शिक्षाशास्त्र / Education

शिक्षा मनोविज्ञान की कुछ महत्त्वपूर्ण समस्याएँ | Some important problems of educational psychology in Hindi

शिक्षा मनोविज्ञान की कुछ महत्त्वपूर्ण समस्याओं का उल्लेख कीजिए।

शिक्षा मनोविज्ञान जहाँ शिक्षा के लिए अत्यन्त उपयोगी एवं महत्वपूर्ण बना हुआ है वहीं इसकी कुछ सीमाएँ अथवा समस्याएँ है जिसके कारण यह शिक्षा के क्षेत्र में अपना पूर्ण योगदान नहीं दे पाता। शिक्षा मनोविज्ञान की ये समस्याएँ उसके मनोविज्ञान के ही कारण बनी हैं, क्योंकि मनोविज्ञान के कारण ही शिक्षा बाल केद्रिन्त हो गयी है जो कि व्यक्तिवादी विचार है। बालकों के वैयक्तिक जीवन को समझना इतना आसान नहीं है, शिक्षाविद् भले ही इसे आसान समझते हों, परन्तु जब अध्यापक इतना प्रयास करने के पश्चात् बालकों को नहीं समझा पाते तो शिक्षाविदों की बात ही क्या है। शिक्षा मनोविज्ञान में इन समस्याओं के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं-

(1) बालकों की अधिक संख्या- बाल केद्रिन्त शिक्षा व्यवस्था में शिक्षक को सभी बालकों से सम्बन्ध बनाये रखना चाहिए जिससे कि वह बालकों को समझ सकें, परन्तु कक्षा में बालकों की अधिक संख्या होने के कारण शिक्षक के लिए यह सम्भव नहीं हो पाता। फलतः शिक्षक बालक के मनोदशा को नहीं समझ पाता जिससे शिक्षा मनोविज्ञान का मूल उद्देश्य अधूरा रह जाता है। भारतीय शिक्षा व्यवस्था में तो यह और भी कठिन है क्योंकि यहाँ पर एक-एक कक्षा में 50-60 छात्र होते हैं फलतः छात्रों की मनोदशा को छोड़िये शिक्षक छात्रों की शारीरिक क्रिया पर भी ध्यान नहीं पाते। अतः स्पष्ट है कि शिक्षा मनोविज्ञान कम छात्रों (10-15) के ग्रुप में भले ही प्रभावशाली भूमिका निभा सकता हो, ज्यादा छात्रों की कक्षाओं में यह अपने को असहाय पाता है।

( 2 ) छात्र मन की चंचलता- बाल मन बहुत चंचल होता है और अपने उम्र के अन्य बालकों का साथ पाकर तो यह और भी चंचल हो जाता है, इसीलिए छात्रों का सम स्वभाव और क्रियाएँ बड़ी अस्थिर और अनिश्चित होती हैं। बालकों का अपरिपक्व मन किसी भी सुसंस्कार को शीघ्र ग्रहण नहीं करना चाहता, इसलिए शिक्षा को पूर्णतया बाल केद्रिन्त नहीं बनाया जाना चाहिए। क्योंकि जब बालकों के मानसिक स्थिति के विषय में पूर्ण ज्ञान नहीं है तो उनको केद्रिन्त शिक्षा विषय बनाने का निर्णय कल्पना में उड़ान भरना भर है।

( 3 ) शिक्षा का प्रौढ़ व्यक्तित्व- शिक्षा मनोविज्ञान की एक समस्या यह भी है। विश्व के कई देशों यथा- भारत, पाकिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश, खाड़ी के देश आदि में शिक्षा का स्वरूप प्राचीन कालीन ही है फलतः शिक्षा मनोविज्ञान का उद्देश्य ऐसे देशों में पूरा नहीं हो पाता क्योंकि मनोविज्ञान एक विज्ञान है और जब तक शिक्षा वैज्ञानिक ढंग से प्रदान नही की जायेगी शिक्षा मनोविज्ञान बालकों के व्यक्तित्व का सही आकलन नहीं कर पायेगा।

( 4 ) शिक्षक का प्रभाव – शिक्षा मनोविज्ञान की एक समस्या यह भी है कि छात्रों पर शिक्षक के व्यक्तित्व का प्रभाव बड़ी तेजी से पड़ता है। वर्तमान समय में आदर्शवादी और चरित्रवान शिक्षक कम ही देखने को मिलते हैं फलतः बालक भी शिक्षकों के पथ पर चलने का प्रयास करते हैं। ऐसे में शिक्षा मनोविज्ञान यह नहीं समझ पाता कि बालक भविष्य में किस क्रिया का अनुकरण करेगा।

( 5 ) अत्यधिक विधियाँ- वर्तमान समय में प्रचलित अनेक प्रकार की विधियों ने भी शिक्षा मनोविज्ञान के क्षेत्र को सीमित कर दिया। इस प्रकार स्पष्ट है कि उपर्युक्त कारणें से बालकों का स्वतन्त्र और पूर्ण विकास नही हो पाता क्योंकि शिक्षा मनोविज्ञान उनके बारे में पूर्ण जानकारी प्राप्त कर उनका मार्ग दर्शन नहीं कर पाता।

IMPORTANT LINK

Disclaimer

Disclaimer: Target Notes does not own this book, PDF Materials Images, neither created nor scanned. We just provide the Images and PDF links already available on the internet. If any way it violates the law or has any issues then kindly mail us: targetnotes1@gmail.com

About the author

Anjali Yadav

इस वेब साईट में हम College Subjective Notes सामग्री को रोचक रूप में प्रकट करने की कोशिश कर रहे हैं | हमारा लक्ष्य उन छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं की सभी किताबें उपलब्ध कराना है जो पैसे ना होने की वजह से इन पुस्तकों को खरीद नहीं पाते हैं और इस वजह से वे परीक्षा में असफल हो जाते हैं और अपने सपनों को पूरे नही कर पाते है, हम चाहते है कि वे सभी छात्र हमारे माध्यम से अपने सपनों को पूरा कर सकें। धन्यवाद..

Leave a Comment