Contents
सन्तुलित आहार में प्रयुक्त भोज्य पदार्थों का वर्णन कीजिये।
सन्तुलित आहार में प्रयुक्त भोज्य पदार्थ — सन्तुलित आहार में पहले दी गई तालिकाओं के अनुसार उपयुक्त मात्रा में उन सभी भोज्य पदार्थों का समावेश किया जाता है जो कैलोरी, प्रोटीन, वसा, खनिज, लवण तथा विटामिन प्रदान करते हैं ताकि शरीर स्वस्थ रह सके और कुछ पोषक तत्व शरीर के भण्डारों में बचे भी रहे।
सन्तुलित आहार के लिए निम्नलिखित भोज्य पदार्थों में से प्रत्येक का दैनिक आहार में समावेश होना चाहिए-
1. आहार (Cereals)—यह भारतीयों का प्रमुख आहार है। प्रमुख अनाज हैं-गेहूं, चावल, ज्वार, बाजरा, मकई तथा महुआ (रागी)। इनके उत्पाद हैं- आटा, मैदा, सूजी, मैदे के पापड़, सेंवई, नूडल्स, मैकरोनी चूड़ा, फरही (भुरभुरे) लाई (पॉपकार्न) आदि। ये सस्ते भोज्य पदार्थ हैं जिनसे कैलोरी प्राप्त होती है। इनमें 6-12 प्रतिशत प्रोटीन तथा बी’ विटामिन, जैसे- थायमिन, पेंटोथेनिक एसिड, विटामिन बी6 और खनिज पर्याप्त मात्रा में पाये जाते हैं। इसलिए गरीबों के आहार में इनका अधिक मात्रा में उपयोग होता है जिससे उन्हें कैलोरी प्रोटीन तथा अन्य पोषक तत्वों की 70-80 प्रतिशत मात्रा मिल जाती है।
महुआ (रागी) कैल्शियम की प्राप्ति का अच्छा साधन है। पीली मकई में कैरोटीन (विटामिन ‘ए’ का पूर्वगामी रूप) होता है।
2. दालें (Pulses) – इनके अन्तर्गत मसूर, मूंग, अरहर, चना, उड़द, मटर, सोयाबीन, काबुली चना, लोबिया, राजमा आदि आते हैं। इनमें से कुछ दालें साबुत कुछ छिलके वाली, कुछ बिना छिलके वाली उपयोग में लाई जाती हैं। दालों से बना बेसन व पापड़, बड़ियां भी खाई जाती है।
दाले प्रोटीन की प्राप्ति का उत्तम साधन है। इनमें 16 से 24 प्रतिशत प्रोटीन होता है। इसके अलावा विटामिन बी1 तथा बी2 भी होता है। यद्यपि दालों में पाया जाने वाला प्रोटीन मध्यम श्रेणी का होता है किन्तु अनाजों, सब्जियों या प्राणिज भोज्य पदार्थों के साथ मिलाने से उत्तम कोटि का हो जाता है। साबुत दालों को अंकुरित करने से उनमें राइबोफ्लेविन (विटामिन बी 2) तथा विटामिन ‘सी’ की मात्रा बढ़ जाती हैं। खमीरीकरण से भी दालों में राइबोफ्लेविन की मात्रा बढ़ जाती है और वे अधिक पचनशील भी हो जाती हैं, जैसे-इडली, ढोकला बनाने से पहले दालों को पीसकर खमीरीकृत किया जाता है।
3. हरी पत्तीदार सब्जियाँ (Green Leafy Vegetables) – हम प्रतिदिन कई प्रकार की पलेदार सब्जियों का उपयोग करते हैं, जैसे-प्रक, चौलाई, मैत्री, बथुआ, सोआ बन्दगोभी, मटर का साग, खेसारी का साग, चने का साग, सहजन की पत्तियाँ, धनिया, करी पत्ता, पुदीना आदि। इनमें जलांश, खनिज लवण, लौह, कैल्शियम, विटामिन बी1, बी2, फोलिक एसिड तथा विटामिन ‘सी’ भी प्रचुर मात्रा में होते हैं। संरक्षात्मक भोज्य पदार्थों में ये सबसे सस्ते हैं। इनमें सैल्यूलोज भी अधिक होता है। यह पचनशी नहीं होता किन्तु मल विसर्जन
