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उत्पाद-मिश्रण से आशय एवं परिभाषा (Meaning and Definition of Product Mix)
उत्पाद-मिश्रण का आशय वस्तुओं के ऐसे समूह से होता है जो किसी औद्योगिक इकाई द्वारा बनाकर बाजार में विक्रय के लिए प्रस्तुत किया जाता है। सरल शब्दों में, उत्पाद मिश्रण से आशय कम्पनी की विभिन्न वस्तुओं के समूह से है।
अमेरिकन मार्केटिंग एसोसिएशन (American Marketing Association) के अनुसार, “एक फर्म या व्यावसायिक इकाई के द्वारा बिक्री के लिए उत्पादित वस्तुओं के समूह को उत्पाद मिश्रण कहते हैं।” उदाहरण के लिए यदि कोई उपक्रम विभिन्न प्रकार के साबुन, तेल, टूथपेस्ट, टूथब्रश, ब्लेड आदि का उत्पादन बिक्री हेतु करता है तो इन सब उत्पादों का समूह उत्पाद मिश्रण कहलायेगा।
इस प्रकार स्पष्ट है कि जब निर्माता एक प्रकार की वस्तुओं का निर्माण न करके विभिन्न प्रकार की वस्तुओं का निर्माण करता है तो उन विभिन्न वस्तुओं के समूह को वस्तु मिश्रण कहते हैं। उदाहरण के लिए जब एक कम्पनी नहाने व कपड़े धोने के साबुन के साथ-साथ सौन्दर्य की वस्तुयें जैसे- क्रीम, पाउडर, लिपस्टिक, बेस लोशन आदि बनाने लगती है तो यह वस्तु मिश्रण कहलाता है।
उत्पाद-मिश्रण पर कम्पनी के उद्देश्यों का प्रभाव (Effects of Company’s Objectives n Product-Mix)
कम्पनी के विभिन्न उद्देश्यों का प्रभाव उत्पाद मिश्रण पर प्रत्यक्ष रूप में पड़ता है। कम्पनी के निम्नलिखित उद्देश्य उत्पाद मिश्रण को प्रभावित करते हैं-
1. लाभ का उद्देश्य (Profit Objective)- अनेक प्रकार की वस्तुओं का निर्माण विक्रय लाभों को अधिकतम करने के लिए ही किया जाता है। इसलिए जब तक नई-नई वस्तुओं की वृद्धि लाभों को बढ़ाती है तब तक उत्पाद – मिश्रण में भी वृद्धि की जाती रहती है । परन्तु जब वर्तमान उत्पाद – मिश्रण की वस्तुयें कम्पनी की आशा से बहुत कम लाभ प्रदान कर रही होती है तो उनका उत्पादन बन्द करके उत्पाद-मिश्रण को छोटा बनाया जा सकता है। इस प्रकार कम्पनी के लाभ उत्पाद-मिश्रण को प्रभावित किये बिना नहीं रहते।
12. विक्रय स्थायित्व का उद्देश्य (Sales Stability Objective)- प्रत्येक कम्पनी अपनी वस्तुओं के विक्रय को स्थायित्व प्रदान करना चाहती है। विक्रय की मात्रा में अत्यधिक परिवर्तन भी किसी कम्पनी के लिए हानिकारक हो सकते हैं। अतः विक्रय-स्तर को स्थायित्व प्रदान करने के लिए उत्पाद – मिश्रण में परिवर्तन आवश्यक हो जाता है। उत्पाद मिश्रण में परिवर्तन की मात्रा क्या होगी- यह इस बात पर निर्भर करता है कि कम्पनी के वर्तमान उत्पाद-मिश्रण की विक्रय-प्रवृत्ति कितनी लोचपूर्ण है? यदि वर्तमान उत्पाद-मिश्रण की विक्रय-प्रवृत्ति में अत्यधिक लोच है तो उत्पाद-मिश्रण में परिवर्तन भी काफी मात्रा में करने होंगे तथा कम विक्रय वाले उत्पादों को जोड़ना होगा। इस प्रकार विक्रय स्थायित्व का उद्देश्य भी उत्पाद-मिश्रण को प्रभावित करता है।
3. विक्रय वृद्धि का उद्देश्य (Sales Promotion Objective)- कम्पनी का उद्देश्य विक्रय को केवल स्थिर बनाये रखना ही नहीं अपितु उसमें वृद्धि कम करना भी होता है। विक्रय में वृद्धि या कमी इस बात पर निर्भर करती है कि कम्पनी के उत्पाद-मिश्रण में सम्मिलित वस्तु अपने जीवन-चक्र की किस अवस्था में पहुँच गयी है। यदि वे अभी परिपूर्णता तक नहीं पहुँची हैं तो वर्तमान उत्पाद-मिश्रण में भी विक्रय वृद्धि की सम्भावनायें हैं तथा उसमें परिवर्तन की कोई आवश्यकता नहीं है। परन्तु यदि उत्पाद-मिश्रण की कुछ या सभी वस्तुयें परिपूर्णता की स्थिति में पहुँच चुकी है तो भविष्य में उन वस्तुओं का विक्रय कम ही होगा। अतः उनके स्थान पर अन्य वस्तुओं को लाने का विचार कम्पनी के लिए आवश्यक हो जाता है। इस प्रकार विक्रय वृद्धि का उद्देश्य भी उत्पाद- मिश्रण को प्रभावित करता है।
