B.Ed Notes

मनोवैज्ञानिक आधार | Psychological Basis in Hindi

मनोवैज्ञानिक आधार | Psychological Basis in Hindi
मनोवैज्ञानिक आधार | Psychological Basis in Hindi

मनोवैज्ञानिक आधार (Psychological Basis)

वर्तमान में शिक्षा के क्षेत्र में मनोविज्ञान का महत्त्व बढ़ता जा रहा है। शिक्षक को शिक्षा से सम्बन्धित प्रत्येक समस्या के समाधान के लिए कदम-कदम पर मनोविज्ञान की सहायता की आवश्यकता पड़ती है। यही आवश्यकता पाठ्यचर्या को मनोवैज्ञानिक आधार प्रदान करती है। वर्तमान समय में शिक्षा के मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण के कारण ही वैयक्तिक भेद के अनुसार शिक्षण कार्य सम्भव हो सका है। वैयक्तिक भेदों के अनुसार पाठ्यचर्या का निर्धारण बालक की इन्हीं रुचियों, आवश्यकताओं, क्षमताओं एवं स्वाभाविक प्रवृत्तियों के अनुसार किया जाता है। यही मनोविज्ञान की देन है। मनोविज्ञान के कारण ही अब बाल-केन्द्रित शिक्षा पर बल दिया जाने लगा। पाठ्यचर्या का निर्धारण भी बालक को केन्द्र बनाकर किया जाता है। इसके अतिरिक्त बालक की क्रियाशीलता को ध्यान में रखते हुए पाठ्यचर्या में सैद्धान्तिक विषयों के साथ-साथ क्रियात्मकता का भी समावेश किया जाता है। पाठ्यचर्या में औपचारिक विषयों के अध्ययन के साथ-साथ खेलों एवं क्रियाओं का सम्मिलन, मनोविज्ञान का ही सुझाव है।

छात्र किसी विषय/तथ्य/विषय- वस्तु को कैसे सीखते है या पाठ्यचर्या का आकार छात्रों के विचारों को कैसे प्रभावित करता है? इन समस्त प्रश्नों के उत्तर यदि हम सरलतापूर्वक प्राप्त करना चाहते हैं तो हमें मनोवैज्ञानिक पहलुओं पर ध्यान देना आवश्यक है। ये वे पहलू (निर्धारक) हैं जो पाठ्यचर्या के विकास के साथ छात्रों को भी प्रभावित करते हैं अर्थात् छात्रों के अधिगम को प्रभावित करते हैं। ये मुख्य निर्धारक निम्नलिखित हैं-

1) छात्र का मनोवैज्ञानिक विकास पाठ्यचर्या को प्रभावित करता है। छात्र की रुचि के दो क्षेत्र होते हैं प्रथम – छात्र के शारीरिक विकास एवं अधिगम प्रक्रिया के मध्य सम्बन्ध, द्वितीय- तन्त्रिका तन्त्र शारीरिक विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। संवेदी अंग (तन्त्रिका) छात्रों को अधिगम में मदद करती है।

2) छात्र की आयु अधिगम प्राप्ति एवं पाठ्यचर्या को प्रभावित करती है। मनौवैज्ञानिकों ने विभिन्न परीक्षणों, शिक्षण विधियों, मॉडल इत्यादि के आधार पर ये निष्कर्ष निकाला है कि छात्रों की उम्र (आयु) अधिगम प्राप्त करने को प्रभावित करती है अर्थात् यदि छात्र की आयु अधिक है तो पाठ्यवस्तु (Topic) को सरलता से समझ लेता है और शिक्षक द्वारा प्रश्न पूछने पर उत्तर भी आसानी से दे सकता है। इससे पाठ्यचर्या के विकास पर भी प्रभाव पड़ता है अर्थात् पाठ्यचर्या को छात्र की आयु के अनुसार निर्माण किया जाता है।

3) छात्र का मानसिक विकास शिक्षण एवं पाठ्यचर्या को प्रभावित करता है। उपलब्ध साक्ष्य इस बात की ओर स्पष्ट रूप से संकेत करते हैं कि छात्र का मानसिक विकास पाठ्यचर्या एवं अधिगम दोनों से प्रभावित होता है अर्थात् ये अन्तर्वैयक्तिक क्रिया के रूप में कार्य करता है।

