शिक्षाशास्त्र / Education

शिक्षा मनोविज्ञान का एक शिक्षक के लिए क्या महत्त्व है?

शिक्षा मनोविज्ञान का एक शिक्षक के लिए क्या महत्त्व है? स्पष्ट कीजिए।

शिक्षक को एक अच्छा शिक्षक बनाने में शिक्षा मनोविज्ञान अत्यन्त सहयोगी हैं। जिसको हम शिक्षा मनोविज्ञान में उसके महत्व के द्वारा समझ सकते हैं, जो निम्नवत है-

(1) शिक्षक के लिए शिक्षा मनोविज्ञान की अनिवार्यता- शिक्षा मनोविज्ञान शिक्षक को छात्रों के प्रति प्रेम, सहानुभूति तथा पक्षपात रहित होकर समदर्शी भाव से शिक्षण करना सिखता है। बालक के मूल व्यवहार उसकी मूल प्रवृत्तियों पर आधारित होते हैं। शिक्षा मनोविज्ञान के ज्ञान से शिक्षक उसके व्यवहार के कारणों का पता लगाकर उसमें सुधार कर सकता है। रायवर्न का कहना है कि “हमें बाल स्वभाव और व्यवहार का जितना अधिक ज्ञान होता है उतना ही अधिक प्रभावपूर्ण बालक से हमारा सम्बन्ध होता है। मनोविज्ञान हमें यह ज्ञान प्राप्त करने में सहायता दे सकता है।”

( 2 ) मनोवैज्ञानिक ढंग से शिक्षा के उद्देश्य निर्धारित करने में सहायक- शिक्षा के उद्देश्य निर्धारण में आज के विद्यार्थियों को ध्यान में रखना होता है। इनमें उन जीवन मूल्यों का विकास किया जाना आवश्यक होता है जो समाज और राष्ट्र के जीवन और अस्तित्व के मूल आधार हैं। मनोवैज्ञानिक दृष्टि से शिक्षा के उद्देश्य विद्यार्थियों की आयु, योनि, स्थिति सभी बातों को ध्यान में रखते हुए निश्चित किये जाते हैं। सामाजिक आधार की दृष्टि से उद्देश्यों के निर्धारण में सामाजिक रीति-नीति, परम्पराओं, परिस्थितियों आदि सभी को ध्यान में रखना होता है। चूँकि समाज की परिस्थितियाँ सदैव बदलती रहती है, अतः सामाजिक आधार पर शिक्षा के जो उद्देश्य निर्धारित किये जाते हैं वे परिवर्तनशील होते हैं तथा समाज में आये परिवर्तनों के अनुरूप बदलते रहते हैं। इस प्रकार दार्शनिक एवं मनोवैज्ञानिक आधार पर निश्चित किये गये शिक्षा के उद्देश्य शाश्वत होते हैं और सामाजिक आधार पर निश्चित किये गये उद्देश्य परिवर्तनशील। परन्तु उद्देश्य चाहे शाश्वत हों या परिवर्तनशील, विद्यार्थियों को ध्यान में रखते हुए ही निश्चित किये जाते हैं और विद्यार्थियों के विषय में किन-किन बातों का ध्यान रखा जाये यह शिक्षा मनोविज्ञान की जानकारी के बिना न तो शिक्षक जान सकता है और न नीति निर्धारण सम्भव है।

(3) बालक के सम्बन्ध में पूर्ण जानकारी- शिक्षा प्रक्रिया की प्रमुख सामग्री बालक है। अतः शिक्षा देने के लिए बालक के विषय में पूर्व जानकारी होना बहुत आवश्यक है। शिक्षा मनोविज्ञान की सहायता से शिक्षक, शिक्षार्थी से सम्बन्धित निम्नांकित बातों का अध्ययन कर सकते हैं-

  1. बालक का वंशानुक्रम और वातावरण का अध्ययन करना।
  2. बालक के विकास की अवस्थाओं का अध्ययन करना ।
  3. बालक की विशेष योग्यताओं का अध्ययन करना।
  4. बालक के शारीरिक, मानसिक, संवेगात्मक तथा सामाजिक क्रियाओं का अध्ययन करना।
  5. बालक की व्यक्तिगत विभिन्नताओं का अध्ययन करना।
  6. विशिष्ट बालकों का अध्ययन करना।
  7. असाधारण, अपराधी, मानसिक रोगग्रस्त बालकों का अध्ययन सम्भव होता है। इन सभी बातों को शिक्षा मनोविज्ञान की सहायता से जानकर ही उनकी शिक्षा की उचित व्यवस्था करता है।

( 4 ) शिक्षा मनोविज्ञान शिक्षक को अच्छी विधियों की जानकारी देता है- शिक्षा मनोविज्ञान की सहायता से बालक के विकास की अवस्थाओं, आवश्यकताओं एवं व्यक्तिगत विभिन्नता से शिक्षण विधि का चुनाव किया जा सकता है। अध्यापक को इस बात का ज्ञान होना चाहिए कि विभिन्न परिस्थितियों में किस प्रकार के बालकों के लिए कौन-सी शिक्षण विधियाँ अधिक उपयोगी हो सकती है। स्किनर ने कहा है- “शिक्षा मनोविज्ञान, अध्यापक को शिक्षण विधियों का चुनाव करने में सहायता देने के लिए सीखने के अनेक सिद्धान्त प्रस्तुत करता है।” आज शिक्षा के क्षेत्र में शिक्षा मनोविज्ञान के प्रभाव से कई उपयोगी शिक्षा प्रणालियों, जैसे-मान्टेसरी, किन्डरगार्टन, खेल-योजना, डाल्टन तथा बेसिक शिक्षा प्रणालियों का जन्म हुआ। शिक्षक को शिक्षा मनोविज्ञान के ज्ञान से यह चुनाव करना आ जाता है।

