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लक्ष्य लागत लेखांकन (Target Costing Accounting)
लक्ष्य लागत लेखांकन से आशय अनुमानित बाजार मूल्य के आधार पर एक उत्पाद के लिए अधिक लागत लक्ष्य का निर्धारण करना है। प्रायः यह निर्धारण दीर्घकालीन लागतों तथा अन्य दीर्घकालीन लागत घटकों को ध्यान में रखकर किया जाता है।
CIMA के अनुसार, “लक्ष्य लागत से आशय एक उत्पाद के ऐसे लागत अनुमान से है जो प्रतियोगी बाजार मूल्य से प्राप्त किये गये हों।”
प्रतियोगी वातावरण में मूल्य निर्धारण के संदर्भ में यह तकनीक निरन्तर जारी सुधारों और तकनीकों एवं प्रविधियों में बदलाव कर लागत को कम करने के लिए प्रयोग में लायी जाती है। इसमें लागतों को प्रतियोगी बाजार मूल्य के सम्बन्ध में देखना चाहिए। ये लागतें उद्योग में जारी प्रतियोगिता के लागत विश्लेषण के आधार पर बाहर से उत्पन्न होती है।
लक्ष्य लागत के अन्तर्गत लागत लेखांकन विभाग, यान्त्रिक विभाग तथा उत्पादन विकास विभाग उत्पाद लागत को तय कर यह देखते हैं कि क्या फर्म इस लागत लक्ष्य के उत्पाद को निर्मित कर सकती है, अगर लागत लक्ष्य प्राप्त नहीं होते तो फर्म को लागतें घटानी चाहिए। उदाहरणार्थ, डिजाइन के पुनः निर्धारण, उत्पाद के सरलीकरण, सामग्री के परिवर्तन और उत्पादन की विधि में परिवर्तन करके यह किया जा सकता है। यह बहुत ही उपयोगी यन्त्र है क्योंकि यह उत्पादन विधियों की प्रभावशीलता को बढ़ाता है तथा फर्म को अपनी उत्पादन की रीति-नीति को पुनर्मूल्यांकित करने के लिए बाध्य करता है। इसे जीवन चक्र उत्पाद लागत लेखांकन में मूल्यवानता के साथ जोड़ा जा सकता है।
मूल्य निर्धारण में लक्ष्य लागत लेखांकन विचारधारा (Target Costing Approach in Pricing)
यहाँ यह कहना तर्कसंगत होगा कि लक्ष्य लागत लेखांकन को मूल्य निर्धारण में एक निर्देशक के रूप में प्रयोग किया जा सकता है। जब किसी नये बाजार में प्रवेश किया जाता है तो प्रतियोगियों के उत्पादों के मूल्यों को एक मुख्य घटक माना जाता है। दीर्घकालीन अनुमानित उत्पाद लागत जो एक कम्पनी को किसी बाजार में प्रवेश करने या उसमें रहने तथा प्रतियोगी की प्रतियोगिता से सफलतापूर्वक मुकाबला करने के लिए काम आती है, वहीं लक्ष्य लागत कहलाती है।
लक्ष्य लागत अवधारणा जो मूल्य निर्धारण में वर्तमान समय में प्रयोग में लायी जाती है, प्रारम्भ में बाह्य बाजार पर केन्द्रित होती है। जापानी उपभोक्ता उत्पाद कम्पनियाँ प्रायः लक्ष्य लागत तकनीक को मूल्य निर्धारण की रीति-नीतियों के रूप में प्रयोग करती हैं। लक्ष्य लागत की अवधारणा का प्रादुर्भाव तथा प्रभावशाली प्रयोग जापान में हुआ है। मूल्य निर्धारण व सुधारात्मक रीति- नीतियों के लिए यह बहुत ही उपयोगी है।
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