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पाठ्यचर्या में सुधार हेतु सुझाव | Suggestions for Improving Curriculum in Hindi

पाठ्यचर्या में सुधार हेतु सुझाव | Suggestions for Improving Curriculum in Hindi
पाठ्यचर्या में सुधार हेतु सुझाव | Suggestions for Improving Curriculum in Hindi

पाठ्यचर्या में सुधार हेतु सुझाव (Suggestions for Improving Curriculum)

पाठ्यचर्या में कमियों के कारण बालक को सफलता प्राप्त करने तथा ज्ञान अर्जित करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। इन समस्याओं के निदान हेतु माध्यमिक शिक्षा आयोग (1952-53), कोठारी आयोग (1964-66) तथा राष्ट्रीय शिक्षा नीति (1986) के माध्यम से कुछ सुझाव दिए गए हैं जो कि निम्नलिखित हैं-

1) पूर्व प्राथमिक स्तर- माध्यमिक शिक्षा आयोग के अनुसार, शिक्षा में पूर्व प्राथमिक स्तर की पाठ्यचर्या में कुछ परिवर्तन की आवश्यकता है। नर्सरी से कक्षा चार तक पाठ्यचर्या में खेलों द्वारा शिक्षण पर बल दिया जाना चाहिए। इस पाठ्यचर्या में मातृभाषा, मातृभाषा के अतिरिक्त एक विदेशी भाषा, स्वास्थ्य विज्ञान, शारीरिक क्रियाएँ खेल द्वारा, गणितीय ज्ञान, कार्यानुभव, सृजनात्मक क्रियाएँ आदि विषयों को पाठ्यचर्या में स्थान दिया जाना चाहिए।

2) प्राथमिक स्तर- इस स्तर में राष्ट्रीय शिक्षा नीति की पाठ्यचर्या के अनुसार व्यावहारिक विषय, सामान्य ज्ञान, कार्यानुभव, करके सीखना, आवश्यकतानुसार शिक्षा, तकनीकी का आधार ज्ञान, वैज्ञानिकता तथा तकनीकी के लाभ की समझ का ज्ञान, भाषा, विदेशी भाषा आदि विषयों को पाठ्यचर्या में रखना चाहिए।

3) उच्च प्राथमिक स्तर- यह अवस्था और पूर्व माध्यमिक अवस्था लगभग एक समान है। इसमें माध्यमिक शिक्षा आयोग के अनुसार, नैतिक शिक्षा, राष्ट्रीय गान का सम्मान करना, राष्ट्रीयता की शिक्षा, माध्यमिक मूल्यों की शिक्षा, पाठ्यचर्या में भाषाएँ, शारीरिक शिक्षा, कला तथा खेल आदि विषयों को महत्त्वपूर्ण स्थान दिया जाना चाहिए।

4) पूर्व माध्यमिक स्तर- कोठारी आयोग की अनुशंसा के अनुसार, पाठ्यचर्या में तीन भाषाएँ, विज्ञान, भूगोल, व्यावहारिक गणित, रेखा गणित, अंक गणित, नैतिकता, आध्यात्मिक आदशों, सांस्कृतिक मूल्यों तथा सभ्यता की शिक्षा के विषयों को पाठ्यचर्या में उचित स्थान देना चाहिए।

5) माध्यमिक स्तर- माध्यमिक स्तर में बालकों का स्तर उठाने के लिए कोठारी आयोग के अनुसार, मातृभाषा व विदेशी भाषा, मनोविज्ञान, तर्कशास्त्र, समाजशास्त्र, विज्ञान के विषय, बागवानी, गृहविज्ञान, भूगर्भशाला, भूगोल, गणित आदि विषय पाठ्यचर्या में होने चाहिए।

6) उच्च माध्यमिक स्तर- कार्यानुभव, समाजसेवा, हस्तकला के अन्तर्गत लकड़ी व कागज के कार्य, चित्रकला, शारीरिक क्रियाएँ, विशेष खेल। इसके अतिरिक्त विज्ञान, गणित, भाषा तथा साहित्य आदि विषयों को पाठ्यचर्या में स्थान देना चाहिए।

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Anjali Yadav

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