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स्थानान्तरण के सिद्धान्त अधिगम (Theories of Transfer of Learning)
अधिगम स्थानान्तरण के प्रमुख सिद्धान्त निम्नलिखित हैं-
1) मानसिक अनुशासन या मानसिक शक्तियों का सिद्धान्त (Theories of Mental Discipline or Mental Faculty) – स्थानान्तरण के सिद्धान्तों में यह सबसे अधिक प्राचीन है। इस सिद्धान्त के अनुसार मस्तिष्क में विभिन्न मानसिक शक्तियाँ होती हैं। जैसे स्मरण शक्ति, अवधान शक्ति, कल्पना शक्ति, तर्क एवं विचार शक्ति और निर्णय शक्ति आदि ।
ये शक्तियाँ एक प्रकार से मस्तिष्क की माँसपेशियों मानी जा सकती है जिन्हें शरीर की मांसपेशियों की भाँति अच्छी तरह उपयोग करने और समुचित अभ्यास द्वारा शक्तिशाली बनाया जा सकता है तथा उनकी कार्यक्षमता को बढ़ाया जा सकता है।
इस प्रकार की विकसित और सशक्त बनी हुई मानसिक शक्तियाँ अपने-अपने विशिष्ट क्षेत्र में पूर्ण स्वतन्त्रतापूर्वक कार्य करती है। मानसिक अनुशासन या शक्तियों के सिद्धान्त को सबसे पहने विलियम जेम्स (William James) द्वारा आलोचना का शिकार होना पड़ा।
विलियम जेम्स ने मानसिक शक्तियों के सिद्धान्त की जाँच करने के प्रयत्न में यह देखना चाहा कि किसी एक लेखक द्वारा लिखी गई कविता की पंक्तियों को याद करने में कुछ सहायता मिलती है अथवा नहीं। प्रयोग उसने अपने ऊपर ही किया, उसने विक्टर ह्यूगो (Victor Hugo) के Satyr में से 131 5/6 मिनट में (आठ दिनों के अध्ययन काल में) याद की। इसके पश्चात् मिल्टन (Milton) की पेराडाइज लॉस्ट (Paradise Lost) के प्रथम भाग को 38 दिन तक प्रतिदिन 20 मिनट तक अध्ययन कर याद कर लिया।
इस प्रकार उसने आपनी स्मरण शक्ति को प्रशिक्षित कर पुनः उसी Satyr की कोई दूसरी 128 पंक्तियों को याद करने का प्रयत्न किया लेकिन अब वह इन पंक्तियों को 151 1/2 मिनट में याद कर सका, जबकि उतनी ही पंक्तियों को याद करने में उसे पहले 131 1/2 मिनट का समय लगा था।
2) समरूप तत्वों का सिद्धान्त (Theory of Identical Elements) – इस सिद्धान्त के मुख्य प्रतिपादकों में सबसे पहला नाम थोर्नडाइक (Thorndike) का आता है। उसके पश्चात् वुडवर्थ (Woodworth) ने भी इस सिद्धान्त के पक्ष में अपना मत दिया और तत्वों (Elements) के स्थान पर अवयव (Components) शब्द का प्रयोग किया। इस कारण इस सिद्धान्त को समरूप अवयवों का सिद्धान्त (Theory of Identical Components) भी कहा जाता है।
यह सिद्धान्त बताता है कि किसी एक परिस्थिति में अधिगम या प्रशिक्षण का स्थानान्तरण उस सीमा तक हो सकता है जहाँ तक दोनों परिस्थितियों के कुछ समान या समरूप तत्व उपस्थित रहते हैं जितने तत्व दोनों परिस्थितियों में समरूप होंगे, स्थानान्तरण भी उतना ही अधिक होगा।
3) सामान्यीकरण का सिद्धान्त (Theory of Generalisation) – इस सिद्धान्त को चार्ल्स जूड (Charles Judd) प्रकाश में लाए। इस सिद्धान्त ने नवीन परिस्थितियों के समरूप तत्वों के स्थान पर सामान्यीकरणों के स्थानान्तरण की बात सामने रखी। अपने कुछ अनुभवों के आधार पर एक व्यक्ति कोई सामान्य सिद्धान्त पर पहुँच जाता है। दूसरी परिस्थितियों में कार्य करते हुए अथवा कुछ सीखते हुए वह अपने निकाले हुए इन्हीं निष्कर्षो अथवा सिद्धान्तों को प्रयोग में लाने की चेष्टा करता है। इस तरह सामान्यीकरण के स्थानान्तरण से अभिप्राय पहले की परिस्थितियों में अर्जित किए हुए सिद्धान्त तथा नियमों का दूसरी परिस्थितियों में ज्ञान तथा कौशल के अर्जन अथवा कार्यों को करने के समय उपयोग में लाने से है।
क्रो एवं क्रो (1973) के अनुसार, किसी एक परिस्थिति में विशेष कुशलताओं के विकसित होने, विशिष्ट तथ्यों का ज्ञान होने और विशेष आदतों अथवा अनुभूतियों की प्राप्ति का किन्हीं दूसरी परिस्थितियों में अन्तरण या स्थानान्तरण तब तक नहीं होता है।
जब तक कि अर्जित ज्ञान, कौशल और आदतों को ठीक प्रकार से व्यवस्थित कर उन परिस्थितियों से सम्बन्धित न कर दिया जाए जिनमें कि उनका उपयोग किया जा सकता है।
According to Crow and Crow (1973), The developing of special skills, the mastery of specific facts, the achieving of particular habits or attitudes in an situation have little transfer value unless the skills, facts, habits are systematized and related to other situations in which they can be utilised.”