उत्पाद-मिश्रण
किसी भी व्यावसायिक संस्था की विपणन हेतु प्रस्तुत समस्त उत्पाद सूची अथवा उत्पाद- रेखा का कुल जोड़ ‘उत्पाद मिश्रण’ के नाम से जाना जा सकता है। उसकी संरचना के तीन पहलू होते हैं- विस्तार पहलू, गहराई पहलू तथा संगतता पहलू। इनका विस्तृत वर्णन निम्न प्रकार है –
उत्पाद-मिश्रण का विस्तार (Width of Product-Mix)
उत्पाद-मिश्रण का विस्तार यह बताता है कि उत्पादक के यहाँ कितनी वस्तु पंक्तियाँ हैं अर्थात् संस्था में उत्पाद-पंक्तियों की कितनी संख्या है ? जैसे ऊष्मा कम्पनी के उत्पाद – मिश्रण के विस्तार में बिजली के पंखे और सिलाई की मशीनें, दो उत्पाद पंक्तियाँ सम्मिलित की जा सकती हैं। इसी प्रकार हिन्दुस्तान मशीन टूल्स लिमिटेड, बंगलौर के उत्पाद मिश्रण में पहली घड़ियाँ, दूसरी प्रिन्टिंग मशीन्स तथा तीसरी ट्रैक्टर्स की पंक्तियाँ सम्मिलित की जा सकती हैं। इसी प्रकार किसी कम्पनी में बल्ब, पंखे, मिक्सी, कूलर एवं फ्रिज आदि की उत्पाद पंक्तियाँ हो सकती हैं।
उत्पाद मिश्रण की गहराई (Depth of Product-Mix )
उत्पाद-मिश्रण की गहराई यह बताती है कि प्रत्येक उत्पाद पंक्ति में औसत वस्तुओं की संख्या क्या है? उदाहरण के रूप में यदि किसी संस्था के पास पाँच उत्पाद पंक्तियाँ हैं तथा प्रथम उत्पाद – पंक्ति में 6 वस्तुएं दूसरी उत्पाद पंक्ति में 4 वस्तुएं तथा तीसरी उत्पाद पंक्ति में 3 वस्तुयें तथा चौथी और पाँचवी उत्पाद-पंक्ति में 5 तथा 2 वस्तुओं को सम्मिलित किया गया तो कम्पनी के उत्पाद-मिश्रण की गहराई (6+4+3+5+2) + 5 = 4 होगी अर्थात् प्रत्येक उत्पाद पंक्ति में औसत रूप से 4 वस्तुयें रखी जाती हैं। यहीं औसत उत्पाद – मिश्रण की गहराई होगी।
उत्पाद मिश्रण की संगतता (Consistency of Product-Mix)
उत्पाद-मिश्रण की संगतता यह स्पष्ट करती है कि उत्पाद – मिश्रण की प्रत्येक उत्पाद पंक्ति एक-दूसरे से किस प्रकार सम्बन्धित है अर्थात् उत्पाद-प्रक्रिया उपभोग उद्देश्य आदि के दृष्टिकोण से विभिन्न उत्पाद-पंक्तियाँ आपस में किस प्रकार सम्बन्ध रखती हैं। जैसे बजाज इलेक्ट्रिक कम्पनी द्वारा विभिन्न प्रकार के बल्ब, पंखें, मिक्सर कूलर, फ्रिज आदि का उत्पाद किया जाता है तो इन विभिन्न उत्पाद-पंक्तियों के बीच विद्युत का सम्बन्ध है अर्थात् प्रत्येक उत्पाद-पंक्ति विद्युत से सम्बन्धित है।
अनुकूलतम उत्पाद-मिश्रण (The Optimal Product – Mix )
यदि वस्तु मिश्रण में कोई भी समायोजन करने पर कम्पनी अपने लक्ष्यों की प्राप्ति में वृद्धि न कर सके तो यह कहा जाता है कि कम्पनी का चालू वस्तु मिश्रण अनुकूलतम है। अनुकूलतम वस्तु-मिश्रण प्रत्येक संस्था के लिए अलग-अलग होता है और यह प्रत्येक संस्था के उद्देश्यों के आधार पर निर्धारित होता है। उदाहरण के लिए यदि किसी संस्था का उद्देश्य लाभों में वृद्धि करना है तो उसका वर्तमान उत्पादन मिश्रण तभी अनुकूलतम कहलायेगा जबकि उत्पाद रेखाओं के संकुचन विस्तार तथा अन्य किसी समायोजन के माध्यम से परिवर्तन करके लाभों को न बढ़ाया जा सके। यदि संस्था का उद्देश्य विक्रय वृद्धि करना है तो उसका चालू उत्पाद मिश्रण तभी अनुकूलतम माना जा सकता है जबकि उसमें किसी भी समायोजन के परिणामस्वरूप विक्रय वृद्धि की क्षमता न हो।
