शिक्षित बेरोजगारी से आप क्या समझते हैं ? इसके मुख्य कारण क्या हैं ? शिक्षित बेरोजगारी को दूर करने के उपायों का भी उल्लेख कीजिए।
विकासशील तथा अल्प-विकसित देशों की मुख्यतम समस्या बेकारी अथवा बेरोजगारी की समस्या है। बेरोजगारी से आशय उस स्थिति से है, जिसमें कार्य करने के योग्य एवं इच्छुक व्यक्तियों को कोई उपयुक्त रोजगार प्राप्त नहीं हो पाता। भारत देश में भी बेरोजगारी की समस्या गम्भीर रूप से बढ़ रही है। देश के प्रत्येक क्षेत्र में असंख्य बेरोजगार व्यक्ति हैं। ग्रामीण क्षेत्र में भी बेरोजगार हैं तथा नगरीय क्षेत्र में भी। इसी प्रकार, नगरीय क्षेत्र में भी जहाँ एक ओर औद्योगिक श्रमिकों को बेरोजगारी की सामना करना पड़ता है, वहीं दूसरी ओर शिक्षित बेरोजगारों की संख्या भी निरन्तर अधिक होती जा रही है।
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भारत में शिक्षित बेरोजगारी
समुचित स्तर तक शिक्षा प्राप्त करने के उपरान्त भी यदि व्यक्ति को उसके शैक्षिक स्तर के अनुकूल नौकरी प्राप्त न हो तो उस व्यक्ति को शिक्षित बेरोजगार कहा जाएगा। हमारे देश में शिक्षित बेरोजगारों की संख्या भी काफी अधिक है अर्थात् हमारे देश में शिक्षित बेरोजगारी भी बहुत अधिक व्याप्त है। इस प्रकार के शिक्षित बेरोजगारों में स्नातक तथा स्नातकोत्तर के अतिरिक्त व्यावसायिक शिक्षा प्राप्त व्यक्ति भी हैं। बहुत से प्रशिक्षित डॉक्टर, इंजीनियर तथा तकनीकी विशेषज्ञ भी देश में सन्तोषजनक तथा उनके स्तर के अनुकूल व्यवसाय न मिलने की स्थिति में विदेश चले जाते हैं। ये भी देश में व्याप्त शिक्षित बेरोजगारी के प्रमाण हैं। बहुत-से छात्र विदेशों से ही उच्च शिक्षा प्राप्त करके भारत लौटते हैं, किन्तु यहाँ समुचित व्यवसाय उपलब्ध न होने की स्थिति में पुनः विदेश लौट जाते हैं। स्पष्ट है कि हमारे देश में प्रत्येक स्तर पर शिक्षित बेरोजगारी व्याप्त है। करोड़ों नवयुवक शिक्षा प्राप्त करने के उपरान्त भी बेरोजगार कार्यालयों में चक्कर लगाते रहते हैं। शिक्षित नवयुवकों का बेरोजगार रहना देश एवं समाज के लिए न केवल गम्भीर समस्या ही है, अपितु शर्म की बात है।
शिक्षित बेरोजगारी के कारण
शिक्षित बेरोजगारी देश के लिए अभिशाप है, परन्तु प्रश्न यह उठता है कि इस समस्या के कारण क्या है ? हमारे देश में शिक्षित बेरोजगारी में वृद्धि होने के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं-
1. विश्वविद्यालयों में छात्रों की अधिक संख्या- एक सर्वेक्षण के अनुसार हमारे देश में विश्वविद्यालय स्तर की शिक्षा ग्रहण करने वाले छात्रों की संख्या बहुत अधिक है। ये छात्र प्रतिवर्ष डिग्रियाँ प्राप्त करके शिक्षित व्यक्तियों की संख्या में वृद्धि करते हैं। इन सबके लिए रोजगार के समुचित अवसर उपलब्ध नहीं होते। अतः शिक्षित बेरोजगारी की समस्या बढ़ती ही जाती है।
2. शारीरिक श्रम के प्रति उपेक्षा का दृष्टिकोण – हमारे देश में शिक्षित बेरोजगारी की समस्या के दिन-प्रतिदिन बढ़ जाने का एक कारण यह है कि हमारे अधिकांश शिक्षित नवयुवकों का शारीरिक श्रम के प्रति उपेक्षा का दृष्टिकोण है। ये नवयुवक शारीरिक श्रम करना नहीं चाहते व उसके प्रति हीनता का भाव रखते हैं। इस दृष्टिकोण के कारण वे उन सभी कार्यों को प्रायः अस्वीकार कर देते हैं, जो शारीरिक श्रम से जुड़े हुए होते हैं। इससे बेरोजगारी की दर में वृद्धि होती जाती है।
3. शिक्षा का दोषपूर्ण होना – विभिन्न शिक्षाशास्त्रियों का मत है कि हमारी वर्तमान शिक्षा प्रणाली अपने आप में दोषपूर्ण है। हमारी शिक्षा प्रणाली के प्रारम्भ करने वाले अंग्रेज थे। उस काल में लार्ड मैकॉले ने भारतीय शिक्षा को इस रूप में गठित किया था कि शिक्षा प्राप्त युवक अंग्रेजी शासन में क्लर्क अथवा बाबू बन सकें। वही शिक्षा आज भी प्रचलित है। शिक्षित युवक कार्यालयों में बाबू बनने के अतिरिक्त और कुछ बन ही नहीं पाते। कार्यालयों में सीमित संख्या में ही भर्ती हो सकती है। इस स्थिति में अनेक शिक्षित नवयुवकों का बेरोजगार रह जाना अनिवार्य ही है।
