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मानववाद एवं पाठ्यचर्या | Humanism and Curriculum in Hindi

मानववाद एवं पाठ्यचर्या | Humanism and Curriculum in Hindi
मानववाद एवं पाठ्यचर्या | Humanism and Curriculum in Hindi

मानववाद एवं पाठ्यचर्या (Humanism and Curriculum)

शिक्षा-दर्शन का मानववादी दृष्टिकोण कथित उद्देश्यों की उपलब्धि के लिए अनुकूल पाठ्यचर्या की व्याख्या भी करता है किन्तु इस सम्बन्ध में सभी मानववादियों के विचार एक से नहीं हैं। तर्कसंगत मानववादी (Rational humanist) इस बात पर जोर देते हैं कि पाठ्यचर्या के लिए उस सामग्री को चुना जाए जो सम्पूर्ण मानवजाति के अनुभव में समान रूप से विद्यमान हो तथा जिसकी आवश्यकता सबको सदैव हो एवं उसके चयन का आधार मानव की तर्क संगत प्रकृति (Rational Nature) हो। इस कसौटी पर उदारवादी कला (Liberal Art) तथा मानविकी (Humanities) जैसे विषय खरे उतरते हैं। इसलिए पाठ्यचर्या में ऐसे विषयों को प्राथमिकता दी गई है।

भारतीय मानववादियों जैसे टैगोर, गाँधी, जाकिर हुसैन, राधाकृष्णन आदि की दृष्टि में शिक्षा का एक उद्देश्य विभिन्न संस्कृतियों का समन्वय एवं उनकी अच्छाइयों का शिक्षा में समावेश करना है। अतः वे इस बात पर बल देते हैं कि पाठ्यचर्या में सांस्कृतिक विषयों, विज्ञान, कला, क्राफ्ट आदि विषयों का समावेश होना चाहिए। उनका कहना है कि जीवन में जो कुछ भी अच्छा है वह सभी शिक्षा की पाठ्यचर्या का विषय होना चाहिए। Maslow आदि मनोवैज्ञानिक मानववादियों के अनुसार शिक्षा का उद्देश्य व्यक्ति को यह बताना है कि जीवन अनमोल है (Life is precious) एवं जीने की इच्छा करना मरने की इच्छा से ज्यादा महत्त्वपूर्ण है। अतः ये मानववादी ऐसी पाठ्यचर्या की कल्पना करते हैं जो बच्चों को ऐसे Peak-experience प्रदान कर सकें जो उनके व्यक्तित्व के पूर्ण विकास में सहायक हो सकें।

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Anjali Yadav

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