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साक्षात्कार (Interview) : अर्थ, विशेषताएँ, प्रकार, गुण एंव सीमाएँ

साक्षात्कार (Interview) : अर्थ, विशेषताएँ, प्रकार, गुण एंव सीमाएँ
साक्षात्कार (Interview) : अर्थ, विशेषताएँ, प्रकार, गुण एंव सीमाएँ

साक्षात्कार (Interview)

साक्षात्कार का अंग्रेजी रूपान्तर इण्टरव्यू (Interview) है। अंग्रेजी भाषा का यह शब्द दो शब्दों Inter + View से मिलकर बना है। ‘Inter’ का अर्थ है ‘आन्तरिक’ तथा ‘View’ का अर्थ है ‘अवलोकन करना’। इस प्रकार साक्षात्कार या इण्टरव्यू का शाब्दिक अर्थ ‘आन्तरिक अवलोकन करना’ है। इससे स्पष्ट होता है कि साक्षात्कार एक ऐसी विधि है जिसके द्वारा हम अध्ययन इकाइयों के उन अनुभवों एवं विचारों आदि का ज्ञान प्राप्त करते हैं जिनके सम्बन्ध में हमकों प्रत्यक्ष रूप से कुछ भी दिखाई नहीं पड़ता है। साक्षात्कार एक अनुसन्धान प्रविधि या अनुसन्धान उपकरण है। इसके माध्यम से विभिन्न परिस्थितियों में आवश्यक सूचनाएँ या आँकड़ें प्राप्त किए जाते हैं।

विभिन्न विद्वानों ने साक्षात्कार की निम्नलिखित परिभाषाएँ दी हैं-

चैपलिन के अनुसार, “साक्षात्कार आमने-सामने होने वाला वह वार्तालाप है जिसका उद्देश्य तथ्यपूर्ण सूचना प्राप्त करना होता है”

According to Chaplin, “Interview is a face-to-face conversation for the purpose of obtaining factual information.”

गुडे एवं हाट के अनुसार, “मौलिक रूप से साक्षात्कार सामाजिक अन्तःक्रिया की एक प्रक्रिया है।”

According to Goode and Hatt, “… Interviewing is fundamentally a process of social interaction.”

पी. वी. यंग के अनुसार, “साक्षात्कार को ऐसी व्यवस्थित विधि माना जा सकता है जिसके अन्तर्गत एक व्यक्ति काल्पनिक रूप से कम या अधिक एक ऐसे व्यक्ति के आन्तरिक जीवन में प्रवेश करता है, जो कि उसके लिए अपेक्षाकृत अपरिचित होता है।”

According to P.V. Young, “The interview may be regarded as a systematic method by which one person enters more or less imaginatively into the inner life of a comparative stranger.”

वाइटलेस के अनुसार, “साक्षात्कार वह सम्मेलन है जो साक्षात्कार लेने वाले और साक्षात्कार देने वाले के बीच घटित होता है।”

According to Viteles, “Interview is a face-to-face conference between the interviewer and the interviewee.”

मैकोबी एवं मैकोबी के अनुसार, “साक्षात्कार से अभिप्राय एक ऐसी स्थिति से है जिसमें एक व्यक्ति साक्षात्कारकर्ता, आमने-सामने के पारस्परिक मौखिक आदान-प्रदान से दूसरे व्यक्ति अथवा व्यक्तियों को सूचना देने अथवा अपने विचार तथा विश्वास व्यक्त करने के लिए प्रेरित करने का प्रयास करता है।”

According to Maccoby and Maccoby, “Interview refers to a face-to-face verbal interchange, which one person, the interviewer, attempts to elicit information or expression of opinion or belief from another person or persons.”

उपर्युक्त परिभाषाओं के अध्ययन से यह स्पष्ट हो जाता है कि साक्षात्कार अनुसन्धान प्रविधि की एक साधारण प्रक्रिया नहीं है बल्कि यह एक अति विकसित कला है जिसने वर्तमान में वैज्ञानिक पद्धति का रूप धारण कर लिया है।

साक्षात्कार की विशेषताएँ (Characteristics of Interview)

साक्षात्कार की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-

1) दो या दो से अधिक व्यक्त्ति (Two or More than Two Persons) – साक्षात्कार में कम से कम दो व्यक्ति होते हैं। प्रथम साक्षात्कारकर्ता, द्वितीय साक्षात्कारदाता, जिससे सूचना प्राप्त की जाती है। किसी भी अनुसन्धान कार्य में एक या एक से अधिक साक्षात्कारकर्ता हो सकते हैं तथा उनकी टीम में दो या दो से अधिक सदस्य हो सकते हैं। इसी प्रकार साक्षात्कारदाता भी एक या एक से अधिक हो सकते हैं।