4. सामान्य निर्धनता – शिक्षित नवयुवकों के बेरोजगार रह जाने का एक कारण हमारे देश में व्याप्त सामान्य निर्धनता भी है। अनेक नवयुवक धन के अभाव के कारण व्यावसायिक शिक्षा प्राप्त करने के उपरान्त भी अपना व्यवसाय प्रारम्भ नहीं कर पाते। इस बाध्यता के कारण वे निरन्तर नौकरी की ही तलाश में रहते हैं व बेरोजगारों की संख्या में वृद्धि करते हैं।
5. व्यावसायिक शिक्षा की कमी – भारत में व्यावसायिक शिक्षा की पर्याप्त व्यवस्था एवं सुविधा उपलब्ध नहीं है। यदि व्यावसायिक एवं तकनीकी शिक्षा की समुचित व्यवस्था हो तो शिक्षित बेरोजगारी की दर को नियन्त्रित किया जा सकता है।
6. देश में माँग तथा पूर्ति में असन्तुलन-हमारे देश में अनेक कारणों से कुछ इस प्रकार की स्थिति उत्पन्न हो गई है कि जिन क्षेत्रों में शिक्षित एवं प्रशिक्षित व्यक्तियों की आवश्यकता है, वहाँ इस प्रकार के नवयुवक उपलब्ध नहीं है। इसके विपरीत, कुछ क्षेत्र ऐसे भी हैं, जहाँ पर्याप्त संख्या में शिक्षित एवं प्रशिक्षित नवयुवक तो है, परन्तु उनके लिए नौकरियाँ उपलब्ध नहीं हैं अर्थात् उनकी आवश्यकता नहीं है। इस प्रकार, माँग एवं पूर्ति में असन्तुलन के कारण बेरोजगारी की स्थिति में बनी रहती है।
भारत में शिक्षित बेरोजगारी दूर करने के उपाय
भारत में शिक्षित बेरोजगारी के कारणों का ध्यानपूर्वक विश्लेषण करने के पश्चात् यह कहा जा सकता है कि यदि समुचित उपाय कर लिए जायें तो इस समस्या को काफी हद तक नियन्त्रित किया जा सकता है अर्थात् शिक्षित बेरोजगारों की संख्या को घटाया जा सकता है। इस दिशा में निम्नलिखित उपाय लाभकारी सिद्ध हो सकते हैं
1. लघु उद्योगों को प्रोत्साहन – शिक्षित बेरोजगारी को नियन्त्रित करने के लिए सरकार को चाहिए कि लघु उद्योगों को प्रोत्साहन दे। इन लघु उद्योगों को स्थापित करने के लिए शिक्षित युवकों को प्रोत्साहित करना चाहिए तथा उन्हें आवश्यक सुविधाएँ भी उपलब्ध करायी जानी चाहिएँ।
2. शारीरिक श्रम के प्रति अनुकूल दृष्टिकोण का विकास – हमारी शिक्षा प्रणाली एवं पारिवारिक संस्कार इस प्रकार के होने चाहिएँ कि नवयुवकों में शारीरिक श्रम के प्रति किसी प्रकार की घृणा या उपेक्षा की भावना न हो। शारीरिक श्रम के प्रति अनुकूल दृष्टिकोण का विकास हो जाने पर शिक्षित युवक शारीरिक कार्यों के करने में किसी प्रकार का संकोच नहीं करेंगे। अतः उनके रोजगार प्राप्ति का दायरा विस्तृत हो जाएगा तथा परिणामस्वरूप बेरोजगारी की दर घटेगी।
3. रोजगार सम्बन्धी विस्तृत जानकारी – शिक्षित नवयुवकों को रोजगारों से सम्बन्धित विस्तृत जानकारी उपलब्ध करायी जानी चाहिए। युवकों को समस्त सम्भावित रोजगारों की जानकारी होनी चाहिए ताकि वे अपनी योग्यता, रुचि आदि के अनुकूल व्यवसाय को प्राप्त करने के लिए सही दिशा में प्रयास करें।
4. शिक्षा प्रणाली में आवश्यक सुधार – अंग्रेजों द्वारा भारत में प्रारम्भ की गई शिक्षा प्रणाली दोषपूर्ण है। इस शिक्षा प्रणाली का पूर्णतया पुनर्गठन करना चाहिए तथा वर्तमान परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए इसे अधिक से अधिक व्यवसायोन्मुख बनाया जाना चाहिए। इस प्रकार की शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात् नवयुवक अपने स्वयं के व्यवसाय प्रारम्भ कर पाएंगे तथा उन्हें नौकरी के लिए विभिन्न कार्यालयों के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे।
5. सरल ऋण व्यवस्था – शिक्षित नवयुवकों को अपना व्यवसाय स्थापित करने के लिए सरकार द्वारा आसान शर्तों पर ऋण प्रदान करने की सुविधा प्रदान की जानी चाहिए। इससे धनाभाव के कारण शिक्षित नवयुवक व्यवसाय स्थापित करने से वंचित नहीं रह पाएँगे।
6. अन्य उपाय- उपर्युक्त वर्णित उपायों के अतिरिक्त वे समस्त उपाय भी शिक्षित बेरोजगारी के उन्मूलनों के लिए किए जाने चाहिए जो देश में सामान्य बेरोजगारी को नियन्त्रित करने के लिए आवश्यक समझे जाते हैं।
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