श्यामपट्ट लेखन कौशल से आप क्या समझते हैं? श्यामपट्ट लेखन में सावधानियाँ एवं इसकी उपयोगिता की विवेचन कीजिए।
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श्यामपट्ट लेखन कौशल (Black board Writing Skill)
श्यामपट्ट पर लेखन कार्य छात्रों हेतु बहुत प्रभावी होता है। शिक्षण में सर्वाधिक उपयोगी दृश्य उपकरण श्यामपट्ट (Black board) है। विद्यालय की प्रत्येक कक्षा में इसका प्रयोग होता है। यह जमीन से इतनी ऊँचाई पर होता है कि शिक्षक और विद्यार्थी दोनों आसानी से इस पर लिख सकें।
आज मनोवैज्ञानिक सिद्धान्तों के आधार पर यह निष्कर्ष प्राप्त है कि विद्यार्थी सीखते समय जितनी अधिक इन्द्रियों का प्रयोग करता है, उसका सीखना उतना ही स्पष्ट एवं स्थायी होता है। यदि शिक्षक कक्षा में पढ़ाते समय किसी विषयवस्तु के सम्बन्ध में बात करने के साथ श्यामपट्ट पर कुछ लिखता है या चित्र आदि बनाता है तो विद्यार्थियों की श्रवणेन्द्रियों के साथ-साथ चक्षु इन्द्रियाँ भी सक्रिय हो जाती हैं। दूसरे शब्दों में श्यामपट्ट प्रयोग करने से विद्यार्थी कान से सुनने के साथ-साथ आँख से भी देखते हैं, जिससे उनको सीखने में अधिक सहायता मिलती हैं।
वर्तमान समय में सभी विषयों के शिक्षण में श्यामपट्ट का प्रयोग होता है। श्यामपट्ट का प्रयोग निम्न बिन्दुओं हेतु किया जाता है-
- भाषा में- कठिन शब्द, अर्थ, प्रसंग आदि हेतु।
- अंकगणित में- सवाल हल करने में।
- ज्यामितीय में- त्रिकोण चतुर्भुज आदि के निर्माण में।
- विज्ञान में- तथ्यों एवं चित्रों को अंकित करने के लिए।
- अर्थशास्त्र / नागरिक शास्त्र में- शिक्षण बिन्दु तथा सारांश हेतु ।
- इतिहास / भूगोल में- शिक्षण बिन्दुओं, सारांश, रेखाचित्र एवं मानचित्र आदि अंकित करने हेतु ।
इस प्रकार श्यामपट्ट का प्रयोग करने से जहाँ छात्रों को तथ्यों, शब्दों, घटनाओं तथा चित्रों आदि को अपनी उत्तर पुस्तिका पर अंकित करने और सीखने में सहायता मिलती है वहीं शिक्षक भी इसकी सहायता से पूरी कक्षा को एक साथ पढ़ाने एवं गृहकार्य देने में सहायता प्राप्त होती है।
श्यामपट्ट की उपयोगिता (Advantage of Black board)
श्यामपट्ट की उपयोगिता निम्नलिखित सन्दर्भों में है-
- श्यामपट्ट के प्रयोग से छात्रों का ध्यान विषय-वस्तु की ओर केन्द्रित रहता है।
- श्यामपट्ट के प्रयोग से छात्रों को सुनने के साथ-साथ देखने का भी अवसर प्राप्त होता है।
- श्यामपट्ट एक सस्ता उपकरण है, जो आसानी से उपलब्ध हो जाता है।
- श्यामपट्ट पर अंकित बातों को समयानुसार मिटाया भी जा सकता है।
- श्यामपट्ट लेखन से पाठ के विकास में आवश्यक सहायता मिलती है।
- श्यामपट्ट पर लिखी बात को छात्र अपनी उत्तर पुस्तिका पर शुद्धता एवं सत्यता के साथ अंकित कर लेता है।
- कक्षा में छात्र सहभाग एवं संक्रिया में वृद्धि होती है।
- शाब्दिक माध्यमों में कही गई बात को श्यामपट्ट पर लिखने से छात्रों को पुनर्बलन प्राप्त होता है।
- यदि पाठ के गूढ़ बिन्दुओं, चित्र, मानचित्र, सारिणी, ग्राफ आदि को क्रमशः शिक्षण में वृद्धि के साथ-साथ श्यामपट्ट पर लिख दिया जाए तो छात्रों के सामने पूरे पाठ का चित्र स्पष्ट हो जाता है।
श्यामपट्ट लेखन में सावधानियाँ (Precaution in Black board Writing)
श्यामपट्ट पर लिखने में निम्नलिखित सावधानियों पर ध्यान देना चाहिए-
