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उत्पाद संशोधन का निर्णय (The Product Modification Decision)
प्रत्येक उत्पाद का सीमित जीवन-चक्र होता है। कभी न कभी वह अवश्य ही पतनावस्था में पहुँचकर अप्रचलन को प्राप्त हो जाता है लेकिन एक निर्माता इस उत्पाद जीवन चक्र की विभिन्न अवस्थाओं की अवधि में परिवर्तन करने में सफल हो सकता है। यदि एक निर्माता चाहता है कि उत्पाद परिपक्तवता (Maturity) और संतृप्ति (Saturation) की अवस्था को बढ़ा दिया जाये जिससे उत्पाद पतन की अवस्था में देर से पहुँचे और संतृप्ति की अवस्था को बढ़ा दिया जाये जिससे उत्पाद पतन की अवस्था में देर से पहुँचे तो वह ऐसा करने के लिए उत्पाद संशोधन का सहारा लेता है। फिलिप कोटलर के अनुसार, “किसी उत्पाद के भौतिक लक्षणों या उसके पैकेजिंग में जानबूझकर किया गया कोई परिवर्तन उत्पाद संशोधन कहलाता है।
इससे स्पष्ट है कि उत्पाद संशोधन जानबूझकर किया जाता है और इसके अन्तर्गत या तो उत्पाद के भौतिक लक्षणों जैसे- किस्म, शैली, आकार, रंग आदि में परिवर्तन किया जाता है अथवा उत्पाद के केवल पैकेजिंग में अन्तर करके भी उत्पाद संशोधन किया जा सकता है। यह ध्यान रखना चाहिए कि उत्पाद के विपणन कार्यक्रम (Marketing Programme) में किये गये परिवर्तन उत्पाद संशोधन के क्षेत्र में नहीं आते। सभी उत्पादों में संशोधन करना सम्भव नहीं होता। कुछ उत्पाद ऐसे होते हैं जो संशोधन के योग्य नहीं होते, जैसे- मिट्टी का तेल। यद्यपि हमारे देश में चार बड़ी तेल कम्पनियों द्वारा मिट्टी का तेल तैयार किया जाता है परन्तु इसके भौतिक और रासायनिक लक्षणों में कोई अन्तर नहीं है। ऐसी स्थिति में उत्पाद संशोधन के बजाय मनोवैज्ञानिक अन्तर एवं मर्चेण्डाइजिंग विभिन्नीकरण द्वारा विपणन कार्य किया जाता है।
उत्पाद संशोधन क्यों आवश्यक है? Why Product modification is needed?
एक निर्माता को मुख्य रूप से निम्नांकित घटक उत्पाद संशोधन के लिए प्रेरित करते हैं:-
1. प्राविधिक या तकनीकी प्रगति- तकनीकी प्रगति के कारण एक निर्माता के लिए उत्पाद संशोधन आवश्यक हो जाता है क्योंकि उपभोक्ता पुरानी वस्तु के प्रति रूचि कम रखने लगते हैं। उदाहरण के लिए, हमारे देश में निर्माताओं द्वारा लोहे के ब्लेड के बजाय स्टेनलेस स्टील ब्लेड बनाये जा रहे हैं। इसी प्रकार एच०एम०टी० दिन और दिनांक (day and Date) आदि विशेषताओं से युक्त स्वचालित हाथ की घड़ियाँ बना रही हैं।
2. प्रतिस्पर्द्धा- प्रतिस्पर्द्धा का सामना करने के लिए भी एक निर्माता को उत्पाद संशोधन का निर्णय लेना पड़ता है। यहीं कारण है कि अनेक कम्पनियाँ प्रतिवर्ष नया मॉडल बाजार में प्रस्तुत करती हैं।
3. विक्रय में गिरावट- किसी उत्पाद के विक्रय में कमी निर्माता को उत्पाद संशोधन के लिए बाध्य कर सकती है। उत्पाद संशोधन द्वारा निर्माता वस्तु को नवीन रूप प्रदान करके उसके विक्रय में वृद्धि करने में सफल हो सकता है।
इसके अतिरिक्त, उपभोक्ताओं की नवीन वस्तुओं के प्रति रूचि को पूरा करने के लिए भी उत्पाद संशोधन किया जाता है।
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