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अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद् | ALL INDIA COUNCIL FOR TECHNICAL EDUCATION AICTE
इस परिषद् की स्थापना ‘सरकार समिति’ (Sarkar Committee) की सिफारिश पर 1945 में एक सलाहकार निकाय के रूप में की गई। इसको 1987 के अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद् अधिनियम संख्या 52 द्वारा संवैधानिक स्तर प्रदान किया गया। अधिनियम 28 मार्च, 1988 से लागू हुआ। अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद् के मुख्य कार्यों में देश में तकनीकी शिक्षा की उपयुक्त योजना व समन्वित विकास पद्धति की योजनागत गुणात्मक वृद्धि तथा विनियमन के सम्बन्ध में सभी स्तरों पर गुणात्मक सुधारों तथा मानदण्डों व स्तरों का अनुरक्षण (Maintenance) शामिल है। इस अधिनियम के अनुसार परिषद् के निम्नांकित कार्य हैं-
1. तकनीकी शिक्षा का नियोजन,
2. स्तरों तथा मानदण्डों का निर्धारण एवं अनुरक्षण,
3. प्रत्यापन (Accreditation),
4. प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्रों के लिए वित्तीय व्यवस्था,
5. अनुश्रवण (Monitoring) तथा मूल्यांकन,
6. प्रमाणनं (Certification).
7. उपाधियों की समकक्षता का निर्धारण तथा
8. तकनीकी तथा प्रबन्ध शिक्षा के बीच समन्वय स्थापित करना।
राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद् (NATIONAL COUNCIL OF TEACHER EDUCATION NCTE)
राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 1986 में यह कहा गया है कि राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद् को शिक्षक-शिक्षा संस्थाओं को प्रत्यापित करने तथा पाठ्यचर्या व पद्धतियों के बारे में दिशा-निर्देश प्रदान करने के लिए आवश्यक संसाधन तथा क्षमता उपलब्ध करायी जायेगी। राष्ट्रीय शिक्षा नीति की कार्य योजना में इसे संवैधानिक दर्जा देने की परिकल्पना की गई। इस परिकल्पना को 1993 में साकार रूप प्रदान किया गया। राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद् विधेयक, 1993 लोकसभा द्वारा 14-5-93 को तथा राज्यसभा द्वारा 9-12-93 को पारित किया गया। राष्ट्रपति की स्वीकृति के बाद यह राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद् अधिनियम 1993 के नाम से जाना गया। अधिनियम के अनुसार इस परिषद् में निम्नलिखित को सदस्यता प्राप्त है-
1. केन्द्र सरकार द्वारा नियुक्त चेयरमैन, वाइस चेयरमैन तथा सदस्य-सचिव।
2. निम्नलिखित पदेन सदस्य होंगे-
(i) शिक्षा विभाग का सचिव,
(ii) विश्वविद्यालय अनुदान आयोग का चेयरमैन,
(iii) राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसन्धान एवं प्रशिक्षण परिषद् का निदेशक,
(iv) राष्ट्रीय शैक्षिक आयोजन तथा प्रशासन संस्थान (नीपा) का निदेशक,
(v) प्लानिंग कमीशन का शिक्षा सलाहकार,
(vi) केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड का चेयरमैन,
(vii) वित्त सलाहकार,
(viii) अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद् (AICTE) का सदस्य सचिव तथा
(ix) सभी क्षेत्रीय समितियों के चेयरमैन।
3. भारत सरकार द्वारा नियुक्त निम्न 13 व्यक्ति-
(i) शिक्षा संकायों के अधिष्ठाता तथा विश्वविद्यालयों में शिक्षा के प्रोफेसर–चार।
(ii) माध्यमिक शिक्षक शिक्षा का विशेषज्ञ–एक ।
(iii) पूर्व माध्यमिक तथा प्राथमिक शिक्षक-शिक्षा के विशेषज्ञ तीन।
(iv) नॉन फॉरमल एजूकेशन तथा प्रौढ़ शिक्षा के विशेषज्ञ दो।
(v) प्राकृतिक विज्ञान, समाज विज्ञान, भाषा-विज्ञान, व्यावसायिक शिक्षा कार्य अनुभव, शैक्षिक तकनीकी तथा विशेष शिक्षा के क्षेत्रों के विशेषज्ञ तीन ।
4. भारत सरकार द्वारा नियुक्त 9 सदस्य जी राज्यों तथा संघशासित क्षेत्रों के प्रतिनिधि होंगे।
5. संसद के तीन सदस्य 2 लोकसभा तथा एक राज्यसभा का।
6. भारत सरकार द्वारा नियुक्त तीन सदस्य जो प्राथमिक तथा माध्यमिक शिक्षा के शिक्षकों का प्रतिनिधित्व करेंगे।
