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वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)
निबन्धात्मक परीक्षा के दोष देखते हुए शिक्षा के क्षेत्र में वस्तुनिष्ठ प्रश्नों पर अधिक बल दिया गया है। अनुसन्धानों के द्वारा निबन्धात्मक परीक्षा को अवैध तथा अविश्वसनीय माना गया है। वस्तुनिष्ठ परीक्षा से बालक के विषय ज्ञान की उपलब्धि, सत्य-असत्य, निर्णय, बुद्धि का मापन किया जाता है। इस प्रणाली में बालक को कम लिखना पड़ता है। इस प्रक्रिया में जाँच प्रक्रिया में आसानी होती है। समय की दृष्टि से भी यह प्रक्रिया मितव्ययी होती है। इस परीक्षा में वैधता तथा विश्वसनीयता का गुण पाया जाता है। इसमें उत्तर संक्षिप्त होते हैं। इसमें सही गलत उत्तरों की वस्तुनिष्ठता से छात्र की योग्यता निर्धारित होती है। इस प्रणाली को वैज्ञानिक विधि भी कहा जाता है। सामाजिक अध्ययन के विषयों में वस्तुनिष्ठता प्रणाली सर्वोत्तम मानी गई है क्योंकि इसमें सत्य-असत्य, विचार, ज्ञान, समझदारी, निर्णय की जाँच की जाती है।
वस्तुनिष्ठ प्रश्नों के प्रकार (Types of Objective Questions)
1) प्रत्यास्मरण रूप (Recall Type) – इसके अन्तर्गत या तो प्रश्न पूछे जाते हैं या अपूर्ण कथन दिया जाता है। छात्र अपनी स्मरण शक्ति के आधार पर उत्तर देता है। इसके भी दो रूप होते हैं-
i) सामान्य प्रत्यास्मरण रूप (Simple Recall Type) – इसमें छात्रों को प्रश्नों के उत्तर अपनी स्मृति के आधार पर केवल एक शब्द अथवा संख्या में देना होता है।
जैसे, निम्न प्रश्नों के उत्तर दिए गए कोष्ठक में दो-
- a) भारत के प्रथम प्रधानमंत्री का नाम बताओ। ( )
- b) भारत के प्रथम राष्ट्रपति कौन थे? ( )
ii) रिक्त स्थान (Fill in the Blanks)- ये प्रश्न अपूर्ण वाक्यों में लिखे जातें हैं तथा छात्रों से आशा की जाती है कि वे इन वाक्यों को पूरा करें।
- a) भारत के न्यायधीश………. हैं।
- b) भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री……… हैं।
2) अभिज्ञान रूप (Recognition Type)- इसके अन्तर्गत प्रश्न के अनेक सम्भावित उत्तर हो सकते हैं। छात्र को सही उत्तर का चयन करना पड़ता है। इसमें छात्र के पहचानने की शक्ति होती है।
i) एकान्तर अनुक्रिया रूप (Alternate Response Type) – इसमें बालक को दो विकल्पों में एक को चयन करने के लिए आदेश दिया जाता है। अतः बालक वाक्य के अनुसार सत्य/असत्य, हाँ/नहीं में से किसी एक को चिन्हित करेगा।
जैसे- निम्न प्रश्नों के उत्तर हाँ अथवा नहीं में दें-
- a) मौर्य साम्राज्य की स्थापना चन्द्रगुप्त के समय में मानी जाती हैं। (हाँ/नहीं)
- b) 15 अगस्त 1947 को भारत आजाद हुआ। (हाँ/नहीं)
ii) बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Question)- इसके अन्तर्गत वे प्रश्न आते हैं जिनमें किसी प्रश्न अथवा समस्या के हल छात्रों के सामने होते हैं और उन्हें सही (✔) पर निशान लगाना होता है- जैसे,
1) डी.वी. ने शिक्षण प्रक्रिया के अंग बताए
- i) चार
- ii) तीन
- iii) दो
- iv) एक
2) लोकसभा का कार्यकाल होता है
- i) चार वर्ष
- ii) पाँच वर्ष
- iii) छः वर्ष
- iv) सात वर्ष
