शिक्षाशास्त्र / Education

” माध्यमिक शिक्षा के उत्थान के लिए कोठारी आयोग के सुझाव मुदालियर कमीशन के सुझाव से अच्छे हैं। “

” माध्यमिक शिक्षा के उत्थान के लिए कोठारी आयोग के सुझाव मुदालियर कमीशन के सुझाव से अच्छे हैं। ” वर्णन कीजिए।

कोठारी कमीशन का गठन मुदालियर कमीशन के बाद उसकी कमियों को दूर करने हेतु तथा अन्य सुझाव देने हेतु किया गया था। मुदालियर आयोग (1952-53) ने माध्यमिक शिक्षा के उद्देश्यों की चर्चा के दौरान कहा था कि नागरिकों की आदतों, प्रवृत्तियों एवं चारित्रिक गुणों के विकास में शिक्षा को योगदान करना चाहिए जिससे वे प्रजातान्त्रिक नागरिकता के उत्तरदायित्वों का निर्वाह कर सकें तथा उन ध्वंसात्मक प्रवृत्तियों का विरोध कर सकें जो व्यापक राष्ट्रीय तथा धर्मनिरपेक्ष दृष्टिकोण के विकास में बाधक हों। आयोग ने शिक्षा के द्वारा चारित्रिक गुणों के विकास, राष्ट्रीयता व धर्मनिरपेक्षता की प्रगति तथा राष्ट्र की उत्पादन शक्ति में वृद्धि की आवश्यकता को ध्यान में रखकर माध्यमिक शिक्षा के निम्न उद्देश्य बताए-

  1. प्रजातान्त्रिक नागरिकता का विकास करना।
  2. व्यावसायिक कुशलता का विकास करना।
  3. व्यक्तित्व का विकास करना।
  4. नेतृत्व का विकास करना।

कोठारी आयोग (1664-66) ने कहा था कि राष्ट्रीय लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए शिक्षा को इस प्रकार से विकसित करना आवश्यक है कि उत्पादकता में वृद्धि हो, सामाजिक व राष्ट्रीय एकता बढ़े, आधुनिकीकरण की प्रक्रिया तेज हो तथा सामाजिक, नैतिक व आध्यात्मिक मूल्यों की स्थापना हो।

आयोग ने शिक्षा को व्यक्तियों के जीवन की आवश्यकताओं व आकांक्षाओं से जोड़ने की आवश्यकता पर भी बल दिया जिससे शिक्षा सामाजिक, आर्थिक तथा सांस्कृतिक परिवर्तन के लिए एक शक्तिशाली साधन के रूप में विकसित हो सके इसलिए कोठारी आयोग ने शिक्षा के निम्नांकित चार राष्ट्रीय लक्ष्य बताये थे-

  1. शिक्षा को उत्पादन से जोड़कर आर्थिक विकास को बढ़ाना।
  2. शिक्षा के द्वारा सामाजिक व राष्ट्रीय एकता को बढ़ाना।
  3. शिक्षा के द्वारा आधुनिकीकरण की गति को तीव्र करना।
  4. शिक्षा के द्वारा आध्यात्मिक, सामाजिक तथा नैतिक विकास करना।

उपर्युक्त विवेचन से स्पष्ट है कि माध्यमिक शिक्षा का उद्देश्य छात्रों का सर्वांगीण विकास करके राष्ट्रीय विकास व एकीकरण को सुनिश्चित करना है। सामान्य शिक्षा का अन्तिम सोपान होने के कारण माध्यमिक शिक्षा, उच्च शिक्षा के द्वार खोलती है तथा रोजगार व जीवनयापन के क्षेत्र के लिए तैयार करती है। उस माध्यमिक शिक्षा का उद्देश्य जहाँ एक ओर छात्रों को उच्च अध्ययन के लिए तैयार करना होना चाहिए वहीं दूसरी ओर छात्रों को जीविकोपार्जन के लिए भी तैयार करना होना चाहिए। अतः कोठारी कमीशन के सुझावों से स्पष्ट है कि वे मुदालियर कमीशन की अपेक्षा ज्यादा विस्तृत एवं सार्वभौमिक थे जिसके कारण कोठारी कमीशन के सुझावों को ज्यादा महत्व दिया जाता है।

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Anjali Yadav

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