निम्नलिखित पर व्याख्यात्मक टिप्पणियाँ लिखिए। Write Explanatory notes on the following.
- अदत्त व्यय (Outstanding Expenses)
- पूर्वदत्त व्यय (Prepaid Expenses)
- उपार्जित आय (Accrued Income)
- अनुपार्जित आय (Unearned Income)
Contents
(1) अदत्त व्यय (Outstanding Expenses)
ऐसे व्यय जो चालू वर्ष से सम्बन्धित हैं लेकिन वर्ष की अन्तिम तिथि तक उसका भुगतान नहीं किया गया है, बकाया खर्चे या अदत्त व्यय कहलाते हैं। यथा-किराया, वेतन, मजदूरी आदि ऐसे व्यय होते हैं जिनकी उपयोगिता प्राप्त कर ली गई है लेकिन अन्तिम तिथि तक भुगतान नहीं किया गया है अतः उनका लेखा बहियों में नहीं हुआ है। अन्तिम लेखों से सही जानकारी प्राप्त करने के लिए इन व्ययों को हिसाब की बहियों में लाने के लिए सम्बन्धित खर्च खाते को डेबिट किया जायेगा। इस समायोजन प्रविष्टि से सम्बन्धित खर्च खाते का शेष बढ़ जायेगा। अन्तिम लेखे तैयार करते समय अदत्त व्यय की राशि व्यापारिक एवं लाभ-हानि खाते के डेबिट पक्ष में सम्बन्धित खर्च की राशि में जोड़ दी जायेगी तथा अदत्त व्यय खाते को चिट्टे के दायित्व पक्ष की ओर दिखाया जायेगा।
(ii) पूर्वदत्त व्यय (Prepaid Expenses)
कुछ व्ययों को चालू लेखा वर्ष में अग्रिम भुगतान कर दिया जाता है लेकिन इनकी पूरी या आंशिक उपयोगिता आगमी वर्ष में प्राप्त होगी, ऐसे व्यय पेशगी व्यय या पूर्वदत्त व्यय कहलाते हैं। जैसे बीमा प्रीमियम, दुकान का किराया आदि अग्रिम चुका दिया जाता है। ये व्यय इस वर्ष से सम्बन्धित नहीं है तथा उनका लाभ आगामी वर्ष में प्राप्त होगा। अतः इन व्ययों का अन्तिम खातों में समायोजन करना आवश्यक होता है। चूँकि व्यय आगामी वर्ष से सम्बन्धित है इसलिए सम्बन्धित खर्च की राशि में से कम की जाएगी। इसके लिए पूर्वदत्त व्यय खाते को डेबिट किया जाएगा तथा सम्बन्धित खर्च खाते की राशि में घटा दी जायेगी तथा चिट्ठे को सम्पत्ति पक्ष में दिखाया जायेगा।
(iii) उपार्जित आय (Accrued Income)
वह आय जो लेखा वर्ष में कमा ली गई है लेकिन वर्ष के अन्त तक प्राप्त नहीं हुई है, उपार्जित आय कहलाती है। जैसे निवेशों पर ब्याज या लाभांश, कमीशन, किराया आदि से सम्बन्धित राशि प्राप्त न होने के कारण बहियों में सम्मिलित नहीं हो पाती है। अतः चालू वर्ष का सही लाभ ज्ञात करने के लिए ऐसी आय का लेखा करना आवश्यक है। आय के ऐसे अप्राप्य भाग को उसी वर्ष की आय में दिखाने के लिए उपार्जित आय खाते को डेबिट किया जाएगा। खाते को क्रेडिट किया जायेगा अन्तिम लेखों में उपार्जित आय की राशि लाभ-हानि खाते के क्रेडिट में सम्बन्धित आय में जोड़ दी जाएगी तथा चिट्ठे के सम्पत्ति पक्ष में दिखायी जाएगी।
(iv) अनुपार्जित आय या पेशगी प्राप्त आय (Unearned Income or Income Received in Advance)
कभी-कभी सेवा या कार्य करने से पहले ही कुछ आय प्राप्त हो जाती है। यह अग्रिम में प्राप्त आय चालू वर्ष से सम्बन्धित नहीं होती है बल्कि आगामी वर्ष या वर्षों से सम्बन्धित होती है। ऐसी प्राप्ति अनुपार्जित आय या पेशगी प्राप्त आय कहलाती है। जैसे किराया, कमीशन आदि अग्रिम प्राप्त किए जा सकते हैं। यह आय चालू वर्ष की नहीं मानी जा सकती है, अतः वर्ष का शुद्ध लाभ-हानि ज्ञात करने के लिए इसका समायोजन करना आवश्यक है। इसके समायोजन के लिए अग्रिम प्राप्त राशि से सम्बन्धित आय का खाता डेबिट किया जायेगा तथा अनुपार्जित आय खाता क्रेडिट किया जाएगा। अन्तिम लेखों में अनुपार्जित आय की राशि लाभ-हानि खाते के क्रेडिट पक्ष में सम्बन्धित आय में से घटा दी जाएगी तथा चिट्ठे के दायित्व पक्ष में दिखाई जाएगी।
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