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राष्ट्रीय प्रौढ़ शिक्षा संस्थान | NATIONAL INSTITUTE OF ADULT EDUCATION
शिक्षा विभाग, मानव संसाधन विकास मन्त्रालय द्वारा राष्ट्रीय प्रौढ़ शिक्षा संस्थान की स्थापना जनवरी, 1991 में एक स्वायत्त निकाय के रूप में की गई थी जिसका उद्देश्य राष्ट्रीय स्तर पर प्रौढ़ शिक्षा संस्थान के केन्द्र के रूप में कार्य करना तथा देश में प्रौढ़ शिक्षा कार्यक्रमों के लिए शैक्षिक तकनीकी तथा संसाधन सहायता प्रदान करना है। राष्ट्रीय प्रौढ़ शिक्षा संस्थान संकाय अनुसन्धान तथा प्रयोग के बीच दोहरा सम्बन्ध स्थापित करने के विभिन्न कार्यकलापों का संचालन करता है जिससे प्रौढ़ शिक्षा के ज्ञानाधार में सुधार हो सका है।
शिक्षा विभाग से सम्बन्धित प्रमुख स्वायत्त संगठनों तथा अखिल भारतीय शिक्षा परिषदों का विवेचन नीचे किया जा रहा है-
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UNIVERSITY GRANTS COMMISSION-UGC)
भारत सरकार द्वारा 1948 में नियुक्त विश्वविद्यालय शिक्षा आयोग’ के सुझाव के अनुसार 1953 ई. में ‘विश्वविद्यालय अनुदान आयोग’ की स्थापना की गई। 1956 में संसद् के अधिनियम द्वारा इसे वैधानिक संस्था ( Statutory Body) स्वीकार कर लिया गया। इस अधिनियम के अनुसार चेयरमैन तथा सचिव के अतिरिक्त ‘विश्वविद्यालय अनुदान आयोग’ के 9 सदस्य होंगे। इसके 9 सदस्यों में से 3 सदस्य विश्वविद्यालयों के कुलपति, 4 प्रसिद्ध भारतीय शिक्षा मर्मज्ञ एवं दो केन्द्रीय सरकार के प्रतिनिधि होते हैं। आजकल डी. पी. सिंह (D. P. Singh) इसके चेयरमैन हैं।
इस आयोग के निम्न कार्य हैं-
1. विश्वविद्यालय शिक्षा में सुधार करने एवं शिक्षण स्तर को उच्च बनाने के लिए विश्वविद्यालयों को सलाह देना।
2. भारतीय विश्वविद्यालयों में शिक्षा के स्तर में समन्वय रखने तथा विश्वविद्यालय शिक्षा से सम्बन्धित समस्याओं पर एक विशेषज्ञ संस्था के रूप में भारत सरकार को परामर्श देना।
3. विश्वविद्यालयों को अपने कोष से दी जानी वाली धनराशि का वितरण करना तथा इस सम्बन्ध में अपनी नीति का निर्धारण करना।
4. नवीन विश्वविद्यालयों की स्थापना एवं प्रचलित विश्वविद्यालयों के कार्य क्षेत्र की वृद्धि पर पूछे जाने पर अपना मत प्रकट करना।
5. भारत सरकार एवं विश्वविद्यालयों द्वारा पूछे गये प्रश्नों का उत्तर देना तथा उनकी शंकाओं का समाधान करना।
6. विश्वविद्यालयों की आर्थिक स्थितियों की जाँच करना और केन्द्रीय सरकार द्वारा उनको सहायता अनुदान में दी जाने वाली धनराशि के सम्बन्ध में सुझाव देना।
7. विश्वविद्यालय शिक्षा के विस्तार एवं विकास से सम्बन्धित आवश्यक कार्यों को पूरा करना।
8. विश्वविद्यालयों से उनकी परीक्षाओं, पाठ्यक्रमों, अनुसन्धान कार्यों, आदि के सम्बन्ध में सूचना प्राप्त करना।
9. विश्वविद्यालयों के लिए उपयुक्त समझी जाने वाली सूचनाओं को भारत तथा विदेशों से करके विश्वविद्यालयों को भेजना।
10. विश्वविद्यालय तथा विविध सेवाओं के लिए प्रदान की गई उपाधियों के सम्बन्ध में भारत सरकार तथा राज्य सरकारों को अपनी सलाह देना।
आचार्य राममूर्ति समिति ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के पुनर्गठन के लिए सुझाव दिया था। समिति का विचार था कि-
