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विकेन्द्रीकरण को प्रभावित करने वाले तत्व (घटक) (Factors affecting Decentralization)
विकेन्द्रीकरण पर कई घटकों का प्रभाव पड़ता है। इस प्रवृत्ति को प्रभावित करने वाले प्रमुख तत्व (घटक) निम्नलिखित हैं-
(1) विविधीकरण तथा भौतिक फैलाव के कारण विकेन्द्रीकरण आवश्यक होता है।
(2) जब संगठन का आकार बड़ा होता है तो कुछ क्रियाओं का विकेन्द्रीकरण करना आवश्यक हो जाता है। आकार के वृहत् होने से निर्णयों की जटिलता बढ़ जाती है, अतः विकेन्द्रीकरण की अनिवार्यता भी बढ़ जाती है।
(3) प्रबन्धकीय नेतृत्व भी विकेन्द्रीकरण को प्रभावित करता है। जब उच्च नेतृत्व प्रजातांत्रिक मूल्यों में आस्था रखता है तो विकेन्द्रीकरण को प्रोत्साहन मिलता है। इसके विपरीत अधिनायकवादी नेतृत्व, परम्परागत प्रबन्ध दर्शन ‘एक्स’ विचारधारा की मान्यता के कारण विकेन्द्रीकरण की प्रवृत्ति अवरूद्ध हो जाती है।
(4) विकेन्द्रित निष्पादन जोकि श्रम विभाजन, तकनीकी कार्य, यंत्रों व कच्चे माल की स्थिति पर आधारित होता है, भी सत्ता के विकेन्द्रीकरण की प्रवृत्ति को बढ़ा देते हैं।
(5) प्रबन्ध के मध्य एवं निम्न स्तरों पर प्रशिक्षित, जागरूक एवं महत्वाकांक्षी व्यक्तियों के होने के कारण भी विकेन्द्रीकरण की प्रवृत्ति को बढ़ावा मिलता है।
(6) जो संगठन आन्तरिक रूप से विकसित होने की प्रवृत्ति रखते हैं, उनमें विकेन्द्रीकरण सीमित होता है।
(7) निर्णय की बहुमूल्यता भी विचारणीय है। अधिक मूल्यवान निर्णयों को उच्च स्तर पर ही केन्द्रित किये जाने की प्रवृत्ति के कारण विकेन्द्रीकरण में बाधा पहुँचती है।
(8) अनिश्चित एवं तेजी से बदले रहे बाह्य वातवरण में अपूर्वानुमान क्षमता एवं निर्णयों व सूचनाओं के भार के कारण विकेन्द्रीकरण आवश्यक हो जाता है।
(9) नियंत्रण प्रणाली- जिन उपक्रमों में निम्न स्तरों की क्रियाओं की समीक्षा के लिए ‘प्रभावशाली नियन्त्रण प्रणाली’ होती है उनमें विकेन्द्रीकरण बढ़ाने की प्रवृत्ति पायी जाती है। निर्णयों
(10) संगठन के लक्षण- व्यूहरचना, नियंत्रण का विस्तार, संरचना की जटिलता, संगठनात्मक समूह, के प्रकार, उच्च प्रबन्धकों का दृष्टिकोण एवं नीति, संगठनात्मक संस्कृति आदि घटक भी विकेन्द्रीकरण की सीमा को प्रभावित करते हैं।
(11) अन्य घटक-
(i) बाजार के लक्षण-प्रतिस्पर्धा, माँग, कच्चे माल की प्राप्ति, उपभोक्ता की रुचियाँ ।
(ii) निर्णयों में जोखिम की मात्रा ।
(iii) अधीनस्थों में अधिकारी का विश्वास। अधीनस्थों पर विकेन्द्रीकरण का संभावित मनोवैज्ञानिक प्रभाव
(iv) कार्य की प्रकृति-तकनीकी प्रकृति, अन्तनिर्भरता, प्रयुक्त प्रौद्योगिकी, परामर्श व प्रशिक्षण की आवश्यकता आदि ।
(v) उपक्रम का इतिहास।
(vi) बाह्य प्रभाव-सरकारी नीतियाँ, श्रम कानून, कर व्यवस्था, गत्यात्मकता ।
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