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परिवर्तन का विरोध क्यों (Why Resistance to change ?)
परिवर्तनों का प्रतिरोध यथास्थिति बनाये रखने के लिए किया जाता है, क्योंकि यथास्थिति सुरक्षा का कवच है। जो लाभ परिवर्तन से प्रभावित होते हैं या जिन्हें प्रभावित होने का डर होता है, वे अपनी सुरक्षा की दृष्टि से परिवर्तन का प्रतिरोध करते हैं। विभिन्न विद्वानों में प्रतिशोध के विभिन्न कारण बताये हैं जिन्हें अध्ययन की सुविधा की दृष्टि से निम्न शीर्षकों में विभक्त किया जा सकता है-
(1) व्यक्तिगत कारण-
परिवर्तन का प्रतिशोध वह व्यक्ति करते हैं जो या तो परिवर्तन से प्रभावित होते हैं या जिन्हें प्रभावित होने की सम्भावना होती है। कीथ डेविस के अनुसार व्यक्तिगत कारणों में निम्न को सम्मिलित किया जा सकता है-
- वह यह मानते हैं कि परिवर्तन के परिणामस्वरूप उनकी कार्य करने की क्षमता कम हो जायेगी और उसे बेकारी का भी सामना करना पड़ सकता है।
- कर्मचारी परिवर्तन से होने वाले परिणामों के प्रति अनजान हो और नासमझी के कारण उसका विरोध करें।
- परिवर्तन के साथ प्रतिष्ठा गिरने की आशंका ।
- वह नहीं मानते कि वर्तमान पद्धति अपर्याप्त या अनुपयुक्त है।
- परिवर्तन से विशिष्टीकरण को बढ़ावा मिलेगा, जिससे कार्य में नीरसता आ जायेगी।
- वह यह मानते हैं कि परिवर्तन के परिणामस्वरूप उनको काम अधिक करना पड़ सकता है।
- कार्य को नये तरीके से सम्पादित करने की इच्छा शक्ति का अभाव ।
(2) आर्थिक कारण-
आर्थिक कारणों से भी परिवर्तनों का प्रतिरोध होता है। कीथ डेविस के अनुसार आर्थिक कारणों में निम्न को शामिल करते हैं-
- पारिश्रमिक में कमी होने का भय
- परिवर्तन के अनुरूप बनाने के लिए अतिरिक्त ज्ञान, कौशल एवं प्रशिक्षण की आवश्यकता
- तकनीकी बेरोजगारी उत्पन्न होने का भय
- परिवर्तन के साथ आत्मसात करने में अतिरिक्त समय व प्रयासों की आवश्यकता ।
- कार्य की दशाओं में प्रतिकूल परिवर्तन की सम्भावना
(3) सामाजिक कारण-
सामाजिक कारण भी परिवर्तन के प्रतिरोध के लिए उत्तरदायी होते हैं। कीथ डेविस के अनुसार सामाजिक कारणों में निम्नलिखित को सम्मिलित करते हैं-
- हो सकता है कि परिवर्तन के लिए उत्तरदायी व्यक्तियों का हस्तक्षेप कर्मचारी नहीं चाहते हों।
- सम्भव है कि परिवर्तन के परिणामस्वरूप उनके वर्तमान सामाजिक सम्बन्ध ही छिन्न- भिन्न हो जाए।
- नवीन सामाजिक परिस्थितियों के कारण सन्तुष्टि में हास ।
- कर्मचारियों की यह धारणा हो सकती है प्रस्तावित परिवर्तन से उन्हें व समाज को कोई लाभ नहीं होगा यदि लाभ होगा तो वह केवल संस्था तथा उसके स्वामी को।
- सम्भव है कि परिवर्तन के परिणामस्वरूप नये सामाजिक समायोजन की आवश्यकता हो और कर्मचारी उसके लिए तैयार न हों।
- परिवर्तन में सहभागिता के अभाव के कारण उत्पन्न खिन्नता ।
(4) व्यक्तित्व सम्बन्धी कारण-
व्यक्तित्व के कारण भी परिवर्तन का प्रतिरोध किया जाता है। इसमें निम्नलिखित को शामिल करते हैं-
- आत्मविश्वास के अभाव के कारण
- विरोधी विचारों को न सुनने के कारण
- यदि परिवर्तन उसकी स्वायत्तता में कमी लाता है।
- परिवर्तन कर्मचारियों की विद्यमान आदतों में मतभेद पैदा हो सकता है।
- अपनी सुरक्षा व आराम के लिए
- ऐसा कोई भी कार्य, जो उसके निहित स्वार्थों के प्रतिकूल हो ।
(5) मनोवैज्ञानिक कारण-
व्यक्तियों की भावनाओं, प्रवृत्तियों एवं इच्छाओं पर आधारित कारणों को मनोवैज्ञानिक कारण कहते हैं। इनमें निम्नलिखित को शामिल करते हैं-
- नेतृत्व में अविश्वास
- भावी लाभों का सही पूर्वानुमान करना
- कम सहन शक्ति
- परिवर्तन की पूर्ण सूचना व समझ का अभाव
- अहम की चोट
- सुरक्षा की आवश्यकता
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