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अधिकारों के भारार्पण से आप क्या समझते है ? भारार्पण की प्रमुख विशेषताएँ

अधिकारों के भारार्पण से आप क्या समझते है ? भारार्पण की प्रमुख विशेषताएँ
अधिकारों के भारार्पण से आप क्या समझते है ? भारार्पण की प्रमुख विशेषताएँ

‘अधिकारों के भारार्पण’ से आप क्या समझते है ? 

भारार्पण से आशय (Meaning of Delegation)

‘भरार्पण’ का सरल शाब्दिक अर्थ है-कार्य भार किसी अन्य व्यक्ति को अर्पित करना या सौंपना । जब एक उच्च अधिकारी अपने अधीनस्थ अधिकारी को कोई कार्य सौंपते समय उसे पूरा करने के लिए आवश्यक अधिकार प्रदान करता है, तो प्रशासन की भाषा में इसे ‘भरार्पण’ कहते हैं। एफ० जी० मूरे के अनुसार, ‘एकाकी व्यक्ति केवल एक मानव-शक्ति है।” अतः जब किसी व्यवसायी का कारोबार बहुत अधिक बढ़ जाता है, तो वह स्वयं सभी बातों को ध्यान देने में असमर्थ रहता है। अतः सुविधा के लिए वह अपने कार्य का विभाजन करके इसका एक भाग अपने अधीन व्यक्तियों को सौंप देता है और ऐसी शर्तें नियत कर देता है, जिनके कारण वह उनको निष्पादन के लिए जवाबदेह ठहराया जा सकता है। ‘प्रत्यायोजन’ ‘भरार्पण’ या ‘प्रतिनिधान’ की कुछ प्रमुख परिभाषाएं इस प्रकार हैं-

एफ० जी० मूरे के अनुसार, “भारार्पण से तात्पर्य है अन्य लोगों को काम सौंपना तथा कार्य के निष्पादन हेतु अधिकार देना ।”

ई०एफ० एल० बेच के अनुसार, “भारार्पण का आशय है प्रबन्ध प्रक्रिया के चार तत्वों का एक अंश दूसरों को हस्तान्तरित करना। “

लुइस ए० एलेन के अनुसार, “भारार्पण प्रबन्ध की क्रियात्मक संचालन शक्ति है। यह एक ऐसी प्रक्रिया है। जिसका अनुसरण करते हुए एक प्रबन्धक अपने कार्य को इस तरह विभाजित करता है कि इसका ऐसा भाग जो केवल वह स्वयं ही संगठन में अपनी अद्वितीय स्थिति के कारण प्रभावपूर्ण के साथ कर सकता है, वह स्वयं करता है, और अन्य भागों के सम्बन्ध में ही दूसरों से सहायता लेता है।”

भारार्पण की प्रमुख विशेषताएँ (Characteristics of Delegation)

(1) भारार्पण का आशय यह नहीं होता कि उच्च अधिकारी अपने अधीनस्थ कर्मचारियों का कुछ अधिकार सौंपकर स्वयं उनके अधिकारों से वंचित हो जाए। उच्च अधिकारी को तो वे अधिकार रहते ही है।

(2) भारार्पण का आशय होता है कि प्रबन्धक द्वारा स्वतन्त्र रूप से अधिकारों का प्रयोग करना। इस सम्बन्ध में उच्च अधिकारी कुछ सीमाएँ भी लगा सकता है। इन सीमाओं के अन्तर्गत संस्था की नीतियों, नियमों तथा कार्यविधि को ध्यान में रखकर ही कार्य किया जाना चाहिए।

(3) एक प्रबन्धक ऐसे अधिकार अपने अधीनस्थ कर्मचारियों को नहीं सौंप सकता, जो उसे स्वयं ही प्राप्त न हो ।

(4) भारार्पण सामान्य तथा विशेष हो सकते हैं। विशेष भरार्पण के अन्तर्गत अनेक कार्य विशेष रूप से सौंप जाते हैं तथा सामान्य भारार्पण में सभी कार्य सामान्य रूप से सौंप दिए जाते हैं।

(5) अधिकार सौंपने वाले अधिकारी को उत्तरदेयता निम्न अधिकार के ऊपर नहीं जाती। दूसरे शब्दों में, उच्च अधिकारी ही अन्तिम परिणाम के लिए अन्तिम रूप से उत्तरदायी माना जाएगा।

(6) जो अधिकार सौंपे गए हैं उन्हें आवश्यकता पड़ने पर कम किया जा सकता है, बढ़ाया जा सकता है। या वापस भी लिया जा सकता है।

(7) अधिकारों के भारार्पण में यह ध्यान रखना चाहिए कि प्रायः सामान्य प्रकृति के कार्य ही अधीनस्थ कर्मचारियों को सौंपे जाए।

(8) भारार्पण मौखिक अथवा लिखित भी हो सकते हैं।

(9) भारार्पण एक कला है, इसलिए इसका प्रयोग करते समय कुछ नियमों को ध्यान में रखना चाहिए।

(10) अधिकारो का भारार्पण ऊपर से नीचे की ओर होता है।

(11) अधिकार सौंपने की मूल प्रक्रिया में तीन बातें शामिल करते हैं-

(अ) काम सौंपना, (ब) अधिकार प्रदान करना, तथा (स) उत्तरदायित्व निर्धारित करना।

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Anjali Yadav

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