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अन्तर्दृष्टि या सूझ सिद्धान्त की विशेषताएँ (Characteristics of Insight Theory)
1) अन्तर्दृष्टि से किसी समस्या का समाधान ढूंढ़ते समय सूझ यकायक ही पैदा होती है। सूझ उत्पन्न होने से व्यक्ति के लक्ष्य एवं उपायों के मध्य एक सम्बन्ध स्थापित होता है।
2) सीखने की समस्त प्रक्रिया सूझ पर आधारित होती है। सूझ के निर्माण से पूर्व व्यक्ति समस्या का समाधान करने के प्रयास में थोड़े समय के लिए शिथिल, निष्क्रय और असहाय हो जाता है।
3) इस सिद्धान्त में पूर्व अनुभव सहायक होते हैं। सीखने की प्रक्रिया अहा अनुभव (Aha experience) पर आधारित है।
4) अन्तर्दृष्टि द्वारा प्रत्यक्षीकरण में सहायता मिलती है। जब तक किसी समस्या का पूर्ण प्रत्यक्षीकरण संभव नहीं होता तब तक अन्तर्दृष्टि भी नहीं होती है।
5) सूझ का आयु और अनुभव के साथ घनिष्ठ सम्बन्ध होता है। बालकों की अपेक्षा प्रौढों में सूझ अधिक होती है।
6) इसमें सीखने में निपुणता प्राप्त करने की अपेक्षा सूझ का अधिक महत्व रहता है।
7) अन्तर्दृष्टि की समस्या परिस्थितियों पर निर्भर रहती है।
8) इस सिद्धान्त से सीखना स्पष्ट एवं स्थायी होता है।
9) यह सिद्धान्त बालकों में सीखने की स्वाभाविक विधि बतलाता है।
10) अन्य प्राणियों की अपेक्षा मानव की बौद्धिक क्षमता अधिक होती है इसलिए मानव में सूझ भी अधिक होती है।
11) सूझ सिद्धान्त में उद्देश्य प्राप्ति प्रेरक का कार्य करता है।
12) इस सिद्धान्त के मूल में प्रयास एवं त्रुटि रहती है।
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