(5) शिक्षा मनोविज्ञान का ज्ञान शिक्षक में आत्मबोध पैदा करता है— शिक्षा मनोविज्ञान के अध्ययन से अध्यापक को आत्मबोध होता है। शिक्षा मनोविज्ञान उसे ऐसी अन्तर्दृष्टि प्रदान करता है जिससे वह शैक्षिक परिस्थितियों में आने वाली समस्याओं का सामना कर सके और उनका समाधान भी कर सके। वह ऐसी पद्धतियों और प्रवृत्तियों (Methods and Techniques) से परिचय प्राप्त करता है जिनकी सहायता से वह अपने और दूसरे के व्यवहार का विश्लेषण कर सकता है। अपने तथा दूसरे के व्यक्तित्व समायोजन (Adjustment) में सहायता पहुँचा सकता है।

( 6 ) अनुशासन स्थापित करने में सहायक- शिक्षा मनोविज्ञान अनुशासनहीनता सम्बन्धी समस्याओं का अध्ययन करता है और अनुशासन स्थापित करने की नवीन विधियाँ बताता है। इस सम्बन्ध में मेलवी का विचार है, जो शिक्षक अपने छात्रों को रूचि के अनुसार शिक्षा देते हैं, उनके सामने अनुशासन की कठिनाइयाँ बहुत कम आती है। जब हम पाठ्यक्रम, शिक्षण विधियों और शिक्षण सामग्री में सुधार करते हैं, तब हम अनुशासन की समस्याओं का पर्याप्त समाधान कर देते हैं या उनका अन्त कर देते हैं।”

(7) मूल्यांकन एवं परीक्षण की दृष्टि से उपयोगिता – शिक्षा मनोविज्ञान ने मूल्यांकन एवं परीक्षण की नवीन विधियों को जन्म दिया है, जिनकी सहायता से छात्र के अर्जित ज्ञान, बुद्धि, रूचि, योग्यता तथा व्यक्तित्व का मूल्यांकन एवं परीक्षण किया जाता है। और प्राप्त परिणामों के आधार पर उन्हें शिक्षा देने का प्रबन्ध किया जाता है।

( 8 ) शिक्षा एवं शिक्षण की समस्याएँ शिक्षा मनोविज्ञान के ज्ञान से दूर की जाती है— शिक्षा एवं शिक्षण की समस्याएँ बढ़ती जा रही है। कह अनुशासनहीनता की समस्या है तो कह कक्षा से पलायन करने की और कह मूल्यांकन के समय अनुचित साधनं अपनाने की। इन समस्याओं के अनेक कारण हो सकते हैं। कारण कुछ भी हो, यह निश्चित है कि समस्या के मूल में विद्यार्थियों एवं शिक्षकों का मन ही होता है और मन की स्थितियों को तभी जाना जा सकता जब शिक्षक को मनोविज्ञान की जानकारी हो। अतः समस्याओं के समाधान हेतु भी शिक्षा मनोविज्ञान की जानकारी एक शिक्षक के लिए आवश्यक है।

(9) मूल्यांकन के क्षेत्र में शिक्षक के लिए उपयोगी- जिस प्रकार शिक्षण प्रक्रिया द्विपक्षीय है, उसी प्रकार मूल्यांकन भी। मूल्यांकनकर्ता यदि शिक्षक है तो जिसका मूल्यांकन किया जाता है वह शिक्षार्थी शिक्षक द्वारा शिक्षार्थियों का मूल्यांकन जिन मूर्त साधनों की सहायता से किया जाता है, उन्हें मूल्यांकन के उपकरण कहते हैं। इन उपकरणों का उपयोग जिस कुशलता के साथ किया जाता है, उसे तकनीक कहा जाता है। उपकरण एवं तकनीकें दोनों ही मूल्यांकन की युक्तियाँ कही जाती है।

उक्त विवेचन से हम कह सकते हैं कि एक शिक्षक के लिए शिक्षा मनोविज्ञान का ज्ञान होना परम आवश्यक है।

IMPORTANT LINK

Disclaimer

Disclaimer: Target Notes does not own this book, PDF Materials Images, neither created nor scanned. We just provide the Images and PDF links already available on the internet. If any way it violates the law or has any issues then kindly mail us: targetnotes1@gmail.com

About the author

Anjali Yadav

इस वेब साईट में हम College Subjective Notes सामग्री को रोचक रूप में प्रकट करने की कोशिश कर रहे हैं | हमारा लक्ष्य उन छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं की सभी किताबें उपलब्ध कराना है जो पैसे ना होने की वजह से इन पुस्तकों को खरीद नहीं पाते हैं और इस वजह से वे परीक्षा में असफल हो जाते हैं और अपने सपनों को पूरे नही कर पाते है, हम चाहते है कि वे सभी छात्र हमारे माध्यम से अपने सपनों को पूरा कर सकें। धन्यवाद..

Leave a Comment