लेखांकन सूचना की प्रकृति एवं उद्देश्यों का वर्णन कीजिए। Discuss the nature and purposes of accounting Information.
Contents
लेखांकन सूचना की प्रकृति एवं उद्देश्य (Nature and Purpose of Accounting Information)
वित्तीय एवं गैर-वित्तीय लेनदेनों से उत्पन्न प्रक्रियांकित लेखांकन समंक ही लेखांकन सूचना है, बशर्ते ये समंक इस प्रारूप में हों कि वे प्रबन्ध व अन्य प्रयोगकर्ता को सहायता कर सकें। इस प्रकार, लेखांकन सूचना को व्यापक दृष्टि से इस रूप में देखा जा सकता है, जो आन्तरिक एवं वाहा प्रयोग हेतु लेखांकन समंकों को प्रक्रियांकित किया गया हो। इस प्रकार के लेखांकन सूचना की कुछ आधारभूति विशेषताएँ होती हैं, जिन्हें निम्न रूप में प्रस्तुत किया गया है :
(1) प्रयोगकर्ताओं के मूल उद्देश्यों की सेवा हेतु लेखांकन सूचना का सृजन किया जाता है।
(2) लेखांकन सूचना और उसका प्रसारण एक संगठन से दूसरे संगठन व प्रबन्ध के एक स्तर से प्रबन्ध के दूसरे स्तर के अनुसार बदल सकता है।
(3) एक लेखांकन सूचना पद्धति का क्षेत्र प्रयोगकर्ताओं की विशिष्ट आवश्यकता से अधिक सीमा तक प्रभावित होता है।
(4) असमय या देरी से, त्रुटिपूर्ण एवं उद्देश्यहीन लेखांकन सूचना अर्थहीन होती है।
(5) लेखांकन सूचना का सृजन वित्तीय लेखांकन या लागत लेखांकन से लिये गये समंकों के प्रक्रियांकन से किया जा सकता है।
लेखांकन सूचना के सृजन का कोई भी तरीका क्यों न हो, इसका उद्देश्य (i) हिसाब-किताब (Scorekeeping), (ii) ध्यान-निर्देशन (Attention direction), तथा (iii) समस्या निवारण (Problem Solving) होता है। वस्तुतः ये तीनों लेखांकन सूचना के मौलिक उद्देश्य हैं, प्रत्येक की व्याख्या नीचे की गयी है :
(i) हिसाब-किताब (Scorekeeping)- लेखांकन सूचना का यह प्राथमिक उद्देश्य होता है। हिसाब-किताब का व्यवहार सीधे तौर पर व्यावसायिक संस्था के वित्तीय स्वरूप से होता है। इसके दो पहलू हैं- प्रथम निष्पादन से सम्बन्धित वास्तविक समंकों का अभिलेख रखना और द्वितीय पूर्व-निर्धारित प्रमाप या मानक के सम्बन्ध में समंकों को रखना । वास्तविक समंकों का प्रमाप/मानक तुलना से अर्थपूर्ण व महत्वपूर्ण उत्तर प्राप्त हो सकता है, उन प्रश्नों का कि क्या निष्पादन अच्छा, बुरा या तटस्थ रहा है? इस प्रकार हिसाब-किताब की भूमिका में लेखांकन समंकों का संकलन करता है और आन्तरिक व बाह्रा दोनों प्रकार के प्रयोगकर्त्ताओं को इस योग्य बनाता है कि वे उस संस्था के निष्पादन को समझने और आकलन करने में सक्षम हो, जिसमें वे किसी भी प्रकार का हित रखते हों।
(ii) ध्यान-निर्देशन (Attention-direction)- लेखांकन सूचना का एक अन्य उद्देश्य यह है। कि प्रयोगकर्त्ता का ध्यान निर्णय लेने की आवश्यकता की ओर आकर्षित किया जाए। हिसाब-किताब कार्य से पता चलता है कि वास्तविक का प्रमाप/मानक से विचरणांश/विचलन है, जिसे एक रिपोर्ट के रूप में प्रस्तुत किया गया है। जब निर्णय लेने वाले के समक्ष ऐसी रिपोर्ट प्रस्तुत की जाती है, तो वह ध्यान निर्देशन का कार्य करती है, जो निर्णय लेने वाले को इन विचरणांशों पर ध्यान आकर्षित करने के लिये प्रेरित करती है। फलस्वरूप, निर्णय लेने वाला ऐसे विचरणांशों के लिये उत्तरदायी कारकों को ढूढ़ना शुरू कर देता है, सुधारात्मक कार्यवाही के लिये सोचना शुरू कर देता है और भविष्य के लिये फीड बैंक में संशोधन भी करना चाहता है। इस प्रकार, लेखांकन सूचना का ध्यान निर्देशन उद्देश्य प्रबन्धकों के ध्यान को संचालनात्मक कमजोरियों, दबाव, कमियों, अवसरों आदि के प्रति आमंत्रित करता है। इसी कारण से लेखांकन को नियंत्रण से घनिष्ठ सम्बन्ध रखने वाला कहा जाता है।