उत्पाद मिश्रण को प्रभावित करने वाले तत्व (Factors Affecting the Product Mix) अथवा वस्तु मिश्रण में परिवर्तनों के कारण (Reasons of Changes in Product-Mix)
उत्पाद मिश्रण को निम्नलिखित तत्व प्रभावित करते हैं।
1. संस्था के उद्देश्य (Firm’s Object)- संस्था अपने लाभों को बढ़ाने के उद्देश्य से उत्पाद मिश्रण में वृद्धि कर सकती है तथा कम लाभ देने वाले या अलाभकारी उत्पादों को समाप्त भी कर सकती है। इस प्रकार संस्था अपने उद्देश्यों की पूर्ति के उत्पाद – मिश्रण में परिवर्तन कर सकती है।
2. उत्पाद की माँग (Demand of Product)- उत्पाद-मिश्रण में परिवर्तन पर वस्तु की माँग का भी भारी प्रभाव पड़ता है। यदि वर्तमान उत्पादन सम्बन्धित किसी अन्य वस्तु की माँग बाजार से अधिक है तो नई वस्तु के उत्पादन द्वारा उत्पाद – मिश्रण में वृद्धि की जा सकती है और यदि वर्तमान उत्पाद-मिश्रण में किसी एक या अधिक वस्तुओं की माँग में कमी आ रही है या माँग बिल्कुल समाप्त हो गयी है तो उत्पाद- मिश्रण में कमी की जा सकती है।
3. उत्पादन की लागत (Cost of Production)- यदि उत्पाद – मिश्रण में वृद्धि करने पर लागत में अधिक वृद्धि नहीं होती अर्थात् वर्तमान उत्पादन प्रक्रियाओं की सहायता से ही कार्य चल सकता है तो वस्तु मिश्रण में वृद्धि आसानी से की जा सकती है। इसके विपरीत, यदि नई वस्तु के उत्पादन के लिए नई-नई मशीनों की आवश्यकता पड़ती है तो उत्पादन मिश्रण में परिवर्तन कठिन हो जाता है।
4. उत्पादन की मात्रा (Quantity of Production)- यदि नई वस्तु का उत्पाद अधिक मात्रा में किया जाता है या वर्तमान उत्पाद के उपोत्पाद से ही नया उत्पादन किया जाना सम्भव है तो उत्पाद-मिश्रण में अधिक लाभ कमाने के दृष्टिकोण से वृद्धि की जा सकती है। परन्तु यदि नये उत्पाद का कम मात्रा में उत्पादन किया जाना है तो उत्पादन लागत में अधिक वृद्धि होने के कारण उत्पाद-मिश्रण में वृद्धि सम्भव नहीं है।
5. प्रतिस्पर्धी क्रियाएँ और प्रतिक्रियाएँ (Competitive Actions and Reactions)- प्रतिस्पर्धियों की क्रियाओं और प्रतिक्रियाओं के प्रत्युत्तर में भी व्यावसायिक उपक्रम को अपने उत्पाद-मिश्रण में परिवर्तन करने पड़ते हैं।
6. उत्पादन क्षमता (Production Capacity) – एक व्यावसायिक उपक्रम अपनी उत्पादन क्षमता का अधिक अच्छा उपयोग करने और शुद्ध उत्पादन लागतों को कम करने के लिए अपने उत्पाद मिश्रण में परिवर्तन करने का निर्णय ले सकता है, जैसे- अवशिष्ट पदार्थों का प्रयोग करके किसी उपोत्पाद का उत्पादन करके उत्पाद-मिश्रण का विस्तार किया जा सकता है।
7. वित्तीय प्रभाव (Financial Influence)- कभी-कभी किसी व्यावसायिक उपक्रम को वित्तीय प्रभावों से भी, अपने उत्पाद मिश्रण में परिवर्तन करना पड़ सकता है। जैसे- यदि कोई कम्पनी कई वर्षों से हानि में चल रही है तो कम्पनी के प्रबन्धकों द्वारा भावी हानि से बचने के लिए वस्तु-मिश्रण में परिवर्तन कर नयी वस्तुओं का निर्माण किया जा सकता है और पुरानी वस्तुओं के निर्माण को बन्द किया जा सकता है। मन्दी के प्रभावों को कम करने के लिए भी वस्तु मिश्रण में परिवर्तन किया जा सकता है।
8. निर्माता की छवि (Producer’s Image)- कभी-कभी कुछ निर्माता अपनी छवि सुधारने के लिए अपने उत्पाद मिश्रण में कुछ श्रेष्ठ किस्म या ऊँची कीमत के उत्पादों को सम्मिलित कर लेते हैं।
9. विपणन क्षमता (Marketing Capacity)- जब विक्रय शाखाओं पर विक्रेताओं के लिए पर्याप्त कार्य नहीं होता तो उनकी विपणन-क्षमता का पूर्ण लाभ उठाने के लिए उत्पाद- मिश्रण में वृद्धि की जा सकती है।
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