(1) आकार का सन्तुलन- श्यामपट्ट पर लिखे अक्षरों का आकार इतना बड़ा होना चाहिए कि कक्षा के अन्त में बैठा हुआ छात्र भी उसे भली-भाँति पढ़ सके।
(2) स्वच्छ, सुन्दर एवं स्पष्ट लेख- श्यामपट्ट पर लिखे शब्द आकर्षक एवं स्पष्ट होने चाहिए।
(3) सीधी रेखा- श्यामपट्ट पर सदैव सीधी रेखा में ही लिखना चाहिए।
(4) वर्तनी शुद्धि- श्यामपट्ट पर लिखे शब्दों में वर्तनी शुद्धि पर विशेष बल देना चाहिए।
(5) अनावश्यक शब्द नहीं- श्यामपट्ट पर उतनी ही बातें लिखी होनी चाहिए जितनी आवश्यक हों। अनावश्यक शब्द तुरन्त मिटा दिए जाने चाहिए।
(6) लिखने का क्रम- श्यामपट्ट पर लिखने का क्रम ठीक होना चाहिए, इससे विद्यार्थियों को समझने में आसानी होती है।
(7) अक्षरों की स्पष्टता- प्रत्येक अक्षर सीधा एवं स्पष्ट होना चाहिए। चॉक की गुणवत्ता पर भी ध्यान देना चाहिए।
(8) रंगीन चॉक- चित्र /मानचित्रों के अंकन में ही रंगीन चॉक का प्रयोग करना चाहिए।
(9) लिखने में शीघ्रता- अध्यापक को श्यामपट्ट लेखन का पर्याप्त अभ्यास होना चाहिए तथा शीघ्रता से लिखना चाहिए।
(10) श्यामपट्ट विभाजन- श्यामपट्ट पर लिखते समय मध्य में एक काल्पनिक रेखा मान है। लेनी चाहिए एवं शिक्षण बिन्दुओं के समानता के आधार पर बराबर रख लेना चाहिए जिससे श्यामपट्ट व्यवस्थित प्रतीत हो ।
(11) पीछे मुड़कर देखना- लिखते समय बीच-बीच में कक्षा की तरफ पलटकर देखना भी चाहिए।
(12) श्यामपट्ट एवं शिक्षक की स्थिति- श्यामपट्ट पर लिखते समय शिक्षक को श्यामपट्ट से लगभग 45° का कोण बनाकर खड़े होना चाहिए। कक्षा की तरफ पूरी पीठ करके खड़ा नहीं होना चाहिए। इससे कक्षा के अनुशासन भंग होने का खतरा रहता है।
(13) लिखते समय बोलते रहना- शिक्षक को श्यामपट्ट पर लिखते समय लिखे हुए शब्दों तथा वाक्यों को बोलते रहना चाहिए। इससे कक्षा के सभी विद्यार्थी लिखने के साथ-साथ पाठ के सभी तथ्यों को सरलतापूर्वक समझकर अपनी उत्तर पुस्तिकाओं पर लिखते रहते हैं, कक्षा का अनुशासन बना रहता है एवं कार्य में अधिक समय नहीं लगता, किन्तु इस विषय में विपरीत मत भी है। अतः अध्यापक को विवेकानुसार एवं समयानुसार निर्णय लेना चाहिए।
(14) झाड़न (Duster) का प्रयोग- लिखी गई बातों को मिटाने के लिए सदैव झाड़न का प्रयोग करना चाहिए। हाथ से या अँगुली से नहीं मिटाना चाहिए। सदैव बाएँ से दाहिने मिटाना चाहिए जिससे पहले लिखी बात पहले मिटे ।
(15) एक ही भाषा का प्रयोग- कुछ अध्यापक खिचड़ी भाषा का प्रयोग करते हैं जो सर्वथा अनुचित है।
श्यामपट्ट प्रयोग कौशल घटकों की निरीक्षण सूची
श्यामपट्ट प्रयोग कौशल के मुख्य तीन ही घटक होते हैं-
- लिखावट की स्पष्टता ।
- श्यामपट्ट का व्यवस्थित होना ।
- श्यामपट्ट कार्य का औचित्य ।
- निरीक्षण हेतु निम्न सूची है-
- अक्षरों की स्पष्टता।
- दो अक्षरों के बीच समुचित स्थान का होना।
- दो शब्दों के मध्य समुचित स्थान का होना।
- अक्षरों का आकार कक्षा अन्त में बैठे छात्रों के लिए भी ठीक था।
- अक्षरों की मोटाई और चौड़ाई का समान होना।
- शब्द और वाक्यों का सीधी रेखा में होना।
- दो पंक्तियों के मध्य समान अन्तर का होना।
- अनावश्यक पंक्तियों / शब्दों को तुरन्त मिटाना।
- शिक्षण बिन्दुओं को तारतम्यता से लिखना।
- वाक्यों का संक्षिप्त एवं सुस्पष्ट होना ।
- ध्यान केन्द्रण हेतु मुख्य बिन्दु / प्रकरण को रेखांकित करना।
- रंगीन चौक का प्रयोग करना ।
- रेखाचित्रों का बनाया जाना।
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