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सीखने की दशाएँ | Conditions of Learning in Hindi

सीखने की दशाएँ | Conditions of Learning in Hindi
सीखने की दशाएँ | Conditions of Learning in Hindi

सीखने की दशाएँ (Conditions of Learning)

मैने ने अधिगम की आठ दशाओं को चिन्हित किया है। इन दशाओं को गैने ने सरलतम से जटिलतम के पदानुक्रम में रखा है। यद्यपि गैने ने इन अवस्थाओं को अधिगम के प्रकार के रूप में प्रस्तुत किया है। लेकिन उनकी रुचि वास्तविकता को जानने की है कि कौन सा अवलोकन योग्य व्यवहार प्रकट करता है। गैने द्वारा प्रतिपादित अधिगम के विभिन्न प्रकारों को एवं उससे सम्बन्धित व्यवहारों को निम्नलिखित सारणी द्वारा प्रकट किया गया है-

मैने द्वारा प्रतिपादित अधिगम एवं उनके व्यवहारों को प्रदर्शित करने का पदानुक्रमित क्रम

अधिगम प्रकार व्यवहार
संकेत (Sign Learning) इसमें व्यक्ति एक दिए हुए संकेत के प्रति अनुबंधित अनुक्रिया प्रकट करता है।
उद्दीपन अनुक्रिया अधिगम (Stimulus Response Learning) इसमें व्यक्ति किसी विशिष्ट उद्दीपक के प्रति अनुक्रिया प्रकट करता है एवं इच्छित व्यवहार को पुरस्कृत भी किया जाता है।
श्रृंखलन (Chaining) पूर्व में सीखे गए दो या दो से अधिक उद्दीपक अनुक्रिया अनुबन्धनों को आपस में जोड़ दिया जाता है।
शाब्दिक साहचर्य (Verbal Association) शाब्दिक श्रृंखलाएँ जैसे बालक किसी वस्तु को उनके नाम से है। जैसे-लाल घोड़ा, पीला फूल अथवा वह किसी अंग्रेजी शब्द के हिन्दी रूपान्तरण की पहचान कर लेता है। जैसे-good-अच्छा
बहुविकल्पीय विभेदीकरण (Multiple Discrimination) जिन शाब्दिक श्रृंखलाओं का अधिगम अधिगमकर्ता पहले कर चुका है। उनमें अन्तर स्थापित करना सीख लेता है।
सम्प्रत्यय (Concept Learning) उद्दीपकों के एक समान वर्ग के अन्तर्गत सामान्य अनुक्रिया अधिगम में अधिगमकर्ता किसी उद्दीपक को उसकी अमूर्त विशेषताओं जैसे प्रकृति, रंग, स्वरूप आदि के आधार पर पहचान लेता है।
नियम अधिगम (Rule Learning) अधिगमकर्ता नियम को सीखने के लिए दो सम्प्रत्ययों को जोड़ता है। जैसे – 100°c पर पानी भाप में परिवर्तित हो जाता है। इस नियम को निर्मित करने के लिए अधिगमकर्ता दो सम्प्रत्ययों जैसे तापमान एवं भाप बनने की प्रक्रिया के बिन्दुओं को जोड़ना होगा।
समस्या समाधान (Problem Solving) इसमें अधिगमकर्ता किसी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए नियमों का प्रयोग करता है। समस्या समाधान दो या दो से अधिक नियमों का सम्मिलित उत्पाद होता है। अधिगम के इस उच्चतम स्तर पर अधिगमकर्ता को चिन्तन, मनन आदि अन्तः क्रियाओं का सहारा लेना पड़ता है।

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Anjali Yadav

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