1. आयोग के पाँच सदस्य पूर्णकालिक होने चाहिए ये सदस्य शिक्षण, अनुसन्धान, प्रसार (Extension), प्रबन्ध (Management) तथा वित्त से सम्बन्धित होने चाहिए।
2. इनके अतिरिक्त आयोग के चेयरमैन तथा वाइस चेयरमैन होने चाहिए।
3. आयोग के क्षेत्रीय कार्यालय स्थापित किये जाने चाहिए जिससे समस्याओं का तत्काल निबटारा किया जा सके।
वर्तमान में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग निम्नांकित उत्कृमित क्षेत्रों (Thrust areas) में महत्त्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह कर रहा है-
1. स्वायत्त कॉलेजों (Autonomous Colleges) की स्थापना। अब तक 108 कॉलेजों की स्थापना कर चुका है।
2. शिक्षकों के प्रबोधन के लिए शैक्षिक स्टॉफ कॉलेजों की स्थापना इन कॉलेजों ने 30,684 अध्यापकों को शामिल करके अभी तक 900 प्रबोधन कार्यक्रम आयोजित किये हैं। साथ ही 46,276 शिक्षकों को शामिल करके सेवारत अध्यापकों के लिए 1.897 पुनश्चर्या पाठ्यक्रम आयोजित किये हैं।
3. प्रवक्ताओं की नियुक्ति के लिए पात्रता-परीक्षा- आयोग ने लेक्चरशिप हेतु पात्रता निर्धारित करने या मानविकी व सामाजिक विज्ञान में जूनियर रिसर्च फैलोशिप प्रदान करने के लिए पात्रता परीक्षा आयोजित की। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग तथा सी. एस. आई. आर. (CSIR) ने विज्ञान विषयों में इसी प्रकार की परीक्षाएँ आयोजित कीं।
4. सामान्य शिक्षा में अवर स्नातक पाठ्यक्रमों की पुनःसंरचना की योजना लागू की गई जिससे पाठ्यक्रमों को पर्यावरण के प्रति और अधिक संगत तथा रोजगारोन्मुख बनाया जा सके। इन पाठ्यक्रमों को आधुनिक बनाने, इनकी पुनःसंरचना करने तथा वैकल्पिक शैक्षणिक मॉडलों को विकसित करने के लिए कदम उठाये जा रहे हैं।
5. आयोग ने विश्वविद्यालयों तथा कॉलेजों को कुछ विषयों में स्नातकोत्तर स्तर पर अतिरिक्त विषय आरम्भ करने के लिए संगणक सुविधाएँ सस्वीकृत की हैं।
6. आयोग उच्च अध्ययन के 41 केन्द्रों तथा विज्ञान, इन्जीनियरी तथा प्रौद्योगिकी के विभिन्न विभागों को विशेष सहायता प्रदान कर रहा है।
7. आयोग समग्र साक्षरता के कार्यान्वयन के लिए विश्वविद्यालयों को अपने प्रौढ़ सतत व विस्तार शिक्षा विभागों द्वारा सहायता प्रदान करता है।
8. विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने उच्चतर शिक्षा के लिए दिये गये समय का उपयोग करने तथा ‘देशव्यापी कक्षा’ (Country wide Classroom) शीर्षक से उच्चतर शिक्षा में दूरदर्शन पर कार्यक्रमों को प्रसारित कराने की पहल की है। इस समय आयोग विभिन्न विश्वविद्यालयों तथा केन्द्रीय अंग्रेजी एवं विदेशी भाषा संस्थान (हैदराबाद) में स्थित शैक्षिक साधन अनुसन्धान केन्द्रों (Educational Media Research Centres – EMRC) को सहायता प्रदान कर रहा है।
9. आयोग विश्वविद्यालयों व कॉलेजों में अनुसन्धान के विकास के लिए विभिन्न विषयों में जूनियर अनुसन्धान शिक्षावृत्तियाँ प्रदान करता है। उत्कृष्ट योग्यता वाले शिक्षकों को अनुसन्धान तथा लेखन कार्य में प्रवृत्त करने के लिए विशिष्ट अवधि हेतु राष्ट्रीय शिक्षावृत्तियाँ प्रदान की जाती हैं।
