B.Ed Notes

पाठ्यचर्या, 2005 (Curriculum, 2005)

पाठ्यचर्या, 2005 (Curriculum, 2005)
पाठ्यचर्या, 2005 (Curriculum, 2005)

पाठ्यचर्या, 2005 (Curriculum, 2005)

पाठ्यचर्या 2005 में विभिन्न कक्षाओं के अनुसार निम्न विषय पढ़ाए जाने चाहिए-

1) प्राथमिक स्तर पर

  1. मातृभाषा,
  2. गणित,
  3. कला व हस्तशिल्प,
  4. कार्यानुभव ।
  5. अंग्रेजी,
  6. पर्यावरण अध्ययन (एकीकृत),
  7. स्वास्थ्य शिक्षा एव

2) उच्च प्राथमिक स्तरः उच्च प्राथमिक स्तर पर इस प्रकार के विषय होने चाहिए-

  1. मातृभाषा या क्षेत्रीय भाषा,
  2. आधुनिक भारतीय भाषा,
  3. अंग्रेजी,
  4. गणित,
  5. विज्ञान,
  6. सामाजिक अध्ययन,
  7. स्वास्थ्य शिक्षा,
  8. कला एवं
  9. कार्यानुभव ।

3) माध्यमिक स्तर पर- माध्यमिक स्तर पर निम्न विषय हों-

  1. मातृभाषा या क्षेत्रीय भाषा,
  2. अंग्रेजी,
  3. संस्कृत/उर्दू/अन्य,
  4. विज्ञान,
  5. गणित,
  6. सामाजिक अध्ययन,
  7. कार्यानुभव,
  8. कम्प्यूटर शिक्षा एवं
  9. कला।

4) उच्च माध्यमिक स्तर पर- उच्च माध्यमिक स्तर पर अनिवार्य तथा वर्गों के अनुसार निम्न विषय हों-

i) अनिवार्य विषय

  • a) मातृभाषा,
  • b) अंग्रेजी एवं
  • c) गणित।

ii) कला वर्ग के लिए

  • a) इतिहास,
  • b) भूगोल,
  • c) नागरिक शास्त्र,
  • d) अर्थशास्त्र,
  • e) समाजशास्त्र एवं
  • f) मनोविज्ञान।

iii) वाणिज्य वर्ग के लिए

  • a) एकाउन्टेन्सी (लेखाशास्त्र),
  • b) टाइपिंग एवं
  • c) व्यापार ।

iv) विज्ञान वर्ग के लिए

  • a) भौतिक विज्ञान,
  • b) रसायन विज्ञान,
  • c) जीव विज्ञान,
  • d) अन्य विषय,
  • e) कम्प्यूटर,
  • f) कला एवं
  • g) अन्य ऐच्छिक विषय।

5) विभिन्न स्तरों पर शिक्षण- विभिन्न स्तरों पर किस प्रकार शिक्षण किया जाए इसका विवरण इस प्रकार है-

i) भाषा- हमारे देश में अनेक भाषाएं प्रचलित हैं इसलिए बालकों को एक से अधिक भाषाओं का ज्ञान अनिवार्य रूप से दिया जाए। राष्ट्रीय पाठ्यक्रम में तीन भाषाओं का ज्ञान देने के लिए कहा गया है। भाषाओं का ज्ञान प्राथमिक स्तर से ही आवश्यक है। इसके लिए अच्छी पाठ्य-पुस्तकें तथा पुस्तकालय उपलब्ध कराए जाएं।

ii) विज्ञान- विज्ञान के द्वारा बालक अवलोकन, परिकल्पना, निष्कर्ष, परीक्षण आदि सीखते हैं। विज्ञान की शिक्षा से अंधविश्वास, अज्ञानता, कुरीतियों आदि के विषय में जागरूकता लायी जाती है। विज्ञान शिक्षण के लिए वैधता, प्रक्रिया या प्रणाली के आधार पर पाठ्य-वस्तु का चयन करना चाहिए।

iii) सामाजिक अध्ययन- समाज की वास्तविकता से छात्र-छात्राओं को परिचित कराना आवश्यक है इसलिए सामाजिक अध्ययन का ज्ञान अनिवार्य है।

iv) गणित- तार्किक ढंग से सोचने-समझने, अमूर्त चिन्तन करने, समस्याओं को हल करने की योग्यता के विकास के लिए गणित शिक्षण आवश्यक है।

v) कम्प्यूटर- कम्प्यूटर के आधुनिक समय में महत्त्व को देखते हुए इसका अध्ययन छात्र-छात्राओं को करना आवश्यक है।

vi) कार्यानुभव- कार्यानुभव की शिक्षा देने से तात्पर्य, छात्रों में आपसी सहयोग की भावना तथा सहभामिता से है। ये गुण अच्छे चरित्र तथा व्यक्तित्त्व के लिए अति आवश्यक हैं।

vii) कला- कलात्मक क्षमता के विकास, सांस्कृतिक तथा सौन्दर्यात्मक जागरूकता उत्पन्न करने हेतु कला शिक्षण आवश्यक माना जाता है।

viii) स्वास्थ्य शिक्षा- स्वस्थ तन में ही स्वस्थ मन निवास करता है। इसलिए छात्रों को साफ सफाई, शारीरिक विकास के सम्बन्ध में ज्ञान दिया जाना चाहिए, साथ ही खेल-कूद का आयोजन भी करवाया जाना चाहिए।

राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा, 2005 में प्राथमिक स्तर से ही मातृभाषा के साथ अंग्रेजी भाषा की शिक्षा देने के लिए कहा गया। इसको तर्कसंगत नहीं कहा जा सकता क्योंकि आज भी भारत में मातृभाषा के प्रयोग की तो सभी को आवश्यकता है परन्तु अंग्रेजी भाषा के प्रयोग की सभी को आवश्यकता नहीं है। इस पाठ्यचर्या में विषयों के बारे में जो कहा गया उसमें कुछ भी नया नहीं था। सरकार की इस सम्बन्ध में रणनीति समझ नहीं आ रही है कि आखिर सरकार बार-बार नई-नई समितियों का गठन करके पुराने सुझावों में ही हेर-फेर करके लागू करवा के क्या सिद्ध करना चाहती है?

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Anjali Yadav

इस वेब साईट में हम College Subjective Notes सामग्री को रोचक रूप में प्रकट करने की कोशिश कर रहे हैं | हमारा लक्ष्य उन छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं की सभी किताबें उपलब्ध कराना है जो पैसे ना होने की वजह से इन पुस्तकों को खरीद नहीं पाते हैं और इस वजह से वे परीक्षा में असफल हो जाते हैं और अपने सपनों को पूरे नही कर पाते है, हम चाहते है कि वे सभी छात्र हमारे माध्यम से अपने सपनों को पूरा कर सकें। धन्यवाद..

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