4) छात्र की समस्याएँ पाठ्यचर्या पर अपना प्रभाव डालती है। विद्यालय में जब निर्देशन कार्य किया जाता है उस समय यह स्पष्ट रूप से देखा गया कि छात्रों की व्यक्तिगत एवं पारिवारिक समस्याएँ छात्रों के अधिगम एवं पाठ्यचर्या पर अपना प्रभाव डालती हैं।

5) छात्रों की रुचियाँ पाठ्यचर्या को प्रभावित करती हैं। मनोवैज्ञानिकों ने विभिन्न परीक्षणों एवं प्रयोगों के माध्यम से ये निष्कर्ष निकाला है कि छात्र की रुचि जिस विषय में अधिक होती है वह उसे सरलता से सीख लेता है तथा उस विषय का पाठ्यक्रम भी उसे सरल प्रतीत होता है। ये स्थिति केवल अध्ययन में नहीं प्रत्येक क्षेत्र में देखी जा सकती है।

6) छात्र की आवश्यकताएँ पाठ्यचर्या को प्रभावित करती हैं। प्रत्येक छात्र की आश्यकताएँ भिन्न-भिन्न होती हैं। ये भिन्नताएँ पाठ्यचर्या पर भी अपना प्रभाव डालती हैं। कुछ छात्र विज्ञान विषयों तो कुछ छात्र साहित्यिक विषयों में रुचि दिखाते हैं। प्रत्येक छात्र अपनी सुविधानुसार पाठ्यचर्या में परिवर्तन चाहता है।

7) छात्रों को दिया जाने वाला पुरस्कार एवं दण्ड पाठ्यचर्या को प्रभावित करता है। छात्र जिस विषय के लिए पुरस्कृत किया जाता है उसे वह अधिक से अधिक पढ़ना चाहता है तथा जिस विषय के लिए दण्डित किया जाता है वह उस विषय को पढ़ना नहीं चाहता है तथा उसे पाठयक्रम से हटा देने की इच्छा रखता है या फिर उसे सरल रूप में अध्ययन करना चाहता है। ये तथ्य स्पष्ट करता है कि छात्र को दिया जाने वाला पुरस्कार एवं दण्ड पाठ्यचर्या पर अपना प्रभाव डालता है।

इस प्रकार उपर्युक्त तथ्यों से स्पष्ट है कि मनोवैज्ञानिक निर्धारक पाठ्यचर्या के निर्माण में अहम् भूमिका निभाते हैं। ये वे तथ्य है जो छात्र के अधिगम को प्रभावित करते हैं तथा प्रत्येक छात्र इन संवेगों से प्रभावित होता है और उसके अनुसार पाठ्यचर्या में परिवर्तन चाहता है। अतः स्पष्ट है कि शिक्षा के क्षेत्र में, विशेषकर पाठ्यचर्या में, मनोविज्ञान का विशेष महत्त्व एवं प्रभाव है। शिक्षा में मनोविज्ञान के समावेश के परिणामस्वरूप शिक्षा का सैद्धान्तिक तथा व्यावहारिक स्वरूप परिवर्तित हो गया है। शिक्षा के क्षेत्र में होने वाली इस क्रान्ति का श्रेय मनोविज्ञान को ही है।

Important Link…

Disclaimer:  Target Notes does not own this book, PDF Materials Images, neither created nor scanned. We just provide Notes already available on the Book and internet. If any way it violates the law or has any issues then kindly mail us: targetnotes1@gmail.com

About the author

Anjali Yadav

इस वेब साईट में हम College Subjective Notes सामग्री को रोचक रूप में प्रकट करने की कोशिश कर रहे हैं | हमारा लक्ष्य उन छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं की सभी किताबें उपलब्ध कराना है जो पैसे ना होने की वजह से इन पुस्तकों को खरीद नहीं पाते हैं और इस वजह से वे परीक्षा में असफल हो जाते हैं और अपने सपनों को पूरे नही कर पाते है, हम चाहते है कि वे सभी छात्र हमारे माध्यम से अपने सपनों को पूरा कर सकें। धन्यवाद..

Leave a Comment