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भारतीय अर्थव्यवस्था में विपणन का महत्व (Importance to Marketing)
अध्ययन की सुविधा के लिए विपणन के महत्व को निम्न शीर्षकों के अन्तर्गत समझा जा सकता है-
I. समाज के लिए विपणन का महत्व (Importance to the society)
विपणन समाज के दृष्टिकोण से बहुत उपयोगी है क्योंकि विपणन के द्वारा समाज के विभिन्न वर्गों को वस्तुएं एवं सेवाएं प्रदान की जाती हैं। समाज के लिए विपणन की महत्ता निम्नांकित कारणों से है –
(1) रहन-सहन के स्तर में सुधार (Improvement in Standard of Living)- विपणन का प्रमुख कार्य समाज के विभिन्न वर्गों की इच्छा, आवश्यकता एवं उनकी अभिरूचियों के अनुरूप, उचित समय पर, पर्याप्त मात्रा में, उचित माध्यम से एवं उचित मूल्य पर वस्तुयें एवं सेवायें प्रदान करना है। विपणन के द्वारा ही उपभोक्ताओं की सुविधा के लिए नई-नई वस्तुओं आ आविष्कार किया जाता है और विभिन्न क्रियाओं द्वारा उपभोक्ताओं को उन वस्तुओं का उपभोग करने के लिए प्रेरित किया जाता है। अतः समाज में विभिन्न वस्तुओं की मांग उत्पन्न करने और माँग में वृद्धि करने का श्रेय विपणन को ही है। जब समाज में विभिन्न वस्तुओं का उपयोग बढ़ने लगता है तो सामाजिक रहन-सहन के स्तर में सुधार होने लगता है। पॉल मजूर के शब्दों में, “विपणन समाज को जीवन स्तर प्रदान करता है।”
(2) रोजगार के अवसरों में वृद्धि (Increase in the Opportunity) – विपणन के विकास से रोजगार के अवसरों में वृद्धि होती है। विपपणन कार्य में विपणन शोध विभाग, उत्पादित वस्तुओं को ग्राहक तक पहुँचाने के लिए थोक एवं फुटकर संस्थायें, परिवहन, गोदाम गृह और विज्ञापन करने वाली संस्थाओं आदि की सेवाओं का उपयोग किया जाता है। इन संस्थाओं में समाज के अनेक वर्गों को रोजगार मिलता है। एक अनुमान के अनुसार विकसित राष्ट्रों (अमेरिका, जापान, जर्मनी आदि) में कुल श्रमिक शक्ति का लगभग 40% भाग विपणन कार्यों में लगा हुआ है। भारत जैसे अर्द्धविकसित देश में, जहाँ बड़े पैमाने पर बेरोजगारी समस्या है, विपणन इस समस्या का सामधान करने में सहायक सिद्ध हो सकता है। इसके लिए विपणन को औद्योगिक संगठन में उचित स्थान प्रदान करना आवश्यक है।
(3) वितरण लागतों की कभी (Decrease in Distribution costs)- विपणनकर्त्ता वितरण लागतों में कमी करने के लिए सदैव प्रयत्नशील रहता है। वितरण लागतों में कमी होने से प्रायः वस्तुओं की कीमत कम हो जाती है जिससे वे वस्तुयें उन ग्राहकों की पहुँच में आ जाती हैं जो कि पहले ऊँची कीमतों के कारण उन वस्तुओं को नहीं खरीद पाते थे। अतः समाज के विभिन्न वर्गों में वस्तुओं का उपभोग बढ़ जाता है। दूसरी ओर यदि यह मान भी लिया जाये कि वितरण लागतों में कमी के बावजूद उत्पादक वस्तु की कीमत कम नहीं करते हैं तो इससे संस्था के लाभों में वृद्धि होगी जो कि अंशधारियों, ऋणधारियों एवं कर्मचारियों में विभाजित होगी और यदि इन अतिरिक्त लाभों को वितरित भी नहीं किया जाता है तो इन्हें उत्पादन अनुसन्धान कार्यों में लगा दिया जाता है, जिससे समाज को लाभ पहुँचता है।
