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संवर्धित पाठ्यचर्या (Enriched Curriculum) : अर्थ एंव विशेषताएँ

संवर्धित पाठ्यचर्या (Enriched Curriculum) : अर्थ एंव विशेषताएँ
संवर्धित पाठ्यचर्या (Enriched Curriculum) : अर्थ एंव विशेषताएँ

संवर्धित पाठ्यचर्या (Enriched Curriculum)

पाठ्यचर्या संवर्धन किसी भी शिक्षा प्रणाली में सार्थक एवं गतिशील प्रक्रिया है। यह पूरी तरह से एक उन्नतशील शिक्षा प्रणाली के लिए महत्त्वपूर्ण है। पाठ्यचर्या सामग्री कितनी अच्छी है अथवा उसके सिद्धान्त एवं तर्क कितने अच्छे है यह अपने परिणाम पर तभी पहुँच सकता है, जब उसका कोई नेतृत्व करने वाला हो। कक्षा-कक्ष में शिक्षक पाठ्यचर्या के लिए महत्त्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह करता है। यह भी उल्लेखनीय है कि कभी-कभी पाठ्यचर्या संवर्धन बिना शिक्षक के अपना स्थान नहीं ले पाता है। पाठ्यचर्या संवर्धन पाठ्यचर्या में उत्साह एवं मनोरंजन का प्रवाह करता है। छात्रों को नियोजित क्रियाओं में दक्ष बनाने एवं प्रेरणा प्रदान करने के लिए पाठ्यचर्या संवर्धन आवश्यक होता है। यह अधिगम अनुभव एवं शिक्षण उपागमों को सवर्धित करता है। इसके अन्तर्गत प्रत्येक अधिगमकर्ता को अद्वितीय माना जाता है। इसके द्वारा अधिगम सरल हो जाता है, विशेषकर उस स्थिति में जब वह मनोरंजन के साथ अधिगम करता है। इसके साथ मनोरंजन अधिक अर्थपूर्ण हो जाता है।

पाठ्यचर्या संर्वधन प्रमुख रुप से तीन प्रकार का होता है। प्रथम प्रकार में पाठ्यचर्या का एक विस्तृत भाग छात्रों को प्रदान किया जाता है तथा उनकी रुचि के अनुसार विभिन्न क्रियाएँ सम्पादित कराई जाती हैं। दूसरे प्रकार के संवर्धन में विशेष छात्रों के लिए विभिन्न क्रियाओं का निर्माण किया जाता है जो उनके रुचि के अनुसार कौशलों का विकास करके पाठ्यचर्या को पूर्ण किया जाता है। इसमें प्रथम प्रकार के पाठ्यचर्या को भी सम्मिलित किया जाता है। तृतीय प्रकार की पाठ्यचर्या संवर्धन में प्रतिभाशाली एवं प्रतिभावान छात्रों के समूहों के लिए होता है। छोटे-छोटे छात्र सामूहिक रुप से समस्याओं का समाधान करते हैं। वे ज्ञान को उत्पन्न करने वाले होते हैं न कि उसे ग्रहण करने वाले समस्याओं को विभिन्न क्रियाओं द्वारा हल किया जाता है तथा अनुसन्धान का निर्माण करके समस्याओं को पता लगाया जाता है।

संवर्धित पाठ्यचर्या की विशेषताएँ (Characteristics of Enriched Curriculum)

सवंर्धित पाठ्यचर्या की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-

  1. पाठ्यचर्या के सम्पादन में शिक्षक एक अनिवार्य कड़ी के रूप में कार्य करता है।
  2. इस प्रकार की पाठ्यचर्या में रुचि एवं मनोरंजन का भी समावेश होता है।
  3. यह सामान्य एवं विशिष्ट बालकों को ध्यान में रखकर बनाया जाता है।
  4. इस प्रकार की पाठ्यचर्या के द्वारा सामूहिक रूप से अध्ययन करने के लिए प्रेरित किया जाता है।

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Anjali Yadav

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