चेयरमैन, वाइस चेयरमैन तथा सदस्य-सचिव पूर्णकालिक होंगे और उनके पद की अवधि चार वर्ष होगी। परिषद् की वर्ष में कम-से-कम एक बार अवश्य बैठक होगी। परिषद् की कार्यकारिणी समिति के निम्नलिखित सदस्य होंगे-
1. चेयरमैन, वाइस चेयरमैन तथा सदस्य-सचिव (Member Secretary),
2. शिक्षा विभाग का सचिव का पदेन,
3. विश्वविद्यालय अनुदान आयोग का सचिव पदेन,
4. राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसन्धान एवं प्रशिक्षण परिषद् का निदेशक,
5. शिक्षा विभाग में भारत सरकार का वित्त सलाहकार,
6. भारत सरकार द्वारा मनोनीत शिक्षक शिक्षा के क्षेत्र के 4 विशेषज्ञ,
7. भारत सरकार द्वारा मनोनीत राज्य सरकारों के प्रतिनिधि,
8. क्षेत्रीय समितियों के चेयरमैन ।
राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद् ने चार क्षेत्रीय समितियों की नियुक्ति की है-(अ) पूर्वी क्षेत्रीय समिति, (ब) पश्चिमी क्षेत्रीय समिति, (स) उत्तरी क्षेत्रीय समिति तथा (द) दक्षिणी क्षेत्रीय समिति क्षेत्रीय समिति में निम्नलिखित को सदस्यता प्राप्त होगी-
1. परिषद् द्वारा मनोनीत एक सदस्य ।
2. क्षेत्र में आने वाले राज्यों तथा संघ शासित प्रदेशों का एक-एक प्रतिनिधि।
3. शिक्षक-शिक्षा के क्षेत्र के विशेषज्ञ इनकी संख्या का निर्धारण विनियमन द्वारा होगा।
4. परिषद् क्षेत्रीय परिषद् के किसी एक सदस्य को समिति का चेयरमैन नियुक्त करेगी।
परिषद् के प्रमुख कार्य इस प्रकार होंगे-
1. शिक्षक-शिक्षा के व्यवसायीकरण को रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाना।
2. शिक्षक शिक्षा के विभिन्न क्षेत्रों में अनुसन्धान एवं नवाचारों को प्रोत्साहित करना।
3. शिक्षक शिक्षा के मानक निर्धारित करने तथा उन्हें बनाये रखने के लिए प्रविधियों का निर्माण करना।
4. संस्थाओं की जवाबदेही के लिए मानकों, मूल्यांकन पद्धति, आदि का निर्धारण करना तथा उन्हें लागू करना।
5. संस्थाओं द्वारा ली जाने वाली ट्यूशन तथा अन्य फीसों के सम्बन्ध में दिशा-निर्देश प्रदान करना।
6. शिक्षक-शिक्षा संस्थाओं के लिए प्रवेश के नियमों का निर्धारण करना, आदि।
राष्ट्रीय शैक्षिक आयोजना तथा प्रशासन संस्थान (NATIONAL INSTITUTE OF EDUCATIONAL PLANNING AND ADMINISTRATION NIEPA)
राष्ट्रीय शैक्षिक आयोजना एवं प्रशासन संस्थान (नीपा) शैक्षिक आयोजना एवं प्रशासन के क्षेत्र में राष्ट्रीय शीर्षस्थ संस्था के रूप में भारत सरकार द्वारा गठित एक स्वायत्तशासी निकाय है। यह संस्थान 1962 में यूनेस्को (UNESCO) के साथ दस वर्षीय संविदा के तहत स्थापित किया गया। उस समय इसका नाम था *एशियन इंस्टीट्यूट ऑफ एजूकेशनल प्लानिंग एण्ड एडमिनिस्ट्रेशन’ (Asian Institute of Educational Planning and Administration)। इस संविदा की समाप्ति के बाद भारत सरकार ने शिक्षा आयोग की सिफारिश पर इस संस्थान को अपने हाथों में ले लिया, उसका नाम रखा–’नेशनल स्टाफ कॉलेज फॉर एजूकेशनल प्लानिंग एण्ड एडमिनिस्ट्रेशन’। मई 1979 में भारत सरकार ने इस संस्थान को वर्तमान नाम ‘राष्ट्रीय शैक्षिक योजना एवं प्रशासन संस्थान’ (National Institute of Educational Planning and Administration — NIEPA) दिया। यह स्थान नई दिल्ली में स्थित है।
संस्थान का कार्य क्षेत्र (Main Areas of Activities of the Institute) संस्थान के कार्यकलापों का मुख्य क्षेत्र शैक्षिक आयोजकों और प्रशासकों का प्रशिक्षण, अनुसन्धान नवाचारों तथा परामर्शी सेवाओं का प्रसार, आदि शामिल है। इसके प्रमुख कार्यों का संक्षेप में वर्णन नीचे दिया जा रहा है-
