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महात्मा गाँधी के शिक्षा दर्शन की उपयुक्तता का मूल्यांकन (Evaluation of Usefulness of Mahatma Gandhi’s Educational Philosophy)
महात्मा गाँधी का शिक्षा दर्शन भारतीय परिस्थितियों के लिए सर्वदा उपयुक्त है। समकालीन भारत की आवश्यकता थी कि लघु व कुटीर उद्योगों को बढ़ावा दिया जाए जिससे प्रत्येक व्यक्ति आत्मनिर्भर हो सके। यह तभी सम्भव है जब भारतीय नागरिक हृदय में ईश्वर को रखे ताकि सत्य के रास्ते पर चलते हुए अच्छी तरह से कार्य कर सकें।
अतः यह कहना बिल्कुल सत्य है जो कि डॉ. एम. एस. पटेल ने महात्मा गाँधी के विषय में लिखा है, “महात्मा गाँधी के दर्शन का सावधानी से अध्ययन करने पर ज्ञात होता है कि उनके शिक्षा दर्शन में प्रकृतिवाद, आदर्शवाद तथा प्रयोजनवाद एक-दूसरे के विरोधी न होकर पूरक हैं।” महात्मा गाँधी के दर्शन को आदर्शवाद आधार प्रदान करता है जबकि प्रकृतिवाद और प्रयोजनवाद इसके सहायक हैं। डॉ. एम. एस. पटेल के अनुसार, “शिक्षा दर्शन अपनी योजना में प्रकृतिवादी तथा अपने उद्देश्य में प्रयोजनवादी हैं।”
शिक्षा दार्शन में महात्मा गाँधी की वास्तविक महानता इस बात में है कि उनके दर्शन में प्रकृतिवाद, आदर्शवाद व प्रयोजनवाद की मुख्य प्रवृत्तियाँ अलग और स्वतन्त्र नहीं है वरन् मिलकर एक हो गयी हैं। जिससे ऐसे शिक्षा-दर्शन का जन्म हुआ जो आज की आवश्यकताओं के लिए उपयुक्त हैं एवं मानव आत्मा की सर्वोच्च आकांक्षाओं को सन्तुष्ट करने वाली है।
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