में सहायक होता है।
4. जड़कन्द वाली सब्जियाँ (Roots and Tubers)- इस वर्ग में आलू, शकरकन्द, अरबी, ओल (सूरन), कन्दा, गाजर, मूली, शलजम, चुकन्दर, गाँठ गोभी, टेपिओका आदि प्रमुख जड़कन्द हैं। ये स्टार्च (कार्बोहाइड्रेट) की प्राप्ति के उत्तम साधन हैं। गाजर विटामिन ‘ए’ की प्राप्ति कराता है। इसमें पाया जाने वाला कैरोटीन हमारे यकृत में जाकर विटामिन ‘ए’ में परिवर्तित हो जाता है। आलुओं को भी छिलकों समेत खाया जाये तो काफी विटामिन ‘सी’ मिलता है।
5. अन्य सब्जियाँ (Other Vegetables)- ये हैं परवल, तोरई, कद्दू, लौकी, भिंडी, सेम, बैंगन, बरबटी, मटर, करेला, टमाटर, फूलगोभी, पत्ता गोभी, कच्चा केला, ककड़ी, खीरा, सहजन, फ्रेंच बीन, मशरूम, शिमला मिर्च, कटहल, करौंदा, टिंडा, कच्चा पपीता, चिचिंडा, कुम्हड़ा, हरी प्याज, हरी मिर्च, नीबू, हरा चना आदि।
इनमें से मटर, सेम के बीज, हरा चना आदि से प्रोटीन मिलता है। कद्दू (काशीफल) में कैरोटीन, करेले, मिर्ची में विटामिन ‘सी’ पाया जाता हैं सभी सब्जियों में रेशे, स्टार्च, खनिज लवण तथा विटामिन मिलते हैं।
6. फल (Fruits)-इनके उदाहरण हैं-सेव, अमरूद, केला, अंगूर, लीची, मौसम्मी, माल्टा, पामलो, संतरा, नाशपाती, अनार रसबरी, स्ट्रॉबरी, सीताफल, बेर, जामुन, पका आम, कटहल, अनन्नास, पपीता, खरबूज, तरबूज, आड़, आलू बुखरा, बेल, चीकू, खजूर, फालसा (शहतूत) आदि।
सभी फलों से विटामिन ‘सी’ तथा शर्करा पर्याप्त मात्रा में मिलती है। अमरूद, संतरे, खट्टे रसदार फलों, केलों से विटामिन ‘सी’ विशेष रूप से मिलता है। केले से कार्बोहाइड्रेट, कैल्शियम, लोहा भी प्राप्त होता है। सूखे फल जैसे अंजीर, किशमिश, खजूर लोहे की प्राप्ति के अच्छे साधन हैं। फलों में सोडियम पोटैशियम लवण भी पाये जाते हैं। आम और पपीते में कैरोटीन पाया जाता है जो शरीर में जाकर विटामिन ‘ए’ में परिवर्तित होता है। आंवला और अमरूद विटामिन ‘सी’ की प्राप्ति के सस्ते साधन हैं। दैनिक आहार में सस्ते, सुलभ मौसमी फलों का उपयोग अवश्य करना चाहिए। किसी कारण से फल न खा सकें तो उनके स्थान पर आहार में हरी सब्जियों की मात्रा बढ़ा देनी चाहिए क्योंकि इनसे भी कार्बोहाइड्रेट, खनिज लवण तथा विटामिन मिलते हैं।
7. दूध एवं दूध से बने पदार्थ (Milk and Milk Products) – दूध शिशुओं एवं बच्चों का आदर्श सम्पूर्ण आहार है तथा वयस्कों के लिए उत्तम पूरक आहार है। इसमें उत्तम प्रकार के प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा, खनिज लवण तथा विटामिन पर्याप्त मात्रा में पाये जाते हैं केवल लोहा तथा विटामिन ‘सी’ की कमी रहती है। सभी प्रकार के दूध का संगठन प्रायः एक- सा होता है। केवल भैंस के दूध में गाय के दूध की तुलना में दुगुनी बसा पाई जाती है। दूध से बने पदार्थ रबड़ी, खोआ पनीर तथा दही में दूध की तरह ही पोषक तत्व पाये जाते हैं। वसा रहित दूध (Skimmed Milk) भी प्रोटीन व खनिज लवणों का अच्छा स्रोत है।
