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बुद्धि की विशेषताएँ (Characteristics of Intelligence)
बुद्धि की प्रमुख विशेषताएँ इस प्रकार है-
1) बुद्धि जन्मजात शक्ति है-पाश्चात्य मनोवैज्ञानिक बर्ट, जेन्सन आदि ने अपने अनुसंधान के आधार पर बताया कि व्यक्ति की बुद्धि वंशानुगत होती है, जिस प्रकार लम्बाई वंशानुगत होती है, उसी प्रकार बुद्धि भी वशानुगत होती है।
2) बुद्धि के उचित विकास के लिए पर्यावरण का महत्व है- यहाँ पर्यावरण से तात्पर्य शैक्षिक व सामाजिक पर्यावरण से है। मनोवैज्ञानिकों ने दावा किया है कि बुद्धि के विकास के लिए सामाजिक पर्यावरण भी जरूरी है जिस पर्यावरण में बालक रहता है वह कुछ समय बाद उसी के अनुरूप ही कार्य करता है अर्थात् बुद्धि का विकास भी उसी के अनुरूप होता है।
3) यौगिक क्रियाओं द्वारा जन्मजात बुद्धि में वृद्धि संभव है-पश्चिमी मनोवैज्ञानिकों के विपरीत भारतीय योग मनोवैज्ञानिकों का दावा है कि योग क्रियाओं द्वारा मनुष्य की जन्मजात बुद्धि में वृद्धि 30% से 40% तक की जा सकती है और यह बात अब पाश्चात्य मनावैज्ञानिक भी स्वीकार करने लगे हैं।
4) बुद्धि सीखने की योग्यता है – अधिगम के अनुभव द्वारा व्यक्ति के व्यवहार में होने वाले परिवर्तन को व्यक्ति अपनी बुद्धि के अनुसार ही अनुभव करता है। अतः मनोवैज्ञानिक कथन है, बुद्धि सीखने की योग्यता है।
5) बुद्धि पर्यावरण से समायोजन की योग्यता है- मनोवैज्ञानिकों ने अनुसंधान के आधार पर सिद्ध किया कि जिसकी जितनी अधिक बुद्धि होती है उसकी समायोजन की क्षमता भी उतनी अधिक होती है अर्थात् जितनी अधिक बुद्धि उतना अधिक समायोजन जितनी कम बुद्धि उतना कम समायोजन। उदाहरण के लिए साधारणतया देखा गया है कि जिनका बुद्धिलब्धि स्तर उच्च होता है ऐसे व्यक्ति किसी भी स्थिति में समायोजन कर लेते हैं। लेकिन जिनका स्तर निम्न होता है वह नयी परिस्थितियों में सामन्जस्य नहीं कर पाते हैं तथा समायोजन में उन्हें परेशानी होती है।
6) बुद्धि अमूर्त चिन्तन की योग्यता है – बुद्धि की एक महत्वपूर्ण विशेषता उसका अमूर्त चिन्तन है अर्थात् जिसका कोई रूप आकार न हो उसके बारे में चिन्तन करना। ऐसा चिन्तन विशेषतः कलाकार व कवि लोग करते हैं। हम प्रायः देखते हैं कि कवि लोग किसी भी चीज की तुलना ऐसी वस्तु से कर देते हैं जो वास्तविकता में संभव नहीं जैसे नयन कमल के समान । अर्थात् नयन कमल के जैसे तो हो सकते हैं लेकिन कमल नयन के जैसे नहीं हो सकते हैं।
7) बुद्धि पूर्व अनुभवों से ज्ञान एवं पूर्व अर्जित ज्ञान से लाभ उठाने की योग्यता है – व्यक्ति के जो भी पूर्व अनुभव होते हैं कुछ लोग तो इसे भूल जाते हैं या ऐसे ही छोड़ देते हैं। लेकिन कुछ लोग इसे नयी परिस्थितियों में भी प्रयोग करते हैं। इसे ही मनोवैज्ञानिकों ने पूर्व अनुभवों द्वारा प्राप्त ज्ञान को बुद्धि की संज्ञा दी। उदाहरण के लिए गेसू नाम की 30 वर्षीय शादीशुदा महिला जो कला में स्नातक थी। शादी के बाद घरेलू कार्यों में व्यस्त हो गयी लेकिन 2-3 साल बाद ही चूंकि उसकी आर्ट बहुत अच्छी थी इसलिए वह अपने घर में ही आर्ट कक्षाओं का संचालन करने लगी तथा अपनी पेन्टिंग बनाकर उसकी प्रदर्शनी लगाने लगी। इसी बुद्धि द्वारा उसकी आय बढ़ने लगी। यह पूर्व अनुभवों से लाभ उठाने की योग्यता है।
8) बुद्धि व ज्ञान में अन्तर होता है- कुछ लोग बुद्धि व ज्ञान को एक ही प्रत्यय मानते हैं दोनों में अन्तर होता है बुद्धि जन्मजात होती है जबकि ज्ञान अर्जित होता है अर्थात् बुद्धि जन्म से ही प्राप्त होती है। परन्तु ज्ञान का विकास धीरे-धीरे होता है तथा ज्ञान बढ़ने से बुद्धि में भी वृद्धि होती है लेकिन ज्ञान विस्मरण होने से बुद्धि में कोई विकार नहीं होता है।
9) बुद्धि समस्या समाधान की योग्यता है- बुद्धि द्वारा व्यक्ति कठिन से कठिन समस्याओं को सरल बना देता है तथा उसके सामने कोई समस्या भी आये तो वह उसका तुरन्त समाधान कर देता है या उसका समाधान करने के सरल तरीके ढूंढता है। इस प्रकार बुद्धि समस्या समाधान की योग्यता है।
10) बुद्धि पर वंशानुक्रम और वातावरण का प्रभाव पड़ता है- बुद्धि की एक महत्वपूर्ण विशेषता है कि उस पर वंशानुक्रम तथा वातावरण दोनों का ही प्रभाव पडता है क्योंकि मनोवैज्ञानिकों ने कहा है कि 80% बुद्धि तो जन्मजात होती हैं लेकिन 20% बुद्धि को अर्जित किया जा सकता है। जो कि वातावरण द्वारा ही सम्भव है। इसलिए कहते हैं कि बुद्धि पर वंशानुक्रम व वातावरण दोनों का ही प्रभाव पड़ता है।
11) बुद्धि का विकास जन्म से लेकर किशोरावस्था के मध्यकाल तक होता है – प्रिन्टर ने कहा कि बुद्धि का विकास जन्म से लेकर किशोरावस्था के मध्यकाल तक होता है। उन्होंने बुद्धि का विकास 16 वर्ष तक व अन्य मनोवैज्ञानिकों ने बुद्धि का विकास 20 वर्ष तक माना है।
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