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मूल्य या उपयोगिता विश्लेषण पद्धति के आधारभूत चरण (कदम) क्या हैं? | Basic Steps of Value Analysis Project in Hindi

मूल्य या उपयोगिता विश्लेषण पद्धति के आधारभूत चरण (कदम) क्या हैं? | Basic Steps of Value Analysis Project in Hindi
मूल्य या उपयोगिता विश्लेषण पद्धति के आधारभूत चरण (कदम) क्या हैं? | Basic Steps of Value Analysis Project in Hindi

मूल्य या उपयोगिता विश्लेषण पद्धति के आधारभूत चरण (कदम) क्या हैं?  (Basic Steps of Value Analysis Project)

मूल्य या उपयोगिता विश्लेषण पद्धति के निम्नलिखित आधारभूत चरण हैं-

1. तथ्यों को प्राप्त व अभिलेखित करना (Obtain and Record the Facts)- मूल्य विश्लेषण का प्रथम चरण वस्तु की लागत से सम्बन्धित तथ्यों को प्राप्त करना तथा उनको अभिलेखित करना है। तथ्यों को प्राप्त करना एक कठिन कार्य है। प्रत्येक को आश्वस्त होना चाहिए कि सूचना और आँकड़ें जो भी एकत्र किये जायें वे आधे सत्य न हों। पूर्ण सावधानी एवं विश्वसनीयता के साथ तथ्यों को एकत्र किया जाना चाहिए तथा जो भी तथ्य एकत्र किये जाएं वे निर्धारित आवश्यकताओं के अनुरूप हों।

2. परिकल्पना (Speculation)- यह एक चिन्तन का कार्य है। उपयोगिता विश्लेषण तकनीक की टीम के सदस्यों को सुधारात्मक और अन्य वैकल्पिक सुझाव को बताना चाहिए। सभी विचारों को उनकी जाँच के लिए लिपिबद्ध करना चाहिए और निम्न बातों पर विचार करना चाहिए-

(अ) उन सभी अनावश्यक गुणों का परित्याग कर देना चाहिए जो उपभोक्ता की उपयोगिता या सम्मान को नहीं बढ़ाते,

(ब) विभिन्न कार्यों को मिलाकर एक कार्य द्वारा दो भागों का कार्य करना,

(स) गुणों के अनावश्यक प्रमापों में परिवर्तन

(द) प्रयोग के लिए डिजाइन का सरलीकरण (क) कुछ ही भाग का (ख) रख-रखाव की सरल सुविधा के लिए डिजाइन।

3. विश्लेषण (Analysis) – इसके प्रत्येक विचार का विश्लेषण उत्पादन और प्रयोग के संदर्भ में किया जाना चाहिए और प्रत्येक डिजाइन के लिए सम्भावित लागतों का आंकलन तुलनात्मक अध्ययन के लिए किया जाना चाहिए, जिससे लागतों को न्यूनतम किया जा सके।

4. नये विचारों का विकास (Develop New Ideas)- यह अवस्था दो चरणों की होती है। विचार-विमर्श द्वारा नियोजन और क्रियान्वयन। नियोजन अवस्था में सबसे उत्तम विचार को चुनकर पुनः जाँचा और परखा जाता है। दूसरे विशेषज्ञों को भी इस अवस्था में सम्मिलित करना लाभप्रद होता है। ये क्रेता, गुणक, इंजीनियर और बाहरी पूर्तिकर्ता आदि हो सकते हैं, जो अपने व्यापक अनुभव और दृष्टिकोण के आधार पर विशेष सलाह दे सकते हैं। वास्तविक डिजाइन, नमूने या मॉडल प्रस्तुत किये जा सकते हैं, जो प्रस्तावित डिजाइन के सही मूल्यांकन में सहायता कर सकते हैं।

5. निष्कर्ष और रिपोर्ट (Conclusion and Report)- अन्त में एक पूर्ण रिपोर्ट या प्रतिवेदन प्रबन्धकों के विचारार्थ तैयार किया जाता है जिसमें निम्न बातें होती हैं।

(अ) उन सभी विचारों और तथ्यों की सूक्ष्म जानकारी दी जाती है जो कार्यवाही सभा द्वारा प्रस्तुत की गयी।

(ब) वर्तमान और प्रस्तावित डिजाइनों के रेखाचित्र सम्मिलित किये जाते हैं जो परिवर्तनों को दर्शाते हों।

(स) वर्तमान व प्रस्तावित लागतों की संक्षेपिका और बचतों का आंकलन जो कि सम्भावित है, यदि डिजाइन स्वीकार कर क्रियान्वित कर दिया जाए।

(द) पूँजी विनियोग और बचतों का तुलना पत्र जिससे विनियोगों की अदायगी अवधि की गणना की जा सके।

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Anjali Yadav

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