(4) राष्ट्रीय आय में वृद्धि (Increase in National Income) – जब समाज में विपणन क्रियाओं द्वारा विभिन्न वस्तुओं और सेवाओं की मांग बढ़ती है और उनके परिणामस्वरूप विभिन्न वस्तुओं और सेवाओं का राष्ट्र में अधिक उत्पादन होने लगता है तो इस प्रकार पहले से अधिक उत्पादन होने पर राष्ट्रीय आय में वृद्धि होती है जिसका लाभ समाज के विभिन्न वर्गों तक पहुँचता है।
(5) व्यापारिक मन्दी से सुरक्षा (Protection Against Business Slump) – प्रायः प्रत्येक व्यापार में समय-समय पर व्यापारिक चक्रों (Trade Cycles) के फलस्वरूप मन्दी आती रहती है। इस मन्दी से राष्ट्र की अर्थव्यवस्था को काफी हानि पहुँचती है क्योंकि इस स्थिति में वस्तुओं की मांग कम हो जाती है। अतः अनेक औद्योगिक इकाइयाँ उत्पादन कार्य बन्द कर देती हैं, उत्पादन घटने लगता है, कर्मचारियों की छंटनी, संस्था के लाभों में कमी तथा राष्ट्रीय उत्पादन में कमी होने लगती है। विपणन समाज को इस समस्या से बचाने में सहायक सिद्ध होता है। विपणन उत्पादित वस्तुओं के लिए नये-नये बाजारों की खोज करके, वस्तु विभिन्नीकरण एवं सुधार करके, वस्तु के विभिन्न वैकल्पिक प्रयोग उत्पन्न करके तथा वितरण लागतों में कमी करके विक्रय स्तर को कायम रखता है अथवा इसमें अधिक कमी आने से रोकता है। अतः आधुनिक विपणन कार्यों के द्वारा मन्दी के प्रभाव को समाप्त अथवा कम अवश्य किया जा सकता है।
II. फर्म के लिए विपणन का महत्व (Importance to the Firm )
आधुनिक युग में प्रत्येक संस्था या फर्म की व्यावसायिक क्रियाओं में विपणन को प्रथम स्थान दिया जाता है। दूसरे शब्दों में, विपणन के निर्णयों के आधार पर ही अन्य व्यावसायिक क्रियायें निष्पादित की जाती हैं। पीटर ड्रकर के अनुसार, “विपणन ही व्यवसाय है।” फर्म के विपणन के महत्व को निम्न शीर्षकों के अन्तर्गत समझा जा सकता है-
(1) व्यवसाय नियोजन और निर्णयन में सहायक (Helpful in Business Planning and Decision Making)- आधुनिक परिवर्तित परिस्थितियों में उत्पादन क्षमता के अनुसार- नियोजन करना खतरे से खाली नहीं है। उत्पादन नियोजन करने से पहले प्रत्येक संस्था को बिक्री पूर्वानुमान करना चाहिए कि वस्तुओं या सेवाओं की माँग क्या होगी ? उसका कुल बाजार में क्या हिस्सा (Market Share) होगा? इसके पश्चात् ही संस्था का अध्यक्ष उत्पाद नियोजन, उत्पादन क्रय और विक्रय आदि विभागों की क्रियाओं में समन्वय स्थापित कर सकता है। उत्पादन करने वाली वस्तुओं, उनकी विशेषताओं, कीमत, वितरण वाहिकाओं, विज्ञापन एवं विक्रय माध्यम आदि के सम्बन्ध में सही निर्णय लेने में भी विपणन सहायक होता है।
(2) लाभों में वृद्धि (Increase in Profits)- प्रत्येक फर्म का प्रमुख उद्देश्य लाभ कमाना होता है। विपणन एक ओर विभिन्न विपणन लागतों में कमी करके वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों में कमी करता है, और दूसरी ओर विपणन के आधुनिक तरीकों जैसे विज्ञापन, विक्रय संवर्धन आदि के द्वारा वस्तुओं और सेवाओं की मांग में वृद्धि करता है। परिणामतः वस्तुओं की लागतों में कमी और मांग में वृद्धि होने के कारण कुछ बिक्री में वृद्धि होती है जिससे फर्म के लाभों में वृद्धि होती है।
