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ब्रूनर के सिद्धान्त का शिक्षा में योगदान (Contribution of Bruner’s Theory in Education)
ब्रूनर के सिद्धान्त का शिक्षा में निम्नलिखित योगदान हैं-
1) भाषा विकास (Language Development) – ब्रूनर का प्रतीकात्मक अवस्था बालकों के भाषागत विकास को विकसित करता है। यह भाषा सम्बन्धी विकास हेतु भाषा शिक्षण को एक नई दिशा प्रदान करता है।
2) अन्वेषण विधि (Heuristic Method) – शिक्षण अधिगम प्रक्रिया में ब्रूनर का यह सिद्धान्त समस्या समाधान और अन्वेषण विधि को प्राथमिकता प्रदान करता है। यह विधि अधिगम सम्बन्धी सम्पूर्ण कार्य को सम्पन्न करने में सहायता करता है।
3) शिक्षण विधि (Teaching Method) – शिक्षण अधिगम प्रक्रिया में प्रयुक्त शिक्षण विधियों में ब्रूनर के बौद्धिक विकास की अवस्थाओं के आधार पर परिवर्तन तथा उसके अनुकूल बनाने का प्रयास किया गया।
4) प्रत्यय (Concept) – बूनर द्वारा निर्माण की प्रक्रिया में प्रत्यय को अत्यधिक महत्व दिया गया। प्रत्यय को बल देकर उसके समझ को विकसित करने का प्रयास किया गया है। यह विभिन्न विषय-वस्तु को समझने तथा अधिगम करने में सहायता प्रदान करता है।
5) बौद्धिक विकास (Intellectual Development) – ब्रूनर ने बौद्धिक विकास की अवस्थाओं की नवीन व्याख्या की। बौद्धिक अवस्थाओं के विकासक्रम को स्पष्ट कर ब्रूनर ने अधिगम को एक नया मनोवैज्ञानिक आधार प्रदान किया।
6) पाठ्यचर्या निर्माण-संज्ञानात्मक विकास (Curriculum Construction Cognitive Development ) – ब्रूनर का यह सिद्धान्त पाठ्यचर्या निर्माण एवं बालक के संज्ञानात्मक विकास हेतु महत्वपूर्ण है। इसकी सहायता से पाठ्यचर्या के निर्माण एवं बालक के संज्ञानात्मक विकास हेतु एक व्यवस्थित आधार प्रदान किया गया।
7) आनुवांशिक अधिगम (Genetic Learning) – बूनर का यह सिद्धान्त इस अवधारणा को भी व्यक्त करता है कि अधिगम वर्तमान अनुभवों के साथ-साथ अन्य पूर्व ज्ञान एवं अनुभव द्वारा भी होता है।
8) शिक्षक की नवीन भूमिका (New Role of Teacher) – इस सिद्धान्त ने शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया में नवीन भूमिका के निर्वाहन पर बल दिया। इसकी सहायता से शिक्षक शिक्षण अधिगम प्रक्रिया को प्रभावी बनाया जा सकता है।
9) अधिगम के सिद्धान्तों की व्याख्या (Explanation of Learning) – यह सिद्धान्त अधिगम के सिद्धान्तों की व्याख्या कर शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया को सरल एवं प्रभावी बनाने का कार्य किया।
10) शैक्षणिक शोध (Educational Research) – ब्रूनर के विकासवादी सिद्धान्त ने ही शैक्षणिक शोध की विचारधारा का प्रादुर्भाव किया। विभिन्न मनोवैज्ञानिकों एवं शिक्षाविदों ने इसी विचारधारा के आधार पर शिक्षा के विभिन्न क्षेत्रों में शोधकार्य किया।
इस प्रकार ब्रूनर का विकासवादी सिद्धान्त शिक्षण अधिगम प्रक्रिया में अभूतपूर्व परिवर्तन करते हुए शिक्षण एवं अधिगम को सुगम एवं सरल बनाया।
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