(iii) समस्या-निवारण (Problem Solving)- लेखांकन सूचना का तीसरा उद्देश्य ऐसी सूचना के प्रावधान से है, जो प्रबन्धक को उसके समक्ष उपस्थित समस्या का समाधान करने की योग्यता पैदा करे। अनेक समस्याएँ ऐसी होती हैं, जिन पर लेखांकन सूचना पर्याप्त प्रकाश डाल सकती है। और उन समस्याओं का सम्भावित हल/समाधान भी लेखांकन सूचना से प्राप्त हो सकता है। लेखांकन के द्वारा विभिन्न वैकल्पिक का संख्यात्मक विवेचन, उनके गुण तथा अवगुण का आकलन सम्भव होता है और इस प्रकार प्रबन्ध सर्वोत्तम/अनुकूलतम समाधान द्वारा समस्या का निवारण कर सकता है।
हिसाब-किताब और ध्यान-निर्देशन लेखांकन सूचना के ये दोनों उद्देश्य बहुत ही घनिष्ठता के साथ सम्बद्ध हैं। एक ही सूचना एक प्रबन्ध के लिये हिसाब-किताब की हो सकती है, तो वही सूचना प्रबन्धक के वरिष्ठ के लिये ध्यान-निर्देशन के रूप में हो सकता है। उदाहरण के लिये, अनेक लेखांकन पद्धति द्वारा निष्पादन रिपोर्ट प्रदान की जाती है, जिसमें निर्णयों से उत्पन्न वास्तविक परिणामों की तुलना पूर्व में निर्धारित योजनाओं से की जाती है। कहाँ पर वास्तविक परिणाम पूर्व निर्धारित योजना से भिन्न है, ऐसा दर्शाते हुये रिपोर्ट प्रबन्धक को दिखाती है कि वह कैसा और किस प्रकार निष्पादन कर रहा है और प्रबन्धक के वरिष्ठ को यह दर्शाता है कि कहाँ कार्यवाही करने की जरूरत है।
इसके विपरीत, समस्या निवारण सूचना दीर्घकालीन नियोजन में प्रयोग की जा सकती है और साथ ही गैर-आवर्ती निर्णयन में भी प्रयोग की जा सकती है। जैसे खरीदा जाए या बनाया जाए, ‘उपकरण का पुनर्स्थापन हो, एक उत्पाद को खत्म या बढ़ाया जाए आदि। ये निर्णय अक्सर विशेषज्ञों की राय लेकर ही लिये जाते हैं।
Important Link
- अधिकार से आप क्या समझते हैं? अधिकार के सिद्धान्त (स्रोत)
- अधिकार की सीमाएँ | Limitations of Authority in Hindi
- भारार्पण के तत्व अथवा प्रक्रिया | Elements or Process of Delegation in Hindi
- संगठन संरचना से आप क्या समझते है ? संगठन संरचना के तत्व एंव इसके सिद्धान्त
- संगठन प्रक्रिया के आवश्यक कदम | Essential steps of an organization process in Hindi
- रेखा और कर्मचारी तथा क्रियात्मक संगठन में अन्तर | Difference between Line & Staff and Working Organization in Hindi
- संगठन संरचना को प्रभावित करने वाले संयोगिक घटक | contingency factors affecting organization structure in Hindi
- रेखा व कर्मचारी संगठन से आपका क्या आशय है ? इसके गुण-दोष
- क्रियात्मक संगठन से आप क्या समझते हैं ? What do you mean by Functional Organization?
Disclaimer: Target Notes does not own this book, PDF Materials Images, neither created nor scanned. We just provide the Images and PDF links already available on the internet. If any way it violates the law or has any issues then kindly mail us: targetnotes1@gmail.com