चयन प्रक्रिया (Process of Selection)
चयन प्रक्रिया किसी अभ्यर्थी से उनकी योग्यताओं, अनुभव एवं अन्य गुणों का मूल्यांकन करने के लिए वांछित सूचना प्राप्त करने तथा पद के लिए निर्धारित अर्हताओं से इन सूचनाओं का मिलान करते हुए उसका चयन किये जाने से सम्बन्धित है। यह संगठन की आवश्यकताओं के अनुसार सर्वोत्तम का चयन किये जाने की प्रक्रिया है।
चयन प्रक्रिया में अनुपयुक्त अथवा कम उपयुक्त आवेदन-पत्रों को रद्द किया जाता है। ऐसा चयन प्रक्रिया के लिए निर्धारित विभिन्न स्तरों में से किसी भी स्तर पर किया जा सकता है। अनुपयुक्तों अथवा कम उपयुक्तों की छँटनी चयन प्रक्रिया के प्रत्येक स्तर पर की जाती है।
डेल योडर ने इन बाधाओं को ‘जाओ’, ‘न जाओ’ मापकों का नाम दिया है जो किसी एक बाधा (परीक्षण) को पार करने में सफल हो जाते हैं, उन्हें अगली बाधा पार करने के लिए कहा जाता है। जो ऐसा नहीं कर पाते हैं उन्हें प्रतिस्पर्द्धा से बाहर कर दिया जाता है। सभी प्रकार के पदों के लिए समान चयन प्रक्रिया नहीं अपनायी जाती। पद का दायित्व एवं जटिलता जितनी अधिक होती है चयन प्रक्रिया भी उतनी ही अधिक जटिल बनायी जाती है। दूसरे यह भी आवश्यक नहीं है कि इन सभी बाधाओं को किसी एक निश्चित क्रम में ही रखा जाये।
चयन प्रक्रिया के विभिन्न चरण (Various Steps of Selection Process)
चयन प्रक्रिया को निम्न चित्र से अधिक भली-भाँति समझा जा सकता है-
(1) प्रारम्भिक छँटनी अथवा प्रारम्भिक साक्षात्कार- इस प्रक्रिया के अन्तर्गत भावी उम्मीदवारों को पद के कार्य एवं प्रकृति, निर्धारित शैक्षणिक एवं तकनीकी योग्यताओं आदि से अवगत कराकर उनमें वांछित सूचना प्राप्त कर ली जाती है। यदि उम्मीदवार को पद के उपयुक्त पाया जाता है तो उसे आगे की प्रक्रिया के लिए चयनित कर लिया जाता है, अन्यथा उसके आवेदन को निरस्त कर दिया जाता है। यह एक ढीला-ढाला साक्षात्कार है जो कार्मिक विभाग के किसी कनिष्ठ अधिकारी द्वारा लिया जाता है। जिन उम्मीदवारों को उपर्युक्त पाया जाता है उन्हें एक विधिवत् आवेदन-पत्र दे दिया जाता है जिसे भरकर वे कार्मिक विभाग में जमा कर देते हैं।
(2) आवेदन-पत्रों की जाँच- आवेदन- पत्र दो प्रकार के होते हैं। कुछ संगठनों द्वारा सादे कागज पर आवेदन माँगा जाता है। ऐसा वहाँ किया जाता है जहाँ आवेदन-पत्र का कोई निश्चित प्रारूप नहीं होता। ऐसे मामलों में आवेदक से अपनी आयु, वैवाहिक स्तर, शैक्षणिक योग्यता, कार्य अनुभव तथा अन्य सन्दर्भों के बारे में वांछित सूचनाएँ देने के लिए कहा जाता है। एक ही संगठन द्वारा अलग-अलग पदों के लिए अलग-अलग प्रकार के आवेदन-पत्र निर्धारित किये जाते हैं। कुछ आवेदन-पत्र साधारण प्रकार के हो सकते हैं जो कुछ अत्यधिक विशिष्ट प्रकार के। राष्ट्रीयता, जाति, रंग, धर्म, जन्म-स्थान, भेदभाव की भावना के द्योतक हैं। इसलिए समान्यतया इस प्रकार की सूचनाएँ आवेदन-पत्रों में नहीं माँगी जानी चाहिए। आवेदन पत्र का प्रारूप इस प्रकार का बनाया जाना चाहिए कि उसमें सभी वांछित सूचनाएँ प्रारम्भिक स्तर पर ही उपलब्ध हो जायें। आवेदन-पत्र दो प्रकार से प्रयुक्त किया जाता है-
(क) इससे उम्मीदवार के बारे में समस्त सूचनाएँ प्राप्त हो जाती हैं जिससे यह पता लगाया जा सकता है कि वह पद विशेष के लिए उपयुक्त है या नहीं।
(ख) आवेदन-पत्र की सूचनाएँ साक्षात्कार के लिए प्रारम्भिक बिन्दु होती हैं। जहाँ आवेदकों की संख्या बहुत अधिक होती है वहाँ आवेदन-पत्रों की जाँच-पड़ताल द्वारा बहुत बड़ी संख्या में अयोग्य उम्मीदवारों के आवेदन-पत्रों को निरस्त कर दिया जाता है।
(3) चयन परीक्षा- किसी भी उम्मीदवार के व्यक्तित्व, व्यवहार, ज्ञान के स्तर की जानकारी हेतु विभिन्न प्रकार के परीक्षण किये जाते हैं। इन चयन परीक्षणों के प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित हैं-
(i) कार्य एवं पद का दायित्व निभाने के लिए वांछित योग्यताओं के सन्दर्भ में विभिन्न प्रकार के उम्मीदवारों से योग्यतम उम्मीदवारों की खोज करना।
(ii) साक्षात्कारकर्त्ता या पर्यवेक्षक के स्तर पर चयन के समय किये जाने वाले पक्षपात की सम्भावनाएँ समाप्त करना।
(iii) परीक्षण से उम्मीदवारों की विशेषताएँ एवं गुणों को ज्ञात किया जा सकता है जिनका ज्ञान साक्षात्कार द्वारा नहीं हो पाता।
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