(1) शिक्षा नियोजकों तथा प्रशासकों का प्रशिक्षण– यह संस्थान भारत के शैक्षिक कार्यकर्ताओं के प्रशिक्षण के लिए विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालित करता है। यह शैक्षिक नीतियों पर विचार-विमर्श करने के लिए विभिन्न सेमीनारों तथा वर्कशॉपों का भी आयोजन करता है। इसने अब तक भारत के विभिन्न राज्यों तथा संघ प्रदेशों के हजारों अधिकारियों को प्रशिक्षित किया है। संस्थान जिला शिक्षा अधिकारियों के लिए डिप्लोमा कोर्स भी संचालित कर रहा है। इनमें से प्रमुख ‘DEPA’ (Diploma in Educational Planning and Administration) है जिसकी अवधि छः माह की है। इस अवधि में उनको तीन माह में पाठ्यक्रम कार्य कराया जाता है और शेष तीन माह में व्यवसाय से सम्बन्धित प्रोजेक्ट कार्य कराया जाता है। यह संस्थान विदेशी कर्मचारियों के लिए भी प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालित करता है। इस संस्थान द्वारा आयोजित सेमीनार तथा प्रशिक्षण कार्यक्रमों में अफगानिस्तान, भूटान, बंगला देश, चीन, इथोपिया, हंगरी, इण्डोनेशिया, कोरिया, मलेशिया, नेपाल, मॉरीशस, पाकिस्तान, फिलीपीन्स, श्रीलंका, थाईलैण्ड, संयुक्त राज्य अमेरिका, यूगोस्लाविया, आदि देशों ने भाग लिया है।
(2) अनुसन्धान- संस्थान ने अनुसन्धान के क्षेत्र में शैक्षिक आयोजना एवं प्रशासन के विभिन्न पक्षों में अनुसन्धान कार्य शुरू करता, सहायता प्रदान करता, बढ़ावा देता तथा समन्वित करता है। इसकी अनुसन्धानात्मक क्रियाएँ विभिन्न प्रकार की हैं। इनमें सर्वेक्षण, विश्लेषणात्मक अध्ययन तथा अनुसन्धान प्रायोजनाएँ प्रमुख हैं।
(3) नवाचारों का प्रसार- यह संस्थान नवाचारों के प्रसार के लिए महत्त्वपूर्ण कार्य कर रहा है। इसके लिए 1983 में इस संस्थान ने अन्तर्राज्यीय भ्रमणों (Visits) का आयोजन किया। इसके साथ ही उसने विभिन्न राज्यों में प्रयुक्त नवाचारों को प्रसारित करने के लिए अन्य माध्यमों का प्रयोग किया।
(4) परामर्शदात्री सेवा- यह संस्थान विभिन्न राज्यों तथा संघ शासित प्रदेशों के लिए परामर्शदात्री सेवाएँ प्रदान करता है। इसने जम्मू व कश्मीर, सिक्किम, दादरा व नगरहवेली, हरियाणा, आदि में सेवाएँ प्रदान की हैं। संस्थान ने हरियाणा की प्रार्थना पर विद्यालयों की स्थापना तथा विद्यालयों को प्रोन्नत करने के मानकों का निर्माण किया। संस्थान ने जिला प्राथमिक शिक्षा कार्यक्रम के आयोजन में सहायता की है। साथ ही यह केन्द्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड (CABE) की विभिन्न समितियों को व्यावसायिक सहायता प्रदान करता है। संस्थान ने नौ सर्वाधिक जनसंख्या वाले देशों की ‘सभी के लिए शिक्षा समिति’ के संगठन में शैक्षिक सहायता प्रदान की।
(5) प्रकाशन कार्यक्रम- संस्थान शैक्षिक नियोजन तथा प्रशासन से सम्बन्धित विभिन्न प्रकाशनों को प्रकाशित कर रहा है। इनमें पुस्तकें, पत्र-पत्रिकाएँ, प्रतिवेदन, आदि प्रमुख हैं-
1. पुस्तकें—(i) एजूकेशन एण्ड दी न्यू सोशल ऑर्डर (Education and the New Social Order)।
(ii) रिविटेलाइजिंग स्कूल कॉम्पलेक्सेज इन इण्डिया (Revitalising School Complexes in India) ।
2. पत्रिकाएँ- संस्थान की पत्रिका ‘शैक्षिक योजना और प्रशासन प्रमुख है। यह हिन्दी तथा अंग्रेजी दोनों भाषाओं में प्रकाशित होती है।
3. प्रतिवेदन- संस्थान ने विभिन्न प्रायोजनाओं के प्रतिवेदनों को भी प्रकाशित कराया है।
(6) सहयोग- यह संस्थान विभिन्न राष्ट्रीय संगठनों-विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसन्धान एवं प्रशिक्षण परिषद्, विज्ञान एवं औद्योगिक अनुसन्धान परिषद् (Council of Scientific and Industrial Research CSIR), योजना आयोग, इण्डियन इन्स्टीट्यूट ऑफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन, भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसन्धान परिषद्, नेशनल इन्स्टीट्यूट ऑफ एप्लाइड मेनपॉवर रिसर्च, केन्द्रीय विद्यालय संगठन, प्रौढ़ शिक्षा निदेशालय, आदि से सहयोग एवं सम्बन्ध रखती है। यह संस्थान अन्तर्राष्ट्रीय संगठनों से भी घनिष्ठ सम्बन्ध रखती हैं। इनमें यूनेस्को, रीजनल ऑफिस, बैंगकॉक, इन्स्टीट्यूट ऑफ एजूकेशनल प्लानिंग, पेरिस, कॉमन वेल्थ सचिवालय, लन्दन, आदि प्रमुख हैं।
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