समायोजन क्या है ? What are Adjustment ?
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समायोजन (Adjustment)
अन्तिम खाते बनाने का प्रमुख उद्देश्य वर्ष का शुद्ध लाभ-हानि का पता लगाना तथा व्यवसाय की सही आर्थिक स्थिति ज्ञात करना है। इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए लेखा अवधि में व्यापार से सम्बन्धित समस्त व्यवहारों का अन्तिम लेखों में समावेश आवश्यक है। वर्ष के अन्त में जब अन्तिम लेखे तैयार किए जाते हैं। उस समय बहुत से लेन-देन ऐसे हो सकते हैं जिनका बहियों में लेखा नहीं किया गया है, अथवा गलत लेखा कर दिया गया है। जैसे कुछ व्यय इसी वर्ष से सम्बन्धित है लेकिन अभी चुकाये नहीं गए है, इसलिए, उनका लेखा नहीं हुआ है अथवा कुछ आय इसी वर्ष की है लेकिन अभी प्राप्त नहीं हुई है अथवा कुछ व्यय आगामी वर्ष के इसी वर्ष में पेशगी दे दिए गए है और उनको हिसाब में लिख दिया गया है। अथवा कुछ आय पेशगी प्राप्त हो गई है और इसी वर्ष खातों में उसे लिख दिया गया है। अतः सम्बन्धित लेखा वर्ष के लाभ या हानि तथा व्यापार की आर्थिक स्थिति की सही-सही जानकारी के लिए ऐसी मदों का लेखा करना अत्यन्त आवश्यक है। इन लेन-देनों को ठीक करने के लिए जो प्रविष्टियां की जाती है उन्हें समायोजन प्रविष्टियाँ (Adjustment Entries) कहते हैं। समायोजनों के लिए प्रत्येक मद की दोहरा लेखा के अनुसार प्रविष्टि की जाती है। समायोजन प्रविष्टियाँ करने से कुछ खातों के शेषों में परिवर्तन हो जाते हैं तथा कुछ नये खाते खुल जाते हैं। अतः इन नये समायोजनों के लेखे शामिल करते हुए एक नया तलपट बनाया जाता है। जो अन्तिम तलपट (Final Trial Balance) या समायोजित तलपट (Adjusted Trial Balance) कहलाता है। इस अन्तिम तलपट के आधार पर ही वर्ष के अन्त में अन्तिम लेखे तैयार किए जाते हैं। प्रायः अन्तिम तलपट नहीं बनाया जाता है और प्रारम्भिक तलपट के नीचे ही टिप्पणी के रूप में समायोजन लिख दिए जाते हैं। अन्तिम लेखे तैयार करते समय इन समायोजनों की मदों को सम्बन्धित खातों के प्रारम्भिक तलपट में दिए गए शेषों में जोड़कर या घटकार उन्हें समायोजित करके लिखा जाता है।
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