10. आयोग विजिटिंग प्रोफेसरों की नियुक्ति के लिए विश्वविद्यालयों को सहायता प्रदान करता है।
11. आयोग अल्पसंख्यक समुदायों में कमजोर वर्गों के लिए प्रतियोगी परीक्षाओं के वास्ते कोचिंग कक्षाओं के आयोजन में सहायता प्रदान करता है।
12. आयोग विश्वविद्यालयों को महिला अध्ययन में अनुसन्धान के लिए सुस्पष्ट परियोजनाएँ शुरू करने तथा अपर स्नातक तथा स्नातकोत्तर स्तरों पर एवं संगत विस्तार कार्यों (Extension activities) में पाठ्यचर्या के विकास के लिए सहायता प्रदान करता है।
राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसन्धान तथा प्रशिक्षण परिषद् (NATIONAL COUNCIL OF EDUCATIONAL RESEARCH AND TRAINING-NCERT)
राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसन्धान और प्रशिक्षण परिषद्, जो एक स्वायत्त संगठन है, सितम्बर, 1961 में स्कूलो शिक्षा तथा शिक्षक प्रशिक्षण में गुणात्मक सुधार लाने के लिए स्थापित की गई थी। यह स्कूली शिक्षा तथा शिक्षक-प्रशिक्षण के क्षेत्र में नीतियों और वृहत कार्यक्रमों को कार्यान्वित करने में सरकार के लिए शैक्षिक सलाहकार का कार्य करती है। इसमें निम्नलिखित को सदस्यता प्राप्त है-
1. भारत सरकार का शिक्षा परामर्शदाता,
2. दिल्ली विश्वविद्यालय का कुलपति,
3. विश्वविद्यालय अनुदान आयोग का चेयरमैन,
4. प्रत्येक राज्य सरकार का एक-एक प्रतिनिधि,
5. भारत सरकार द्वारा मनोनीत 12 सदस्य।
इस परिषद् के प्रमुख कार्य निम्नलिखित हैं-
1. विद्यालय शिक्षा से सम्बन्धित अध्ययन एवं पर्यवेक्षण करना।
2. विद्यालय शिक्षकों के लिए उन्नत स्तर के प्रशिक्षण की व्यवस्था करना।
3. शैक्षिक विस्तार सेवाओं को संगठित करना
4. विद्यालयों में उन्नत शैक्षिक प्रविधियों एवं व्यवहारों को लागू करना।
5. विद्यालय शिक्षा से सम्बन्धित मामलों में विचारों तथा सूचनाओं के लिए एक निकासीगृह (Clearing House) के रूप में कार्य करना।
परिषद् अपने उद्देश्यों को पूरा करने के लिए राष्ट्रीय शिक्षा संस्थान (National Institute of NIE) नई दिल्ली, केन्द्रीय शैक्षिक प्रौद्योगिकी संस्थान, नई दिल्ली (Central Institute of Education Educational Technology-CIET), पण्डित सुन्दरलाल शर्मा सेण्ट्रल इन्स्टीट्यूट ऑफ वोकेशनल एजूकेशन (Pandit Sundarlal Sharma Central Institute of Vocational Education PSSCIVE), भोपाल, अजमेर, भुवनेश्वर और मैसूर स्थित क्षेत्रीय शिक्षा कॉलेजों (Regional Colleges of Education-RCE) तथा सम्पूर्ण देश में अधिकतर राज्यों की राजधानियों में स्थित 17 क्षेत्रीय कार्यालयों सहित विभिन्न संघटकों के माध्यम से अनुसन्धान, विकास, प्रशिक्षण, विस्तार तथा शैक्षिक नवाचारों के प्रसार, आदि से सम्बन्धित कार्यक्रमों को संचालित करता है। परिषद् निम्नलिखित उत्क्रमित क्षेत्रों में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहा है-
(अ) प्रारम्भिक शिक्षा का सर्वसुलभीकरण (Universalization Elementary Education) परिषद् इस क्षेत्र में निम्नांकित कार्य कर रही है-
1. परिषद् प्रारम्भिक शिशु देख-रेख एवं शिक्षा (Early Childhood Care and cation ECCE) से सम्बन्धित कार्यक्रमों को संचालित कर रही है। इसमें निम्नांकित कार्यों पर बल दिया गया-
