आधुनिक भारतीय राजनीतिक चिन्तन में गोपाल कृष्ण गोखले के योगदान को स्पष्ट कीजिए।
गोपाल कृष्ण गोखले का नाम आधुनिक भारतीय राजनीतिक विचारकों में प्रमुख रूप से लिया जाता है। ये आधुनिक भारत के प्रमुख समाज सुधारक भी थे। इन्होंने अपने राजनीतिक विचार दार्शनिक और आध्यात्मिक चिन्तन के आधार पर प्रदान किये हैं। इनका नाम राष्ट्रवादी विचारकों में प्रमुख रूप से लिया जाता है। ये मानवता के प्रबल समर्थक थे तथा राजनैतिक जीवन नैतिकता को सर्वश्रेष्ठ स्थान प्रदान किया है। बिना नैतिकता के राजनीतिक प्रयास अधूरे रह जाते हैं। उन्होंने ” महादेव गोविन्द रानाडे” को अपना राजनैतिक गुरू मानते हुए मानव कल्याण के कार्यों को करने की प्रेरणा प्राप्त की तथा राष्ट्र और समाज की जीवन पर्यन्त निस्वार्थ सेवा करते रहे और एक संत की भांति अपना जीवन व्यतीत करते रहे। देश तथा समाज के प्रति गोखले महोदय के विचार निम्नलिखित थे।
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साध्य और साधन-
आधुनिक भारतीय राजनीतिक विचारक गोपाल कृष्ण गोखले ने अपने विचारों को मानवता की नैतिकता पूर्ण सेवा में समर्पित कर दिया है। उनके अनुसार व्यक्ति एक नितिक प्राणी है। इसलिए मनुष्य के जीवन का लक्ष्य नैतिकता पूर्ण होना चाहिए। इसके साथ-साथ सार्वजनिक जीवन में भी नैतिकता का परित्याग नहीं करना चाहिए तथा सार्वजनकि कार्य को व्यक्ति को अपनी अन्तरात्मा से करने चाहिए और कार्य के परिणाम की इच्छा नहीं करना चाहिए। उनका मानना है कि मानव जीवन राजनीति से प्रेरित होता है। इसलिए इसे नैतिकता से पूर्ण रूप से अलग नहीं किया जा सकता है तथा नैतिकता के मार्ग पर यदि व्यक्ति सांसारिक दृष्टि से असफल हो जाए तो भी उसकी नैतिक शक्ति में अत्यधिक वृद्धि हो जायेगी और उसका जीवन सफल हो जायेगा। उनके अनुसार कार्य की सिद्धि के लिए साच्य तथा साधन दोनों ही नैतिक होने चाहिए। इस प्रकार गोखले अपने इन्हीं नैतिक विचारों के आधार पर देश में राजनीति के आध्यात्मीकरण तथा नैतिक पुनरुत्थान के लिए जीवन पर्यन्त कार्य करते रहे। उनके विचार आने वाले भारतीयों के लिए मील के पत्थर के समान रास्ता दिखाते रहे तथा आगे बढ़ने की प्रेरणा प्रदान करते रहे।
देश की स्वतन्त्रता के लिए योगदान –
आधुनिक भारतीय विचारक गोपाल कृष्ण गोखले के समय देश में अंग्रेजी साम्राज्य छाया हुआ था। वे विदेशी शासन से मुक्ति प्राप्त करना चाहते थे किन्तु उनका विचार था कि विदेश शासन समाप्त होने से पहले भारत में फैली हुई कुरीतियों को समाप्त होना चाहिए क्योंकि इनके बनी रहने से भारत में स्वतन्त्रता का कोई अर्थ नहीं रहेगा और भारतीय समाज अपनी पुरानी परम्पराओं तथा रूढ़ियों में ही बंधा रहेगा तथा स्वतन्त्रता का लाभ सिर्फ विशिष्ट वर्ग ही उठायेगा। परिणामस्वरूप दलित व कमजोर वर्ग के लोग शोषण के शिकार होते रहेंगे। उनका मानना था कि सरकार के परिवर्तन से सारे समाज को स्वतन्त्रता नहीं प्राप्त हो जायेगी। समाज में स्त्रियों की स्थिति अत्यन्त दयनीय है और इस प्रकार से पूरे समाज में परिवर्तन नहीं किया जा सकता है। उनके अनुसार सम्पूर्ण समाज के अंधविस्वासों तथा अज्ञान को दूर करना ही सच्ची स्वतन्त्रता है।
सामाजिक सुधार-
