमों में निश्चितता का अभाव होता है और इस कारण शिक्षा को पूर्ण विज्ञान नहीं कहा जा सकता।

(ब) शिक्षा का कलात्मक पक्ष- कला की परिभाषा व्यवहार के रूप से की जाती है। विज्ञान में सत्यान्वेषण होता है परन्तु कला उस स्थिति के अन्वेषण द्वारा प्राप्त ज्ञान को व्यावहारिक रूप में प्रदान करते हैं। शिक्षक की कल्पना भी एक कलाकार के रूप में की जाती है। यह भी अपने आदतों के अनुसार विद्यालय रूपी कलागृह में शिक्षार्थियों के मानस पटल पर तरह-तरह का चित्र अथवा संस्कार उत्पन्ना करने का प्रयत्न करती है और इसलिए शिक्षा को एक कला के रूप में मान्यता प्राप्त होती है। परन्तु शिक्षा को चित्रकला, मूर्तिकला और संगीतकला की भाँति विशुद्ध कला की तरह स्वीकार नहीं किया गया है। यद्यपि शिक्षा शिक्षण कार्य एक कलाकर की भाँति करती है परन्तु अपनी इच्छानुसार बालक के मन एवं आचरण को प्रभावित नहीं कर पाती। शिक्षण कार्य में शिक्षण को बालक की इच्छानुसार एवं आन्तरिक विशेषताओं का ध्यान रखना होता है इसलिए शिक्षा को विशुद्ध कला की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता।

(स) शिक्षा के वैज्ञानिक पक्ष- और कला पक्ष का समन्वय उपर्युक्त विवेचन से यह स्पष्ट है कि शिक्षा न तो विज्ञान है और न पूर्ण कला। परन्तु इसका यह अर्थ नहीं है कि शिक्षा में विज्ञान और कला के तथ्यों का समावेश ही नहीं होता। सैद्धान्तिक स्तर पर शिक्षक अवश्य ही शिक्षा के नियमों, उद्देश्य एवं सिद्धानों आदि की विवेचना करके उनका निर्धारण करते हैं और इस स्थिति में शिक्षा को विज्ञान के अन्तर्गत रखा जाता है। जब उन नियमों और सिद्धान्तों के अनुसर वह शिक्षण कार्य सम्पन्ना करता है तो शिक्षा एक कला हो जाती है। अएतएव सैद्धान्तिक पक्ष में शिक्षा एक विज्ञान के रूप में हमारे सम्मुख आती है और व्यावहारिक पक्ष में शिक्षा एक कला के रूप में हमारे सम्मुख आती है अतएव यह कहना उचित है कि शिक्षा विज्ञान एवं कला दोनों है।

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Anjali Yadav

इस वेब साईट में हम College Subjective Notes सामग्री को रोचक रूप में प्रकट करने की कोशिश कर रहे हैं | हमारा लक्ष्य उन छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं की सभी किताबें उपलब्ध कराना है जो पैसे ना होने की वजह से इन पुस्तकों को खरीद नहीं पाते हैं और इस वजह से वे परीक्षा में असफल हो जाते हैं और अपने सपनों को पूरे नही कर पाते है, हम चाहते है कि वे सभी छात्र हमारे माध्यम से अपने सपनों को पूरा कर सकें। धन्यवाद..

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