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अधिकार शुल्क से आप क्या समझते हैं ? अधिकार शुल्क की विशेषताएँ एंव इसके प्रकार

अधिकार शुल्क से आप क्या समझते हैं ? अधिकार शुल्क की विशेषताएँ एंव इसके प्रकार
अधिकार शुल्क से आप क्या समझते हैं ? अधिकार शुल्क की विशेषताएँ एंव इसके प्रकार

अधिकार शुल्क से आप क्या समझते हैं ? अधिकार शुल्क की विशेषताएँ बताइए। यह किराये से किस प्रकार भिन्न है ? What do you understand by Royalty? Explain the essentials of Royalty. In what docs if differ from rent?

अधिकार शुल्क का अर्थ (Meaning of Royalty )

यदि किसी व्यक्ति को किसी विशेष सम्पत्ति का स्वयं प्रयोग करने का अधिकार है अर्थात यदि उस वस्तु पर उसका स्वामित्व है तो वह व्यक्ति चाहे, तो अपने इस विशेषाधिकार को एक निश्चित प्रतिफल के बदले एक निश्चित समय के लिए किसी अन्य व्यक्ति को हस्तान्तरित कर सकता है। इसके बदले उसे जो प्रतिफल मिलता रहता है। उसे अधिकार शुल्क (Royalty) कहा जाता है। उदाहरण के लिए किसी भू-स्वामी को अपनी भूमि से खनिज पदार्थ निकालने का अधिकार होता है। यदि वह स्वयं खनिज पदार्थ निकालने के बजाय किसी अन्य व्यक्ति, फर्म या कम्पनी को यह अधिकार दे देता है। और जितने टन खनिज पदार्थ निकाला जाए उस पर प्रति टन के हिसाब से शुल्क प्राप्त करता है तो इस शुल्क को अधिकार शुल्क (Royalty) कहा जाता है।

अधिकार शुल्क की परिभाषा ( Definition of Royalty)

जे० आर० बॉटलीबाय के अनुसार, “अधिकार शुल्क से आशय उस राशि से है जो एक व्यक्ति, दूसरे व्यक्ति को उसके द्वारा प्रदान किए गए कुछ विशेष अधिकारों के बदले में देता है। उदाहरण के लिए कोई पुस्तक प्रकाशित करने का अधिकार, कोई पेटेंट वस्तु निर्मित कर बेचने का अधिकार अथवा कोई खाने खोदने का अधिकार।”

विलियम पिकिल्स के अनुसार, “किसी सम्पत्ति के प्रयोग के प्रतिफलस्वरूप किसी व्यक्ति को दिए जाने वाला पारिश्रमिक अधिकार शुल्क कहलाता है, चाहे इसे दूसरे व्यक्ति से किराए पर लिया हो अथवा क्रय किया गया हो। यह राशि उस सम्पत्ति के प्रयोग से सम्बन्धित उत्पादन या विक्रय पर निकाली जाती है।”

अधिकार शुल्क की विशषेताएँ (Characteristics of Royalty)

(1) अधिकार शुल्क को एक विशेषाधिकार प्रयोग करने के प्रतिफल के रूप में समझा जाता है।

(2) अधिकार-शुल्क की राशि एक निश्चित उद्देश्य की पूर्ति के लिए दी जाती है।

(3) यह एक निश्चित अवधि समाप्त होने के बाद दिया जाता है।

(4) अधिकार-शुल्क पाने वाले तथा देने वाले के मध्य एक समझौता होता है, जिसके आधार पर अधिकार शुल्क की दर, इसके भुगतान का समय लघु कार्य राशि (Short workings) के अपलेखन आदि की शर्तें निर्धारित की जाती है।

(5) अधिकार-शुल्क निकालने की एक दर निश्चित रहती है जिसके आधार पर अधिकार-शुल्क की राशि की गणना की जाती है।

(6) प्रायः विशेषाधिकार का प्रयोग उत्पादन प्रयोग या बिक्री के लिए किया जाता है।

अधिकार शुल्क के प्रकार (Kinds of Royalty)