8. वसा-तेल (Fats and Oils) – वसा तथा तेल कैलोरी प्रदान करते हैं। एक ग्राम वसा या तेल से नौ कैलोरी मिलती है। भारत में शुद्ध घी, वनस्पति घी, सरसों, तिल, मूँगफली, सोयाबीन, बिनौले के तेल अधिकतर प्रयोग में लाये जाते हैं। दक्षिण भारत में प्रायः नारियल या मूंगफली का तेल में भोजन पकाया जाता है। वसा एवं तेल द्वारा हमें अनिवार्य फैटी एसिड्स (Essential Fatty Acids) प्राप्त होते हैं जो स्वास्थ्य के लिए लाभदायक हैं। वसा तथा तेल के अतिरिक्त अप्रत्यक्ष रूप में हमें दूध की मलाई, मछली, मांस, तिलहन, काष्ठ फलों (नट्स) से भी कुछ वसा प्राप्त होती है।
9. मांस-मछली (Meat and Fish) – मांस उत्तम प्रकार के प्रोटीन तथा विटामिन ‘बी’ की प्राप्ति का साधन है।
मछलियों से प्रोटीन तथा वसा और बी विटामिन मिलते हैं। सभी प्राणिज प्रोटीन उत्तम प्रकार के होते हैं। मछलियों के यकृत के तेल में विटामिन ‘ए’ तथा ‘डी’ भी पाये जाते हैं। छोटी मछलियाँ जो काँटे समेत खाई जाती हैं, कैल्शियम प्रदान करती हैं।
10. अण्डे (Eggs)-अण्डे में प्रायः सभी पोषक तत्व, जैसे- प्रोटीन, वसा, विटामिन ‘ए’, ‘डी’, लोहा, कैल्शियम तथा फासफोरस पाये जाते हैं। कच्चे अण्डे के सफेद भाग में एक प्रोटीन (Evidin) ‘एविडिन’ होता है जो अण्डे में पाये जाने वाले ‘बायोटिन’ नामक विटामिन के अवशोषण में रूकावट डालता है किन्तु अण्डे को पकाने से यह पदार्थ नष्ट हो जाता है और बायोटीन शरीर में प्रयोग में लाया जा सकता है।
11. चीनी तथा गुड़ (Sugar and Jaggery) – चीनी तथा गुड़ हमारे भोजन को मिठास प्रदान करते हैं। इनसे मिलती है। प्रत्येक ग्राम चीनी या गुड़ 4 कैलोरी प्रदान करता है। गुड़ से लोहा भी प्राप्त होता है।
Important Link…
- अधिकार से आप क्या समझते हैं? अधिकार के सिद्धान्त (स्रोत)
- अधिकार की सीमाएँ | Limitations of Authority in Hindi
- भारार्पण के तत्व अथवा प्रक्रिया | Elements or Process of Delegation in Hindi
- संगठन संरचना से आप क्या समझते है ? संगठन संरचना के तत्व एंव इसके सिद्धान्त
- संगठन प्रक्रिया के आवश्यक कदम | Essential steps of an organization process in Hindi
- रेखा और कर्मचारी तथा क्रियात्मक संगठन में अन्तर | Difference between Line & Staff and Working Organization in Hindi
- संगठन संरचना को प्रभावित करने वाले संयोगिक घटक | contingency factors affecting organization structure in Hindi
- रेखा व कर्मचारी संगठन से आपका क्या आशय है? इसके गुण-दोष
- क्रियात्मक संगठन से आप क्या समझते हैं? What do you mean by Functional Organization?