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कोहलर का अन्तर्दृष्टि या सूझ द्वारा सीखने का सिद्धान्त (Kohler’s Insight Learning Theory)
इस सिद्धान्त का प्रतिपादन कोहलर ने सन् 1925 में किया था। उनके अनुसार किसी समस्या के समाधान में तीव्र गति से मस्तिष्क में आया परिवर्तन समग्र दृष्टि से आता है जिसे अन्तर्दृष्टि या सूझ कहते हैं। अधिगम के इस सिद्धांत के प्रतिपादक जर्मनी के गेस्टाल्टवादी है। इसलिए इसे गेस्टाल्ट सिद्धांत भी कहा जाता है। इसके मुख्य प्रवर्तक कोहलर काफ्का और वर्देमीयर हैं। गेस्टाल्ट एक जर्मन शब्द है जिसका शाब्दिक अर्थ है प्रमितान, रूप, संरचना या संस्थान इनके अनुसार व्यक्ति अपनी मानसिक क्षमता से सम्पूर्ण परिस्थिति को समझकर ही अधिगम प्राप्त करता है। इस सिद्धान्त के समर्थकों का मानना है कि सूझ अचानक उत्पन्न होती हैं इसके लिए अभ्यास की आवश्यकता नहीं होती है। सूझ निर्माण की प्रक्रिया में व्यक्ति चिंतन एवं तर्क शक्ति का प्रयोग करता है। इसके लिए समग्र परिस्थिति को समझकर ही व्यवहार किया जाता है। फर्नाल्ड के अनुसार, सूझ का अर्थ उद्दीपक-अनुक्रिया के मध्य बनने वाले सम्बन्धों को अचानक समझने से है।”
कोहलर ने अन्तर्दृष्टि सिद्धान्त के प्रतिपादन में सुल्तान नामक एक भूखे चिम्पांजी पर प्रयोग किए सर्वप्रथम उन्होने एक भूखे चिम्पांजी को एक कमरे में बंद कर चिम्पांजी की पहुंच से दूर कमरे की छत में कुछ केले टाँग दिए। कमरे में कोहलर ने कुछ खाली बक्से भी रख दिए । प्रारम्भ में चिम्पांजी ने उछल-उछल कर कैले लेने का बहुत प्रयत्न किया पर वो सफल नहीं हो सका। कुछ समय पश्चात् वह कमरे में रखे खाली बक्सों को एक के ऊपर एक रखते हुए केलों तक पहुँच गया। कोहलर ने बताया कि केलों की प्राप्ति के लिए चिम्पांजी ने सूझ का इस्तेमाल किया इस प्रकार सूझ निर्माण से अधिगम भी संभव है।
इसी प्रकार कोहलर ने दूसरा प्रयोग किया। इस बार उसने सुल्तान को पिंजरे में बंदकर केलों को बाहर रख दिया। पिंजरे में उन्होनें एक छड़ी भी रखी थी चिम्पांजी ने केलों को प्राप्त करने के लिए बहुत प्रयत्न किए परन्तु सफल नहीं हो सका निराश होकर चिम्पांजी बैठ गया। कुछ देर बाद उसने छड़ी की सहायता से केलों को अपने समीप खींच लिया। तीसरे प्रयोग में उन्होनें चिम्पांजी को एक पिंजरे में बंद कर केलों को पिंजरे से थोड़ी दूर रख दिया। इसके साथ ही उसने पिंजरे में दो लोहे की छड़ी भी रख दी।
चिम्पांजी ने शुरूआत में केलों की प्राप्ति के लिए बहुत यत्न किए लेकिन सफल नहीं हो सका। बाद में उसने युक्ति सोची एवं छड़ो को आपस में जोड़कर केलों को अपनी ओर खींच लिया। समस्या के समाधान के लिए चिम्पांजी ने अपने पूर्व अनुभवों की सहायता से क्षेत्रीय वस्तुओं में परस्पर सम्बन्ध स्थापित करना सीख लिया। इस प्रकार चिम्पांजी में सम्पूर्ण परिस्थिति को समझने के बाद अन्तर्दृष्टि का निर्माण हुआ। अन्तर्दृष्टि सिद्धान्त में विश्लेषण पर बल नहीं देकर अनुभव व संतुलन पर अधिक जोर दिया जाता है।
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