iii) समरूप प्रश्न (Matching Type Question)- इनके दो भाग होते हैं। एक तरफ कुछ शब्द, वाक्य अथवा विचार रखे जाते हैं। दूसरी तरफ इनके उत्तर रखे होते हैं। सम्बन्धित सूचनाएं बिना किसी क्रम के रखी जाती हैं। परीक्षार्थी दोनों का मिलान कर उन्हें सही क्रम में लगाते हैं।
जैसे, सही मिलान करो-
- डा.ए.पी.जे. अब्दुल कलाम – प्रधानमंत्री
- नरेन्द्र मोदी – राष्ट्रपति
- भारत छोड़ो आन्दोलन – सुभाष चन्द्र बोस
- आजाद हिन्द फौज – महात्मा गाँधी
- प्रणव मुखर्जी – वैज्ञानिक
iv) चुनाव तथा पूर्ति प्रश्न (Multiple Choice and Completion Question)- इन प्रश्नों का निर्माण बहुविकल्पीय प्रश्नों के योग से किया जाता है। उदाहरण-
- a) सामाजिक अध्ययन……….देन है। (अमेरिका, भारत, रूस)
- b) प्रश्नोत्तर विधि के प्रवर्तक………… है। (डी.वी., सुकरात, किलपैट्रिक)
v) अनुपात पूरक प्रश्न (Analogy Type Question)- ये प्रश्न गणित के समानुपाती प्रश्नों की भाँति होते हैं। इनके अन्तर्गत तीन शब्द दिए जाते हैंइनमें दो शब्दों का आपस में सम्बन्ध स्पष्ट होता है तथा इनकी सहायता से चौथा शब्द ज्ञात किया जाता है।
- a) राबर्ट ग्लेसर : बुनियादी शिक्षण प्रतिमान : : जीन प्याजे : ………।
- b) ब्लूम : मूल्यांकन प्रणाली : : ………. : हरबार्ट ।
वस्तुनिष्ठ प्रश्नों की विशेषताएँ (Characteristics of Objective Type Questions)
वस्तुनिष्ठ की प्रश्नों विशेषताएँ निम्न हैं-
1) वस्तुनिष्ठ परीक्षण में पर्याप्त नमूनाकरण का गुण- ये सम्पूर्ण पाठ्यक्रम का प्रतिनिधित्व करते हैं क्योंकि इनकी प्रश्न संख्या अधिक होती है अर्थात् पर्याप्त नमूना करण का गुण इनमें पाया जाता है।
2) वस्तुनिष्ठ परीक्षण में व्यक्तिनिष्ठता का अभाव होना- वस्तुनिष्ठ परीक्षणों में व्यक्तिनिष्ठता का अभाव पाया जाता है। परीक्षक की मनोदशा, व्यक्तिगत निर्णय और भाषा-शैली का प्रभाव इसके परिणामों पर नहीं पड़ता है।
3) वस्तुनिष्ठ परीक्षणों में विश्वसनीयता-वस्तुनिष्ठ परीक्षणों में विश्वसनीयता होती है। एक ही प्रश्न का एक ही उत्तर होता है। बार-बार जाँच किए जाने पर भी परिणाम हमेशा अपरिवर्तनीय ही रहता है।
4) वस्तुनिष्ठ परीक्षण में प्रश्नों की वैधता-वस्तुनिष्ठ परीक्षणों में प्रश्न वैध होते हैं। जिस उद्देश्य की पूर्ति के लिए प्रश्नों का निर्माण किया जाता है वह उसी उद्देश्य की पूर्ति करते हैं।
5) वस्तुनिष्ठ परीक्षणों की मितव्ययिता-वस्तुनिष्ठ परीक्षण मितव्ययी होते हैं। विद्यार्थियों को इनका उत्तर देने में समय कम लगता है तथा इन परीक्षणों का मूल्यांकन करने में भी समय की बचत होती है।
6) वस्तुनिष्ठ परीक्षणों के प्रशासन एवं अंकन में सरलता-वस्तुनिष्ठ परीक्षण के प्रशासन एवं अंकन में सरलता होती है तथा इन परीक्षणों में अंकों की समानता पाई जाती है।
7) वस्तुनिष्ठ परीक्षणों द्वारा रटने की प्रवृत्ति की समाप्ति-वस्तुनिष्ठ परीक्षणों के द्वारा विद्यार्थियों की रटने की प्रवृत्ति को समाप्त किया जा सकता है। विद्यार्थियों को सम्पूर्ण पाठ्यक्रम का अध्ययन करना पड़ता है। वस्तुनिष्ठ परीक्षणों के द्वारा विद्यार्थियों के मूल्यांकन का आधार सम्पूर्ण पाठ्यक्रम होता है।
