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मापन की विशेषताएँ (Characteristics of Measurement)
मापन में निम्नलिखित विशेषताएँ पाई जाती हैं-
- भापन मूल्यांकन करने में सहायक होता है।
- मापन किसी वस्तु का पूर्ण वर्णन न कर आंशिक वर्णन अत्यन्त शुद्धता के साथ करता है।
- किसी भी वस्तु का मापन सीधे न होकर किसी उपयुक्त माध्यम से होता है।
- मापन में अनन्तता की स्थिति (Sense of Infinity) पाई जाती है। कभी भी यह बात नहीं कही जाती है कि हमने छात्र की सम्पूर्ण उपलब्धि का मापन कर लिया है।
- मापन में कोई निरपेक्ष शून्य बिन्दु (Absolute Zero Point) नहीं होता है।
- मापन वैज्ञानिक प्रगति का मुख्य आधार है।
- मापन में आंकिक स्वरूप पाया जाता है।
- निरपेक्ष शून्य बिन्दु न होने के कारण इसकी व्याख्या गणितीय आधार पर नहीं की जा सकती है।
- मापन मूल्यांकन की अपेक्षा कम खर्चीला होता है।
मापन के उद्देश्य (Purpose of Measurement)
मापन के उद्देश्य निम्नलिखित हैं-
- अनुदेशन की प्रभावशीलता का पता लगाना।
- शिक्षण व्यूह रचना का विकास करना।
- छात्रों के सर्वांगीण विकास में सहायता करना।
- विकास में बाधक तत्त्वों की पहचान करना।
- छात्रों को वैयक्तिक आवश्यकताओं के अनुरूप शिक्षा सुविधाएं उपलब्ध कराना।
- छात्रों में स्वस्थ प्रतियोगिता की भावना विकसित करना।
- अधिगम को सहज बनाकर शिक्षण को आनन्ददायी बनाना।
- योग्यता आधारित वर्गीकरण करना एवं आवश्यकता अनुरूप गुणात्मक शैक्षिक अनुभव हेतु प्रोत्साहित करना।
मापन की आवश्यकता एवं महत्त्व (Need and Importance of Measurement)
मापन शिक्षा प्रक्रिया की अत्यन्त महत्त्वपूर्ण एवं सतत् चलने वाली प्रक्रिया है। शिक्षा से सम्बन्धित अनेक व्यक्तियों के लिए मापन का अत्यन्त महत्त्व है। मापन के महत्त्व को निम्नलिखित रूप में व्यक्त किया जा सकता है-
- मापन छात्रों को अध्ययन हेतु एवं शिक्षकों को शिक्षण हेतु हेतु प्रोत्साहित करता है।
- मापन के आधार पर पाठ्यक्रम, शिक्षण-विधियों आदि में आवश्यक सुधार किया जा सकता है।
- मापन के द्वारा छात्रों की बुद्धि, क्षमताओं, योग्यताओं, दृष्टिकोणों, कुशलताओं, रुचियों आदि की जाँच की जा सकती है।
- मापन द्वारा छात्रों को आत्म-मूल्यांकन का अवसर प्राप्त होता है।
- मापन छात्रों एवं शिक्षकों की प्रभावशीलता को इंगित करता है।
- मापन द्वारा विभिन्न शैक्षिक कार्यक्रमों की उपयोगिता को समझाया जा सकता है।
- मापन शिक्षण में सुधार लाता है। अध्यापक को मापन द्वारा अपनी क़मियाँ ज्ञात होती हैं जिससे वह अपनी शिक्षण पद्धति में सुधार करके उसे और अधिक सुसंगठित व प्रभावशाली बना सकता है।
- मापन उचित शैक्षिक निर्णय लेने हेतु अत्यन्त आवश्यक एवं उपयोगी है।
- मापन के माध्यम से छात्रों को उचित व्यावसायिक एवं शैक्षिक निर्देशन एवं परामर्श प्रदान किया जा सकता है।
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