Commerce Notes

प्रासंगिक अन्तर्बोध परीक्षण | Thematic Apperception Test (TAT) in Hindi

प्रासंगिक अन्तर्बोध परीक्षण | Thematic Apperception Test (TAT) in Hindi
प्रासंगिक अन्तर्बोध परीक्षण | Thematic Apperception Test (TAT) in Hindi

प्रासंगिक अन्तर्बोध परीक्षण [Thematic Apperception Test (TAT)]

इस परीक्षण का निर्माण मुरे (Murray, 1935) ने हावर्ड विश्वविद्यालय में किया। बाद में सन् 1938 में मार्गन के साथ मिलकर इन्होनें इस परीक्षण का संशोधन किया। कुछ लोग इसे मुरे एवं मार्गन टेस्ट के नाम से भी जानते हैं।

1) परीक्षण सामग्री (Test Material) – इस परीक्षण में कुल 31 कार्ड होते हैं। 30 कार्डों पर चित्र बने होते हैं व एक चित्र सादा होता है। 10 कार्ड पुरुषों के लिए (Boys and Men), 10 कार्ड स्त्रियों के लिए (Girls and Woman) व 10 चित्र पुरुष एवं स्त्रियों दोनों के लिए होते हैं। इसका हिन्दी अनुकूलन कलकत्ता की प्रो. उमा चौधरी ने किया है।

2) परीक्षण विधि (Test Method) – उम्र व यौन (Sex) के अनुसार इन 31 कार्डों में से 20 काडर्डों को चुना जाता है। जिनमें 19 कार्ड पर चित्र होते हैं तथा 1 सादा होता है। किसी भी व्यक्ति को 20 कार्ड से अधिक नही दिए जाते हैं। प्रत्येक कार्ड के चित्र के आधार पर व्यक्तित्व का मापन किया जाता है। चित्र दिखाकर प्रयोज्य से कहा जाता है कि तुम्हें चित्र में जो दिखाई दे रहा है या कल्पना के आधार पर भूत, वर्तमान, भविष्य से संबंधित जो भी चित्र में दिखाई दे रहा है, उससे कहानी का निर्माण करो। इसका प्रशासन दो समय में किया जाता है। प्रथम 10 कार्ड दिए जाते हैं एवं फिर अन्तिम 10 कार्ड। दोनो समयों के बीच मुरे ने 24 घण्टे का अंतराल देने की सिफारिश की। अन्त में एक सादा कार्ड दिया जाता है जिसमें प्रयोज्य अपने मन से चित्र बनाकर कहानी लिख सकता है।

3) विश्लेषण विधि (Analysis Method) – इस परीक्षण का विश्लेषण निम्न तत्त्वों के आधार पर किया जाता है-

i) नायक/नायिका (Actor) – प्रत्येक कहानी में जिस व्यक्ति की प्रमुख भूमिका होती है उसे नायक समझ कर उसका पता लगाया जाता है क्योंकि व्यक्ति उस नायक से आत्मीकरण स्थापित कर अपनी महत्त्वपूर्ण आवश्यकताओं को प्रकट करता है।

ii) आवश्यकता (Need)- प्रत्येक कहानी में नायक/नायिका होते हैं। उनकी प्रमुख आवश्यकताएँ क्या हैं? उसका पता लगाया जाता है। मुरे ने स्वयं इस परीक्षण (TAT) के माध्यम से बताया कि इससे 28 आवश्यकताओं का मापन होता है।

iii) वातावरण सम्बन्धी बल (Environmental Forces) – वातावरण सम्बन्धी बल जिन्हें ‘प्रेस’ की संज्ञा दी गयी है, ऐसे तत्त्व होते हैं जिनसे व्यक्ति विशेष की आवश्यकताएँ या तो पूरी होती हैं या पूरी होने से वंचित रह जाती हैं।

iv) वातावरण सम्बन्धी बलों की अन्तः क्रिया (Interaction between Environmental Forces)- प्रत्येक कहानी में वातावरण सम्बन्धी बलों की अन्तःक्रिया है जिसे ‘धीमा’ की संज्ञा दी गई हैइसके द्वारा व्यक्तित्व में निरंतरता पाई जाती है

v) परिणाम (Result)- प्रत्येक कहानी में एक निष्कर्ष होता है वह उचित है या अनुचित ? उचित निष्कर्ष होने से व्यक्ति के परिपक्व होने का ज्ञान होता है।

4) निष्कर्ष (Conclusion) – उपरोक्त विश्लेषण के आधार पर यह निष्कर्ष निकलता है कि इस परीक्षण द्वारा व्यक्ति की रुचियों, अभिरुचियों, आवश्यकताओं, सामाजिक आवश्यकताओं एवं सम्बन्धों की जानकारी ज्ञात हो जाती है जिसके कारण व्यक्ति को व्यक्तिगत निर्देशन दिया जा सकता है।

5) आलोचना (Criticism)- इसमें भी रोर्शा परीक्षण की तरह जटिलता मिलती हैइसके द्वारा व्यक्तित्व परीक्षण संख्यात्मक न होकर गुणात्मक होता है। अतः इसमें गलतियाँ हो जाना स्वाभाविक है। कहा जाता है कि यह वैध नही है, अविश्वनीय है व इसमें वस्तुनिष्ठता का अभाव है। यद्यपि इसे पूर्ण रूप से मानकीकृत नहीं माना जा सकता है। यह अर्द्धमानकीकृत, लगभग मानकीकृत व्यक्तित्व परीक्षण ही माना जा सकता है।

Important Link…

Disclaimer:  Target Notes does not own this book, PDF Materials Images, neither created nor scanned. We just provide Notes already available on the Book and internet. If any way it violates the law or has any issues then kindly mail us: targetnotes1@gmail.com

About the author

Anjali Yadav

इस वेब साईट में हम College Subjective Notes सामग्री को रोचक रूप में प्रकट करने की कोशिश कर रहे हैं | हमारा लक्ष्य उन छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं की सभी किताबें उपलब्ध कराना है जो पैसे ना होने की वजह से इन पुस्तकों को खरीद नहीं पाते हैं और इस वजह से वे परीक्षा में असफल हो जाते हैं और अपने सपनों को पूरे नही कर पाते है, हम चाहते है कि वे सभी छात्र हमारे माध्यम से अपने सपनों को पूरा कर सकें। धन्यवाद..

Leave a Comment