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पाठ्यचर्या विकास के तत्त्व | Elements of Curriculum Development in Hindi

पाठ्यचर्या विकास के तत्त्व | Elements of Curriculum Development in Hindi
पाठ्यचर्या विकास के तत्त्व | Elements of Curriculum Development in Hindi

पाठ्यचर्या विकास के तत्त्व (Elements of Curriculum Development)

पाठ्यचर्या विकास को निरन्तर चलने वाली प्रक्रिया माना जाता है। इसके चार प्रमुख तत्त्व निम्नलिखित हैं-

1) शिक्षण उद्देश्य (Teaching Objectives) – पाठ्यचर्या विकास करने हेतु सर्वप्रथम विकास के उद्देश्यों का प्रतिपादन करना होता है। उद्देश्यों के निर्धारण से हमें यह ज्ञात होता है कि हमें किस दिशा में आगे बढ़ना है या विकास के माध्यम से हमें किन उद्देश्यों को प्राप्त करना है।

2) अनुदेशनात्मक प्रारूप (Instructional Format) – शिक्षा के उद्देश्यों के निर्धारण के पश्चात् यह सुनिश्चित किया जाता है कि बालकों को कैसे अनुदेशन प्रदान किया जाए? अनुदेशन प्रदान करने हेतु शिक्षण विधियों एवं पाठ्यक्रम की सहायता से इस प्रकार के अवसर एवं परिस्थितियाँ उत्पन्न की जाती है ताकि बालक उचित प्रकार से अधिगम कर सकें। इन शिक्षण विधियों एवं पाठ्यवस्तु की सहायता से ही शिक्षण के विविध निर्धारित उद्देश्यों की प्राप्ति करने का प्रयास किया जाता है।

3) मूल्यांकन (Evaluation) – समस्त शिक्षण विधियों तथा पाठ्यक्रम का प्रयोग किस सीमा तक उपयोगी सिद्ध हुआ है इसे जाँचने के लिए पाठ्यचर्या मूल्यांकन किया जाता है। मूल्यांकन द्वारा ही यह सुनिश्चित किया जाता है कि इन शिक्षण विधियों तथा पाठ्यक्रमों के प्रयोग के परिणामस्वरूप शैक्षिक उद्देश्यों को किस सीमा तक प्राप्त किया गया है।

4) पृष्ठपोषण (Feedback) – मूल्यांकन के पश्चात् पाठ्यचर्या को पृष्ठपोषण प्रदान किया जाता है अतः हम कह सकते हैं कि पृष्ठपोषण मूल्यांकन का प्रभाव है। मूल्यांकन के द्वारा हम वस्तु स्थिति का अनुमान लगाते हैं एवं उसी के अनुरूप अध्यापकों एवं शिक्षकों तथा छात्रों को पृष्ठपोषण प्रदान किया जाता है। इसके द्वारा ही पाठ्यचर्या के प्रारूप सुधार हेतु दिशा प्राप्त होती है एवं इस प्रकार यह चक्र निरन्तर चलता रहता है।

इस प्रकार स्पष्ट है कि पाठ्यचर्या विकास का मुख्य उद्देश्य छात्रों का विकास करना है। इसके लिए अनुदेशात्मक प्रारूप एवं मूल्यांकन का सहारा लिया जाता है। मूल्यांकन के फलस्वरूप प्राप्त तथ्यों से पृष्ठपोषण प्राप्त करके पुनः उद्देश्यों की प्राप्ति में लग जाया जाता है।

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Anjali Yadav

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