जुङ द्वारा किया गया प्रयोग (Judd’s Experiment): जुड ने सामान्यीकरण सिद्धान्त की पुष्टि के लिए प्रयोग किया। उसने पाँचवी और छठवीं कक्षा के विद्यार्थियों को उनकी बुद्धि, शैक्षणिक उपलब्धि आदि को ध्यान में रखते हुए दो समान समूहों में विभक्त किया। एक समूह को उसने प्रयोगात्मक समूह (Experimental Group) तथा दूसरे को नियन्त्रित समूह (Controlled group) का नाम दिया। प्रयोग का उद्देश्य यह देखना था कि आवर्तन (Refraction) के नियम का ज्ञान करा देने के पश्चात् बालकों को गहरे पानी में रखी वस्तु पर निशाना लगाने की योग्यता में कितनी वृद्धि होती है।
दोनों समूहों से सम्बन्धित बच्चों को आवर्तन की प्रक्रिया का सैद्धान्तिक परिचय प्राप्त हो गया था। आवर्तन के मात्र सैद्धान्तिक ज्ञान से प्रयोगात्मक समूह की कार्यक्षमता में नियन्त्रित समूह की तुलना में कोई विशेष अन्तर नहीं आया। प्रयोग के दूसरे चरण में स्थिति बदल ही गयी। वस्तु को पानी में और 4 गहरे स्थान पर रख दिया गया। अब इस समय प्रयोगात्मक समूह ने नियन्त्रित समूह की तुलना में लक्ष्य साधन के कार्यों में अधिक सफलता प्राप्त की।
वैसे देखा जाए तो दोनों समूहों को अभ्यास करने के रूप में समान अवसर प्राप्त हुए थे, परन्तु जहाँ नियन्त्रित समूह अपने अनुभव से अधिक लाभ नहीं उठा सका, वहाँ प्रयोगात्मक समूह ने उससे पूरा-पूरा लाभ उठाया। आवर्तन के नियमों से सैद्धान्तिक और प्रयोगात्मक रूप से परिचित होने के कारण उन्हें पानी में रखी वस्तु पर ठीक प्रकार से लक्ष्य साधने में सफलता प्राप्त हुई।
4) आदर्शो एवं मूल्यों का सिद्धान्त (Theory of Ideals) – इस सिद्धान्त को डब्ल्यू0 सी० बागले (W.C. Bagley) ने प्रस्तुत किया। इसके अनुसार सामान्यीकरण के स्थानान्तरण के मूल में आदर्श और मूल्य होते हैं। इन आदर्शों और मूल्यों का ही एक परिस्थिति से दूसरी परिस्थिति में स्थानान्तरण होता रहता है। अतः बच्चों में मूल्यों और आदर्शों के विकास के लिए समुचित प्रयत्न करने की आवश्यकता है। एक बार आदर्शों की नींव पड़ जाने पर उनका स्थानान्तरण जीवन के हर क्षेत्र में होता रहता है। आदर्शों और मूल्यों का स्थानान्तरण होता है, इसकी पुष्टि निम्न दो प्रयोगों द्वारा हो सकती है।
पहले प्रयोग में प्रयोगकर्ता ने तीसरी कक्षा के बच्चों को अंकगणित का प्रश्न-पत्र हल करते समय स्वच्छता का ध्यान रखने के लिए पूरी तरह सचेत किया, जबकि दूसरे विषयों के पर्चे हल करते समय ऐसा कुछ नहीं कहा गया। जब इस सभी पर्थों की उत्तर पुस्तिकाएँ देखी गयीं तो मालूम हुआ कि अंकगणित की उत्तर पुस्तिकाओं में अन्य विषयों की तुलना में स्वच्छता का बहुत अधिक ध्यान रखा गया था। दूसरे प्रयोग में प्रयोगकर्ता ने सभी प्रश्नपत्रों को हल करने में पूरी-पूरी स्वच्छता रखने पर बल दिया और बच्चों को जीवन के सभी क्षेत्रों में विद्यालय के अन्दर और बाहर स्वच्छता रखने के लाभ और महत्व से पूरी तरह परिचित कराया। इस प्रकार से बच्चों में स्वच्छता को एक आदर्श और मूल्य के रूप में विकसित करने की भरपूर चेष्टा की गयी।
ऊपर वर्णन किए गए स्थानान्तरण के सभी सिद्धान्त एक परिस्थिति से दूसरी परिस्थिति में सीखने अथवा प्रशिक्षण का स्थानान्तरण कैसे होता है, इस बारे में काफी गम्भीर मतभेद रखते हुए प्रतीत होते है, परन्तु वास्तविक रूप से देखा जाए तो यह मतभेद ऊपरी ही है। ये सभी सिद्धान्त एक दूसरे के विरोधी नहीं, अपितु पूरक है।
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