2) तथ्य संकलन (Data Collection) – साक्षात्कार प्रविधि में साक्षात्कार की प्रगति के साथ-साथ आँकड़ों या तथ्यों का संग्रह भी किया जाता है, आँकड़ों का संग्रह साक्षात्कारकर्ता लिखित रूप में कर सकता है या फिर विभिन्न इलेक्ट्रॉनिक यंत्रों की सहायता से भी कर सकता है। यह संसाधनों की उपलब्धता तथा परिस्थिति पर निर्भर करता है।

3) क्रमबद्ध प्रविधि (Systematic Technique) – साक्षात्कार एक क्रमबद्ध प्रविधि है जिसके द्वारा साक्षात्कारकर्ता अध्ययन इकाई से अपनी समस्या के सम्बन्ध में प्रत्यक्ष, अप्रत्यक्ष एवं आन्तरिक सूचनाएँ प्राप्त करता है।

4) अन्तर्वैयक्तिक स्थिति (Inter-Personal Situation) – साक्षात्कार में अन्तर्वैयक्तिक स्थिति की विशेषता पाई जाती है। इसमें साक्षात्कारकर्ता और साक्षात्कारदाता अपनी-अपनी भूमिकाएँ एक-दूसरे के साथ पारस्परिक क्रिया-प्रतिक्रिया करते हुए पूरी करते हैं। उसके बाद साक्षात्कारकर्ता सूचनादाता से उसकी आन्तरिक सूचनाएँ ग्रहण करके अध्ययन समस्या के सम्बन्ध में तथ्यों का संकलन करता है।

5) विशिष्ट उद्देश्य (Specific Objectives) – प्रत्येक प्रविधि का कुछ न कुछ उद्देश्य अवश्य होता है उसी प्रकार साक्षात्कार का भी विशिष्ट उद्देश्य होता है। इसमें अनुसन्धानकर्ता उसी उद्देश्य से समस्या या अध्ययन विषय से सम्बन्धित प्रश्न पूछता है। वह इन उत्तरों में नवीन तथ्यों की खोज करता है। वास्तव में, साक्षात्कार एक ऐसा वार्तालाप है जिसके कुछ प्रमुख उद्देश्य अवश्य होते हैं।

साक्षात्कार के प्रकार (Types of Interview)

साक्षात्कार को कई आधारों पर वर्गीकरण किया गया है। साक्षात्कार के प्रमुख वर्गीकरण निम्नलिखित हैं-

1) संरचना के आधार पर

  • i) संरचित साक्षात्कार,
  • ii) असंरचित साक्षात्कार,
  • iii) अर्द्ध-संरक्षित साक्षात्कार या केन्द्रित सरकार।

2) औपचारिकता के आधार पर

  • i) औपचारिक साक्षात्कार एवं
  • ii) अनौपचारिक साक्षात्कार ।

3) उद्देश्यों के आधार पर

  • i) निदानात्मक साक्षात्कार,
  • ii) उपचारात्मक साक्षात्कार एवं
  • iii) अनुसन्धान साक्षात्कार ।

4) सम्पर्क के स्वरूप के आधार पर

  • i) अल्पकालिक साक्षात्कार,
  • ii) दीर्घकालिक साक्षात्कार एवं
  • iii) पुनरावृत्ति साक्षात्कार ।

5) उत्तरदाताओं की संख्या के आधार पर

  • i) व्यक्तिगत या वैयक्तिक साक्षात्कार एवं
  • ii) सामूहिक साक्षात्कार ।

साक्षात्कार विधि के गुण (Merits of Interview Method)

साक्षात्कार विधि के गुण निम्नलिखित हैं-

1) विषम घटनाओं का अध्ययन (Study of Complex Phenomena) – साक्षात्कार विधि के उपयोग से विषम घटनाओं के स्वरूप को संरचित करने में विशेष सुविधा रहती है एवं इससे उसके संयुक्त रूप तथा उनके विभिन्न अंगों के संरचित रूपों का भी सरलतापूर्वक अध्ययन किया जा सकता है।

2) गहन अध्ययन (Intensive Study)- साक्षात्कार के द्वारा सम्बन्धित घटना का केवल अवलोकन ही नहीं किया जाता, बल्कि इसके द्वारा एक व्यक्ति व सामाजिक स्थिति का गहन अध्ययन भी किया जा सकता है।

3) अमूर्त तथा अदृश्य घटनाओं का अध्ययन (Study of Abstract and Intangible Phenomena)- अनेक घटनाओं जैसे- अभिवृत्तियों, विचारों, अनुभवों व मूल्यों आदि का रूप प्रायः अमूर्त व अदृश्य होता है। इनके अध्ययन हेतु साक्षात्कार विधि अन्य विधियों की अपेक्षा अधिक कुशल विधि है क्योंकि इनके अध्ययन में यह विधि विशिष्ट, अनुसूचियों व मापनियों के उपयोग के अतिरिक्त सम्बन्धित घटनाओं के प्रति कोमल संवेगों व भावों का भी सूक्ष्म अध्ययन कर सकती है।