(i) खेल-खेल में शिक्षा के दृष्टिकोण से भाषा, गणित तथा पर्यावरण सम्बन्धी अध्ययनों में ‘कार्यकलाप पुस्तिका’ तथा ‘प्रारम्भिक शिशु-शिक्षा’ पर शिक्षकों की एक मार्गदर्शिका तैयार की।
(ii) ‘लोक खिलौनों के माध्यम से विज्ञान का शिक्षण’ का प्रकाशन कराया।
(iii) ‘चीयर’ (Cheer) परियोजना के अन्तर्गत आँगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के लिए ‘फूल बगिया खण्ड III’ तथा ‘किलकारी खण्ड VII’ का प्रकाशन कराया।
(iv) बाल विकास परियोजना अधिकारियों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किये गये।
(v) न्यूनतम अधिगम स्तर (Minimum Levels of Learning-MLL) कार्यक्रम के अन्तर्गत कक्षा 4 तथा 5 के लिए शिक्षकों हेतु दिशा निर्देश तैयार किये।
(vi) शिक्षकों की दक्षता में विकास के दृष्टिकोण से बच्चों, शिक्षकों तथा चयनित दो शिक्षकों वाले स्कूलों की स्थिति का अध्ययन कराया।
(vii) अनुसूचित जातियों की शिक्षा से जुड़े व्यक्तियों के लिए उन्हें अनुसूचित जातियों की शिक्षा की बाधाओं और समस्याओं से अवगत कराने के लिए प्रबोधन कार्यक्रम आयोजित किया।
(viii) परिषद् जिला प्राथमिक शिक्षा कार्यक्रम (District Primary Education Programme DPEP) की परियोजना के लिए चयनित राज्यों को शैक्षिक परामर्श प्रदान करती है।
(ix) गैर-औपचारिक शिक्षा (Non-formal Education) कार्यक्रम के लिए समृद्ध सामग्री तैयार कराना।
(x) भाषा और गणित में गैर-औपचारिक शिक्षा के लिए शिक्षण सामग्री का विकास किया।
(ब) महिलाओं की समानता के लिए शिक्षा (Education for Women’s Equality)–परिषद् क्षेत्र में निम्नांकित कार्य कर रही है-
(i) प्रारम्भिक तथा माध्यमिक स्तरों पर शिक्षकों के लिए हैण्डबुक तैयार करना।
(ii) महिलाओं की शिक्षा एवं विकास की प्रणाली विज्ञान पर प्रशिक्षण पुस्तिका तैयार करना।
(iii) ‘लड़कियों तथा वंचित वर्गों की प्राथमिक शिक्षा की प्रोन्नति’ नामक परियोजना का संचालन।
(स) शिक्षा की विषय-वस्तु तथा प्रक्रिया का पुनः प्रबोधन (Reorientation of Content and Process of Education)-परिषद् इस क्षेत्र में निम्नांकित कार्य कर रही है-
(1) ‘स्कूल शिक्षा के सभी स्तरों पर सामाजिक विज्ञानों में पाठ्यचर्या का अध्ययन स्तर’ के अन्तर्गत सामाजिक विज्ञान पाठ्यचर्या की वर्तमान स्थिति का अध्ययन कराया।
(ii) राष्ट्रीय एकता के आधार बिन्दु से पाठ्य पुस्तकों का मूल्यांकन कराया। इस कार्यक्रम के अन्तर्गत असम (असोम), तमिलनाडु तथा राजस्थान की पाठ्य पुस्तकों का मूल्यांकन किया गया।
(iii) माध्यमिक शिक्षक शिक्षा की पाठ्यचर्या की स्थिति का अध्ययन कराया।
(iv) प्राथमिक विज्ञान किट, समेकित विज्ञान और कुछ अन्य किटों को तैयार कराया।
(v) विज्ञान तथा गणित के शिक्षण को सुदृढ़ बनाने के लिए जिला शैक्षिक प्रशिक्षण संस्थाओं (District Institutes of Teacher Education-DIET) तथा राज्य शैक्षिक अनुसन्धान एवं प्रशिक्षण परिषद् के संसाधित व्यक्तियों के प्रशिक्षण के लिए आयोजन किया।