महान भारतीय विचारक गोखले के अनुसार मनुष्य की प्रगति के लिए समाज सुधार अत्यन्त आवश्यक होता है। मनुष्य की आत्मा अन्यायपूर्ण रूढ़ियों तथा रीति-रिवाजों को समाप्त करने के लिए प्रेरित करती है। लेकिन इसके साथ-साथ व्यक्ति को समाज सुधार के लिए विधि का रास्ता भी अपनाना चाहिए। किन्तु आवश्यकता पड़ने पर जन साधारण का समर्थन प्राप्त करके समाज की दोषपूर्ण व्यवस्था को समाप्त अथवा परिवर्तित कर देना चाहिए। अपने इन्हीं विचारों के आधार पर गोखले महोदय समाज में फैली बुराइयों का विरोध करते रहे तथा स्वस्थ समाज के निर्माण में जीवन पर्यन्त सहयोग प्रदान करते रहे।
राष्ट्रवाद से सम्बन्धित विचार-
महान भारतीय विचारक गोपाल कृष्ण गोखले ने राष्ट्र तथा राष्ट्र की प्रगति के लिए नवीन विचार प्रस्तुत किये थे। उनके अनुसार राष्ट्रवाद के माध्यम से देश के नागरिकों का नैतिक विकास किया जाना चाहिए। अर्थात् सीधे अथवा सरल शब्दों में उनका कहना था कि राष्ट्रवाद का प्रमुख व महत्वपूर्ण लक्ष्य देश के नागरिकों का नैतिक उत्थान होना चाहिए। देश में निवास करने वाले निर्बल व्यक्तियों की सहायता के लिए सारे संसार से आवश्यक साधन उपलब्ध कराने चाहिए। इस दिशा में कार्य करते हुए वे “भारत सेवक समाज” नामक संस्था की स्थापना की थी और इसके माध्यम से वे गरीब व्यक्तियों की सेवा किया करते थे। ये राष्ट्र के उत्थान में अंग्रेज सरकार का सहयोग प्राप्त करने के इच्छुक थे तथा उनसे विरोध नहीं लेना चाहते थे। इसके लिए वे इंग्लैण्ड की सरकार से तालमेल स्थापित करने के पक्षधर थे। इनका विचार या कि अंग्रेज सरकार भारत के सामाजिक परिवर्तन में सहयोग प्रदान करेगी। कांग्रेस के द्वारा चलाये स्वदेशी आन्दोलन के गोखले महोदय पक्षधर तो थे किन्तु इनका विचार था कि विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार को इस आन्दोलन में शामिल नहीं करना चाहिए। गोखले महोदय प्रथम भारतीय विचारक थे जो ब्रिटिश सरकार में आस्था रखते हुए भी अंग्रेजों की गलत नीतियों की खुलकर आलोचना करते थे। इस प्रकार गोखले महोदय ने अंग्रेजी सरकार में आस्था बनाए रखते हुए भी राष्ट्र तथा समाज के लिए यथासम्भव कार्य किया।
इस प्रकार आधुनिक भारतीय राजनीतिक विचारक गोपाल कृष्ण गोखले अपने महत्वपूर्ण राजनैतिक विचारों के माध्यम से राष्ट्र की प्रगति के लिए संयमपूर्ण तरीके से कार्य करते रहे तथा अपने ओजस्वी विचारों से राष्ट्र की जनता में नैतिक, मानवता तथा राष्ट्र प्रेम के गुणों को विकसित करते रहे। इन्होंने अपने विचारों के माध्यम से लोगों में राष्ट्र के प्रति समर्पित होने की भावना को विकसित किया तथा “भारत सेवक समाज” नामक संस्था की स्थापना करके देश के कमजोर व गरीब लोगों की निरन्तर सेवा करते रहे। जिसके परिणामस्वरूप देश की जनता में ब्रिटिश सरकार के अन्यायपूर्ण कार्य के प्रति विरोध करने की भावना व साहस विकसित हो सका और सम्पूर्ण राष्ट्र स्वदेशी से स्वराज की ओर धीरे-धीरे अग्रसर होता चला गया और पूर्ण आजादी को प्राप्त करने में सफल हो सका। इस प्रकार गोखले महोदय अपने राजनैतिक विचारों के माध्यम से राष्ट्र तथा राष्ट्र के लोगों की सेवा करने तथा उनका उत्थान करने में सफल हुए।
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