अधिकार शुल्क कई प्रकार का होता है। जिसमें से निम्नांकित प्रमुख हैं-

(1) ईंट बनाने के सम्बन्ध में अधिकार शुल्क (Royaltyies connection with brick-making) – जब कोई जमीन, ईंट बनाने हेतु मिट्टी निकालने के लिए पट्टे पर ली जाती है तो निकाली गई मिट्टी पर प्रति घन फुट या मीटर की दर से अधिकार शुल्क जमीन के स्वामी को दिया जाता है।

(2) खदान अधिकार शुल्क (Mining Royalty )— यह वह अधिकार शुल्क है जो खानों के प्रयोग के बदले में पट्टे पर खान के स्वामी को देता है। इसमें अधिकार शुल्क खनिज उत्पादन की प्रति इकाई (जैसे प्रति टन प्रति हजार ईंटें आदि) पर एक निश्चित प्रतिशत से निकाला जाता है। इसमें खान के स्थायी भू-स्वामी (landlord) या पट्टा देने वाला या पट्टादाता (Lessor) कहते हैं और जो व्यक्ति खान में खनिज पदार्थ निकालने का अधिकार लेता है। उसे पट्टा देने वाला या पट्टेदार (lessee) कहते हैं।

(3) पेटेन्ट अधिकार शुल्क (Patent Royalty) — जब कोई किसी वस्तु को बनाने या विक्रय करने का अधिकार किसी दूसरे व्यक्ति से प्राप्त कर लेता है तो ऐसे अधिकार शुल्क को पेटेन्ट अधिकार शुल्क कहते हैं। यह अधिकार शुल्क प्रायः वस्तु के उत्पादन या विक्रय पर आधारित होता है।

(4) तेल के कुओं के सम्बन्ध में अधिकार शुल्क (Royalties in connection with Oil- Wells) – यदि कोई पट्टेदार ऐसी जमीन पट्टे पर ले लेता है जिसमें तेल के कुएँ है तो वह निकाले गये तेल पर प्रति टन के हिसाब से अथवा अन्य आधार पर अधिकार शुल्क जमीन के स्वामी को देता है।

(5) मशीन, गुप्त उपकरण तथा तकनीकी ज्ञान आदि के सम्वन्ध में अधिकार शुल्क (Royalties in connection with machines, secret instruments and technical knowledge etc) – अधिकार शुल्क मशीन, गुप्त उपकरण एवं यांत्रिक ज्ञान के सम्बन्ध में भी प्रयोग होता है। जो व्यक्ति इन वस्तुओं का प्रयोग करता है वह इन मशीनों, गुप्त उपकरण एवं यान्त्रिक जानकारी के फलस्वरूप निर्मित प्रति इकाई के आधार पर अधिकार शुल्क कहते हैं।

किराया और अधिकार शुल्क में अन्तर (Difference Between Rent and Royalty)

सामान्यतः किराया और अधिकार शुल्क को एक ही अर्थ में प्रयोग किया जाता है परन्तु इनमें निम्न अन्तर हैं- 

(1) परिभाषा – किराया किसी मूर्त सम्पत्ति के प्रयोग के बदले उसके स्वामी को दिया जाता है जैसे भवन व प्लांट का किराया आदि। जबकि अधिकार शुल्क किसी भी मूर्त या अमूर्त सम्पत्ति के बदले में उसके स्वामी को दिया जाने वाला प्रतिफल है। इस प्रकार अधिकार शुल्क का क्षेत्र किराए की अपेक्षा अधिक विस्तृत है।

(2) भुगतान का आधार- किराए का भुगतान विधि (Period) के आधार पर किया जाता है। जैसे वार्षिक, अर्द्धवार्षिक, मासिक, साप्ताहिक, दैनिक या घंटे आदि लेकिन अधिकार शुल्क के भुगतान का आधार सम्पत्ति के उपयोग की सीमा पर निर्भर करता है। जैसे प्रति वस्तु, प्रति टन अथवा बिक्री के आधार पर।

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Anjali Yadav

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