(द) प्रतिभा खोज (Talent Search) परिषद् राष्ट्रीय प्रतिभा खोज (National Talent Search) के लिए परीक्षा का आयोजन करती है। साथ ही छात्रों के चयन के लिए साक्षात्कारों का भी आयोजन करती है।
(य) शिक्षक-शिक्षा (Teacher Education)-परिषद् ने सेवा पूर्व तथा सेवाकालीन शिक्षक-शिक्षा कार्यक्रम आयोजित करने के अलावा क्षेत्रीय शिक्षा कॉलेज स्कूल शिक्षा तथा शिक्षक शिक्षा के गुणात्मक सुधार के लिए व्यापक कार्यकलापों तथा शिक्षक प्रशिक्षकों, शिक्षक तथा शिक्षक प्रशिक्षणार्थियों के लिए अनुदेशात्मक सामग्री का विकास किया।
(र) शिक्षा का व्यवसायीकरण (Vocationalization of Education) शिक्षा के व्यवसायीकरण के महत्त्व को समझते हुए मानव संसाधन विकास मन्त्रालय ने राष्ट्रीय शिक्षा संस्थान (NIE) के व्यावसायिक शिक्षा विभाग के स्तर को उन्नत बनाकर केन्द्रीय व्यावसायिक शिक्षा संस्थान (CITE) का भोपाल में गठन किया। वाणिज्य आधारित व्यावसायिक पाठ्यचर्या का पुनर्गठन एवं संशोधन किया गया। राज्य कर्मचारियों, प्रधानाचार्यो, शिक्षा अधिकारियों और अन्य कर्मचारियों के लिए प्रबोधन कार्यक्रम आयोजित किये गये। उत्तर-पूर्वी राज्यों के प्रमुख व्यक्तियों के लिए एक अनुस्थापन कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसके माध्यम से उन्हें व्यावसायिक शिक्षा की अवधारणा, दर्शनशास्त्र तथा अन्य पहलुओं से अवगत कराया गया।
(ल) शैक्षिक प्रौद्योगिकी (Educational Technology)- इस क्षेत्र में परिषद् ने निम्नलिखित कार्य किये हैं-
(i) क्लासरूम 2000+ के तहत उच्चतर माध्यमिक स्तर पर दूरस्थ अध्ययन के लिए पारम्परिक प्रौद्योगिकी का प्रदर्शन’ के सम्बन्ध में शिक्षा पर इण्डो-यू. एस. उप-आयोग के अन्तर्गत परियोजना प्रारम्भ की।
(ii) हिन्दी तथा गुजराती में 70 ई. टी. वी. कार्यक्रम तैयार किये गये।
(iii) उच्च माध्यमिक कक्षाओं के लिए रसायन विज्ञान में प्रदर्शन पाठों पर वीडियो फिल्मों का विकास किया गया।
(म) शैक्षिक अनुसन्धान एवं नवाचार (Educational Research and Innovations) शैक्षिक अनुसन्धान और नवाचार समिति (Educational Research and Innovation Committee–IRIC) ने शिक्षक शिक्षा तथा स्कूल शिक्षा के विभिन्न पहलुओं पर अनुसन्धान परियोजनाओं को संचालित किया है। साथ ही इसने पाँचवें अखिल भारतीय शैक्षिक अनुसन्धान नवाचार सर्वेक्षण परियोजना के अन्तर्गत अनुसन्धान एवं नवाचारों के सारांशों की सूची को सम्पादित किया है। यह स्कूल शिक्षा के क्षेत्र में प्रयुक्त नवाचारों पर सूचनाएँ भी एकत्रित करती है।
(प) प्रकाशन एवं प्रसार (Publication and Dissemination)–स्कूल शिक्षा तथा शिक्षक शिक्षा के क्षेत्र में पाठ्य पुस्तकों, अभ्यास-पुस्तकों, शिक्षकों के लिए गाइडों, सप्लीमेण्टरी रीडर्स, अनुसन्धान विनिबन्धों (Research monographs), आदि के प्रकाशन के अतिरिक्त परिषद् निम्नांकित पत्रिकाओं का प्रकाशन भी करती है-
(1) इण्डियन एजूकेशन रिव्यू (त्रैमासिक),
(ii) प्राइमरी टीचर (त्रैमासिक),
(iii) जनरल ऑफ इण्डियन एजूकेशन (द्वि-मासिक),
(iv) स्कूल साइंस (त्रैमासिक),
(v) प्राइमरी शिक्षक (हिन्दी में प्रकाशित त्रैमासिक),
(vi) भारतीय आधुनिक शिक्षा (हिन्दी में प्रकाशित त्रैमासिक) ।
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