8) पारस्परिक जाँच में उपयोगी- वस्तुनिष्ठ परीक्षणों के द्वारा विद्यार्थियों की पारस्परिक जाँच सम्भव हैं तथा विद्यार्थी का मूल्यांकन पुनः करने पर भी परिणामों में भिन्नता का प्रभाव नहीं पड़ता है।
वस्तुनिष्ठ परीक्षा के गुण (Merits of Objective Type Question)
इस प्रकार के प्रश्नों में निम्नलिखित गुण पाए जाते हैं-
1) ये परीक्षाएं सम्पूर्ण पाठ्यक्रम का मापन करती हैं।
2) इन परीक्षाओं का अंकन सुगमतापूर्वक किया जाता है।
3) इस परीक्षा में छात्रों में रटने की आदत कम होती है।
4) इस प्रणाली का मूल्यांकन शुद्ध होता है।
5) ‘यह परीक्षा प्रणाली छात्रों के लिए रोचक होती है।
6) यह निर्धारित उद्देश्यों की पूर्ति में सहायक है।
7) इस प्रणाली को सरलता से व्यवहार में लाया जाता है।
8) यह परीक्षा प्रणाली विश्वसनीय होती है।
9) इस परीक्षा के परिणामों के आधार पर छात्र के विषय में भविष्यवाणी करते हैं।
10) इस परीक्षा से परीक्षण की आत्मनिष्ठता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता।
11) छात्रों के लिए यह परीक्षा रोचक होती है।
12) यह परीक्षा उद्देश्य पूर्ति में सहायक होती है।
13) यह परीक्षा मूल्यांकन की निष्पक्ष तथा संक्षिप्त विधि है।
वस्तुनिष्ठ परीक्षा के दोष (Demerits of Objective Type Questions)
वस्तुनिष्ठ परीक्षा के प्रमुख दोष निम्नलिखित हैं-
1) यह परीक्षा छात्रों की मौलिकता को प्रोत्साहन नहीं देती।
2) यह प्रणाली तथ्यात्मक सूचनाओं पर बल देती है।
3) इस प्रणाली में छात्र अनुमान से अधिक प्रश्नों के उत्तर देते हैं।
4) इसमें छात्र विषय-वस्तु के गहन तथा सम्बन्ध सूचक अध्ययन में रुचि नहीं लेते।
5) इस प्रणाली से धोखा देने की सम्भावनाएं बढ़ती हैं।
6) इससे छात्रों की उच्चतर बौद्धिक उपलब्धियों की जाँच नहीं होती है।
7) इस परीक्षा से छात्रों की भाषा-शैली का मापन सम्भव नही होता है।
8) इस परीक्षा के प्रश्नों की रचना कुशल, दक्ष तथा अनुभवी अध्यापक ही कर सकते हैं
9) छात्रों के व्यक्तित्व के सम्बन्ध में कोई अनुमान नहीं लगाया जाता।
10) इस प्रणाली में सांख्यिकीय गणना की भूल का भय बना रहता है
11) छात्र विचारों तथा व्याख्या के अवसर से वंचित रह जाते हैं
12) समय से अधिक यह प्रणाली वैधता की सीमा को समाप्त कर देती है।
वस्तुनिष्ठ परीक्षणों के दोषों को दूर करने हेतु सुझाव (Suggestions for Removing Faults of Objective Tests)
इस आधार पर कहा जा सकता है कि वस्तुनिष्ठ परीक्षण भी सर्वथा दोषमुक्त नहीं हैइनके दोषों को दूर करने के लिए कुछ सुझाव दिए जा सकते हैं-
1) वस्तुनिष्ठ परीक्षणों के साथ-साथ लघु उत्तरात्मक एवं निबन्धात्मक प्रश्नों का प्रयोग भी सीमित रूप में किया जा सकता है।
2) वस्तुनिष्ठ प्रश्नों में प्रश्न सरल हों एवं निर्देश स्पष्ट हों।
3) प्रारम्भ में प्रश्न सरल तथा फिर सामान्य एवं कठिन रखे जाएं।
4) बहुविकल्पीय प्रश्न कम से कम चार तथा पाँच से अधिक न हों।
5) सही उत्तर एक ही हो, भ्रमात्मक विकल्प न हों। सभी उत्तर एक निश्चित क्रम में रखे जाएं। ‘अ’ ‘ब’ में से क्रम बदला जाए।
6) मूल्यांकन पूर्वनिर्मित उत्तर कुन्जी के अनुसार हो।
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