4) अध्ययन में नम्यता (Flexibility in Study) – साक्षात्कार विशेषतः अनिर्देशित व अनियन्त्रित (Uncontrolled) साक्षात्कार का स्वरूप पर्याप्त मात्रा में लचीला (Flexible) रहता है। इससे अध्ययन के प्रक्रम को आवश्यकतानुसार परिवर्तित किया जा सकता है तथा तदनुसार वांछित आँकड़े प्राप्त करने की सुविधा रहती है।

5) गोपनीय अनुभवों व घटनाओं की जानकारी (Knowledge of Secret Experiences and Events) – साक्षात्कार विधि, विशेषतः गहन साक्षात्कार (Depth Interviewed) के द्वारा कुशल साक्षात्कारकर्ता एक व्यक्ति अथवा समूह से सम्बन्धित गोपनीय अनुभवों व घटनाओं के सम्बन्ध में आवश्यक जानकारी प्राप्त करने में पर्याप्त मात्रा में सफल रहता है। अध्ययन की यह विशिष्ट सुविधा अनुसन्धान की प्रायः किसी अन्य विधि के उपयोग से साध्य नहीं होती

6) अतीत की घटनाओं का अध्ययन (Study of the Past Events) – अन्य विधियों की अपेक्षा साक्षात्कार विधि उत्तरदाता की अतीत की घटनाओं का सफल अध्ययन कर सकती है। ऐसे ही निकट के समय में गठित भूतकालीन सामाजिक घटनाओं के भी अध्ययन में साक्षात्कार विधि का विशेष रूप से व्यापक उपयोग किया जाता है।

साक्षात्कार विधि की सीमाएँ (Limitations of Interview Method)

साक्षात्कार विधि के दोष निम्नलिखित हैं-

1) साक्षात्कारकर्ता के पक्षपात के कारण दूषित परिणाम (Contaminated Results due to the Interviewer’s Bias) – साक्षात्कारकर्ता की अभिवृत्तियों व अपेक्षाओं से आँकड़ों का स्वरूप प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित होता है और इससे उनमें अनेक त्रुटियाँ (Errors) घटित होती है। इससे प्राप्त आँकड़ों की विश्वसनीयता और वैधता कम होती है।

2) उत्तरदाता में संवेगात्मक उतार-चढ़ाव से असन्तुलित उत्तर (Imbalanced Answer due to Emotional Fluctuation in the Respondents) – साक्षात्कार के प्रक्रम के अन्तर्गत् उत्तरदाता की संवेगात्मक स्थिति प्रायः स्थिर नहीं रहती है। उसमें निरन्तर उतार-चढ़ाव आते रहते हैं जिससे प्राप्त उत्तरों का स्वरूप निष्पक्ष न रहकर असन्तुलित हो जाता है।

3) साक्षात्कारकर्ता द्वारा अध्ययन की मानकीकृत स्थितियों का अभाव (Lack of Standardized Conditions for Study in Interview) – साधारणतः साक्षात्कार विधि के उपयोग में अध्ययन की स्थितियाँ अनियन्त्रित व मानकीकृत होती रहती है। ऐसी स्थितियों में किया गया अध्ययन उच्च वैज्ञानिक स्तर का अध्ययन नहीं होता।

4) सन्देहपूर्ण सूचना (Doubtful Information) – साक्षात्कार विधि का प्रक्रम प्रायः कठोर व वस्तुपरक नहीं होता। अतः इससे प्राप्त सूचना का विश्वसनीयता के प्रति निरन्तर सन्देह बना रहता है।

5) कृत्रिम उत्तरों की अधिक सम्भाव्यता (Greater Probability of Artificial Answers) –  यदि साक्षात्कारकर्ता उत्तरदाताओं से मैत्रिक भावना स्थापित नहीं कर पाता या उत्तरदाता एक संकोची व्यक्ति है। तब प्रायः कृत्रिम व अवैध उत्तरों की प्राप्ति की ही अधिक सम्भावना रहती है।

6) स्थानीय भाषा की जानकारी में कठिनाई (Difficulty due to Lack of Knowledge of Local Dialect) – साक्षात्कार द्वारा अध्ययन का आकार प्रायः व्यापक होता है इससे विभिन्न समूहों व विभिन्न भाषाओं वाले उप-समूहों का भी अध्ययन सम्मिलित रहता है। अब यदि साक्षात्कारकर्ता की इन विभिन्न समूहों की स्थानीय भाषाओं (Dialect) की घनिष्ठ जानकारी नहीं होती तब इससे वैध आँकड़ों के संकलन में स्वाभाविकतः कठिनाई प्रस्तुत होती है।

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Anjali Yadav

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