(3) फर्म एवं समाज के मध्य सम्प्रेषण में सहायक (Helpful in Communication Between Firm and Society) – विपणन फर्म और समाज के मध्य सूचनाओं का आदान- प्रदान करता है। विपणन के द्वारा उपभोक्ताओं की आवश्यकताओं, अभिरूचियों और फैशन आदि के सम्बन्ध में समय-समय पर होने वाले परिवर्तनों की सूचना फर्म के उच्च प्रबन्धकों को प्रदान की जाती है। आज के ग्राहक अभिमुखी समय में कोई भी फर्म इन सूचनाओं के बिना भविष्य में अपना व्यवसाय सफलतापूर्वक संचालित नहीं कर सकती। विपणन न केवल समाज में होने वाले परिवर्तनों के विषय में सूचना एकत्र करता है वरन् अपने प्रतिस्पर्धियों की उत्पाद नीतियों, कीमत नीति, विज्ञापन एवं विक्रय संवर्धनों के तरीकों आदि के सम्बन्ध में सूचनायें फर्म को प्रेषित करता है जिससे कि फर्म बाजार में प्रतिस्पर्धा के लिए उचित नीति अपना सके। इसके अतिरिक्त विपणन उपभोक्ताओं की वस्तु की विशेषताओं, कीमत, वैकल्पिक प्रयोग आदि के विषय में सूचना प्रदान करता है।
III. विकासशील या अविकसित अर्थव्यवस्था में विपणन का महत्व (Importance in Developing or Underdeveloped Economy)
अविकसित या विकासशील अर्थव्यस्था में विपणन का विशेष महत्व है। ऐसी अर्थव्यवस्था में तीव्रगति से आर्थिक विकास करने के लिए विपणन के आधुनिक तरीकों को अपनाना आवश्यक है। ऐसी अर्थव्यवस्था के अन्तर्गत औद्योगिक एवं उपभोक्ता वस्तुओं का अधिकाधिक उत्पादन करने और उसका सफलतापूर्वक विक्रय करने के लिए विपणन सहायता प्रदान करता है। भारत जैसे विकासशील राष्ट्र के लिए विपणन अत्यन्त उपयोगी है।
IV. विकसित अर्थव्यवस्था में विपणन का महत्व (Importance in Developed Economy)
पूर्ण रूप से विकसित अथवा प्रचुरता की अर्थव्यस्था (Economy of Abundance) में विपणन की अत्यन्त आवश्यकता होती है क्योंकि ऐसी अर्थव्यवस्था में आधुनिकतम और वृहद् पैमाने पर उत्पादन होने के कारण विभिन्न वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन प्रायः मांग से काफी अधिक होता है। ऐसी स्थिति में उत्पादन क्षेत्र की गति को कायम रखने के लिए अथवा उसमें वृद्धि करने के लिए यह अत्यन्त आवश्यक है कि उत्पादित माल का विक्रय शीघ्र हो । इसके लिए विपणन की आधुनिक तकनीकों का सहारा लिया जाता है। विपणन ही स्वदेश में अथवा विदेशों में उत्पादित माल के विक्रय का प्रबन्ध करता है। इस अर्थव्यवस्था में वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों में और अधिक कमी करना सम्भव नहीं होता है क्योंकि वे पहले से ही न्यूनतम होती हैं। ऐसी स्थिति में गैर कीमत प्रतिस्पर्धा (Non-Price Competition) के आधार पर वस्तुओं और सेवाओं की बिक्री की जा सकती है। वस्तु में सुधार (Product Modification), उधार विक्रय नीति और अत्यधिक विज्ञापन की सहायता से ही ऐसी अर्थव्यवस्था में बिक्री सम्भव होती है । जापान, स्विटजरलैण्ड आदि देशों में उत्पादन सुधार दर (Rate of Product Modification) इतनी अधिक है कि घड़ी और इलैक्ट्रिक के समाज आदि के डिजाइन मॉडल आदि में प्रतिमास परिवर्तन होते रहते हैं जिसमें विपणन का महत्वपूर्ण योगदान है।
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